➺ स्नायुओं की कमजोरी और उनका काँपना, रोगी अत्यंत संवेदनशील प्रकृति का होता है— NITRICUM ACIDUM-200 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ स्नायु संबंधी कमजोरी, कमजोरी उत्पन्न करनेवाली किसी गंभीर बीमारी के बाद KALIUM PHOSPHORICUM-200 की एक खुराक रोजाना। स्नायु अवसाद, जख्मों के कारण या सर्जरीके बाद HYPERICUM PERFORATUM 6 हर चार घंटे पर |
➺ स्नायु विकार – जिंकम Valeriana-3 दिन में तीन बार, ठीक होने तक।
➺ स्नायु तंत्र की कमजोरी – मेफाइट्स-3 दिन में दो बार । यौन-अधिकता के कारण स्नायु संबंधी कमजोरी-Acid Fluoric-30 दिन में तीन बार
➺ यौन अधिकता के बाद बेचैनी-AGARICUS MUSCARIUS-30 दिन में दो बार ।
➺ न्यूरेलजिया (तंत्रिका शूल) – CHAMOMILLA-6, ACONITUM NAPELLUS-6, RHUS TOXICODENDRON-6 और BRYONIA-6 बराबर मात्रा में मिलाकर इस्तेमाल करें या CHAMOMILLA 6 और BELLADONNA-6 बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार।
➺ चेहरे की तंत्रिका – शूल – COLCHICUM AUTUMNALE 30 दिन में तीन बार ।
➺ चेहरे की तंत्रिका-शूल, खासकर दाईं ओर का, आँखों में दर्द, सिर को घुमाने पर स्थिति खराब, कड़ेपन और सुन्नता का एहसास – KALMIA LATIFOLIA-6 दिन में तीन बार
➺ तंत्रिका-शूल, शरीर के अंगों में कमजोरी- PLUMBUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार
➺ तंत्रिका-शूल, बाईं ओर का, ठंडे नम मौसम से, बाईं आँख के ऑरबिट में या दाढ़ की हड्डी या दाँत में सुबह से सूर्यास्त तक दर्द, गालों में जलन, गाल गहरा लाल हो जाना-SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार ।
➺ तंत्रिका शूल, चेहरे की दाईं ओर का – KALMIA LATIFOLIA 30 की एक खुराक रोजाना।
➺ तंत्रिका-शूल, दाईं ओर का, आवधिक, ठंडी हवा से बदतर, गरमी और दबाव से बेहतर- MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 दिन में दो बार
➺ तंत्रिका-शूल, स्नायुओं की उत्तेजना के साथ असहनीय दर्द – COFFEA CRUDA 200 की एक खुराक, यदि लक्षण बरकरार रहें तो दुहराया जा सकता है।
➺ तंत्रिका – शूल संबंधी दर्द, हलके से स्पर्श से भी बढ़ जाता है और सख्त दबाव से कम हो जाता है – CINA-200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ तंत्रिका – शूल, दबाव और गरमी से बेहतर-COLOCYNTHIS 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ तंत्रिका अवसाद (नर्वस ब्रेकडाउन) -NUX VOMICA-30 सोते समय या TUBERCULINUM 200 दो सप्ताह में एक बार ।
➺ तंत्रिका अवसाद, अवसाद के कारण-KALIUM PHOSPHORICUM 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ दर्द, ऐसा महसूस होना मानो मांसपेशियाँ सिकुड़ गई हों या अधिक छोटी हों – Ammonium Muriaticum-30 दिन में तीन बार )
➺ तंत्रिका-शूल और दर्द, आराम करने पर बदतर MAGNESIUM CARBONICUM-6 हर छह घंटे पर।
➺ अनियमित नाड़ी – RUTA GRAVEOLENS-30 दिन में दो बार, इसके विफल होने पर PODOPHYLLINUM-30 दिन में दो बार कुछ दिनों तक और एसिड NATRIUM MURIATICUM 30 दिन में दो बार ।
➺ साइटिका, तंत्रिका शूल जैसा, मध्य रात्रि में और ठंड बढ़ता है, प्रभावित भाग पर सोने से अधिक, गरमी से बेहतर, रोगी अत्यंत बेचैन, चिड़चिड़ा और कमजोर रहता है – ARSENICUM ALBUM 200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ साइटिका, आराम और पहली गति से बदतर राहत, लेकिन लगातार चलने-फिरने या लेटने से बेहतर, ठंडे तथा नम मौसम में गठिया संबंधी रोगों से पीड़ित होनेवाले व्यक्तियों में, बाएँ नितंब में साइटिका का दर्द, पैर संकुचित महसूस होना, दर्दयुक्त झटके, सुन्नता महसूस होना – Ammonium Muriaticum-30 हर छह घंटे पर।
➺ साइटिका, साइटिका नस में मरोड़, पाँव की मांसपेशियों का क्षय – PLUMBUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ साइटिका, दाईं ओर का – CAUSTICUM – 200 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ साइटिका, दोनों ओर – VISCUM ALBUM- 30 हर छह घंटे पर।
➺ साइटिका, रात में बढ़ जाता है, दिन (खासकर सुबह के समय राहत – RUTA GRAVEOLENS 200 एक खुराक रोजाना ।
➺ साइटिका, न्यूराइटिस के कारण, स्पर्श, गति, झटके से बदतर और आराम, सीधे बैठने तथा गरमी से बेहतर, रोगी का चेहरा लाल हो जाता है— BELLADONNA-200 एक खुराक रोजाना ।
➺ साइटिका, दाईं साइटिक नर्व में अत्यंत पीड़ा, दाएँ नितंब के जोड़ से पैरों तक तेज दर्द, सुन्नता के साथ, लेटने, गति तथा झुकने से बढ़ता है, बैठने से कम होता है—Graphium 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ साइटिका, बाईं ओर का – KALIUM BICHROMICUM 200 एक खुराक पहले आजमाएँ ।
➺ साइटिका, बाईं ओर का दर्द पीठ से निचले पैर तक ACTAEA RACEMOSA-Q की दो से तीन बूँदें, दिन में तीन बार।
➺ साइटिका, बाईं ओर का, सुबह में बदतर और समुद्र तट पर आराम Medorrhinum-200 की केवल एक खुराक, जरूरत पड़ने पर दुहराया जा सकता है।
➺ साइटिका, दाएँ पैर में दर्द – DIOSCOREA VILLOSA-30 दिन में तीन बार
➺ साइटिका, जाँघ के बाहरी हिस्से में दर्द, जो पैर तक नीचे जाता है – PHYTOLACCA 200 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ साइटिका, थोड़ा भी हिलने डुलने पर दर्द, आराम करने और लेटने पर राहत, रोगी चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है – BRYONIA 6 दिन में तीन बार।
➺ साइटिका, खड़े होने और पैर को जमीन पर रखने, आराम करते समय पैरों को सीधा करने से दर्द अधिक, चलने पर राहत – Valeriana 3 X दिन में तीन बार ।
➺ साइटिका, आराम करने और पहली बार चलने-फिरने से स्थिति बदतर, लेकिन लगातार चलने-फिरने से अच्छा, ठंडे और नम मौसम में गठिया संबंधी रोगों से पीड़ित होनेवाले व्यक्ति-RHUS TOXICODENDRON-6 दिन में तीन बार खाएँ ।
➺ साइटिका, तेज दर्द, बाएँ पैर, बाएँ नितंब, बाईं जाँघ और घुटने में, नितंबों में मरोड़, गरमी और दबाने से बेहतर-COLOCYNTHIS-6 हर छह घंटे पर लें।
➺ साइटिका, जलन और दर्द के साथ- ARSENICUM ALBUM 6 सात बजे सुबह पहली खुराक और दूसरी खुराक दोपहर तीन बजे या KALIUM IODATUM-6 दिन में तीन बार। यदि ऐसे लक्षण हों कि रोगी बिस्तर पर नहीं रह सकता तो इसे आजमाया जा सकता है।
➺ साइटिका, प्रभावित भाग का जड़ हो जाना, बेचैनी – ACONITUM NAPELLUS 30 दिन में तीन बार ।
➺ साइटिका, बाएँ हाथ का सुन्न हो जाना—KALMIA LATIFOLIA – 30 हर छह घंटे पर।
➺ साइटिका, चलने पर स्थिति बदतर – NATRIUM ARSENICOSUM 30 सुबह शाम।
➺ मांसपेशियों में ऐंठन, हाथ-पैर की उँगलियों से शुरू होता है और पूरे शरीर में फैलता है, गर्भावस्था के दौरान ऐंठन-CUPRUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार ।
➺ टोरटीकोलिस (ग्रीवा की पेशियों के संकुचन से गरदन की ऐंठन), ठंड के कारण – CAUSTICUM-30 हर छह घंटे पर।
➺ हाथ-पैरों का काँपना ZINCUM METALLICUM 200 दिन में दो बार या KALIUM PHOSPHORICUM-1M की एक खुराक प्रतिदिन, रात में ।
➺ हाथों का काँपना या पैरों का, कोई हरकत करने का प्रयास करने पर अत्यंत शिथिलता और कमजोरी, जिसके कारण निष्क्रिय पड़े रहना GELSEMIUM SEMPERVIRENS 30 दिन में दो बार
➺ जीभ और हाथों का काँपना, गंभीर संक्रामक ज्वर में BAPTISIA TINCTORIA 30 दिन में दो बार
➺ पूरे शरीर में तेज कंपन, इतना कि बिस्तर भी हिलने लगता है, तंत्रिका नियंत्रण खो देना – ZINCUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार
➺ काँपना, मुख्य उपचार – AGARICUS MUSCARIUS-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार।
➺ हाथ-पैरों का काँपना, चीजों को हाथ में नहीं पकड़ सकना, हाथ-पैरों का सुन्नपन – COCCULUS INDICUS-30 दिन में दो बार काँपना, झुनझुनी, मरोड़ आदि – TARENTULA HISPANICA 30 दिन में दो बार ।
➺ शिराओं में सूजन-ZINCUM METALLICUM-30 दिन में दो बार