L – Medicines

लाइसीन (Lyssin)

परिचय-लाइसीन औषधि पागल कुत्ते के लार से बनाई जाती है। इस औषधि का प्रभाव बहुत ही गंभीर, लम्बे समय तक, स्थायी और निश्चित रहता है।यदि कोई रोगी उबलते हुए पानी तथा बहते हुए पानी को देखता है तो उसकी परेशानियां बढ़ जाती हैं जैसे पानी को देखने से डर लगना, पागल कुत्ते के काटने से …

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लुपुलस-हुमुलस (Lupulus-Humulus)

परिचय-स्नायु-जाल की ठण्डी पड़ने की स्थिति में इस औषधि की तब उत्तम क्रिया होती है जब इस स्थिति में जी मिचलाता है, चक्कर आते हैं और रात के समय में चिन्ता करने से सिरदर्द हो जाता है।छोटे बच्चों के पीलिया रोग को ठीक करने के लिए लुपुलस-हुमुलस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप बच्चे …

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लुफ्फा बिण्डल (Luffa Bindal)

रिचय-लुफ्फा बिण्डल औषधि का प्रयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। जीर्ण विषम ज्वर (क्रोनिक मलेरिया फीवर), पित्ताशय में दर्द होना, जलोदर रोग, जुकाम होना, यकृत तथा प्लीहा से सम्बन्धित रोग, बवासीर का रोग आदि रोगों को ठीक करने के लिए भी इस औषधि का उपयोग किया जाता है। …

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लुफ्फा अमारा (Luffa Amara)

परिचय-तिल्ली का रोग होने के साथ ही बुखार होना तथा यकृत में खून के संचार की गति में गड़बड़ी उत्पन्न होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लुफ्फा अमारा औषधि का उपयोग करते हैं। इसका प्रयोग शरीर में शक्ति को प्रदान करने के लिए किया जाता है।विभिन्न …

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लोनीसेरा जाइलौस्टियम (Lonicera xylosteum)

परिचय-लोनीसेरा जाइलौस्टियम औषधि का प्रयोग बेहोशी तथा अकड़न को दूर करने के लिए किया जाता है। यदि किसी रोगी के छाती व सिर में रक्त की अधिकता हो जाती है, रोगी अज्ञान हो जाता है, एक आंख की पुतली सिकुड़ी हुई तथा दूसरी फैली रहती है, अधमुंदी आंखे करके रोगी सोया रहता है, चेहरा लाल …

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लोलियम टेमुलेण्टम (Lolium Temulentum)

परिचय-मस्तिष्क में दर्द होना, साइटिका रोग, लकवा (पक्षाघात) आदि में लोलियम टेमुलेण्टम औषधि का प्रयोग करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है। अवसन्नता तथा बेचैनी होने पर भी इसका उपयोग कर सकते हैं।विभिन्न लक्षणों में लोलियम टेमुलेण्टम औषधि का उपयोग-सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी हतोत्साहित हो जाता है तथा किसी भी कार्य …

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लोबेलिया पर्प्यूरासेन्स (Lobelia Purpurascens)

परिचय-शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है तथा इसके साथ ही नाड़ियों में भी कमजोरी आ जाती है और शरीर अधिक सुस्त पड़ा रहता है और श्वास लेने वाली अंगों में लकवा रोग के जैसा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए …

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लोबेलिया इनफ्लेटा (Lobelia Inflata)

परिचय-लोबेलिया इनफ्लेटा औषधि का अधिकतर प्रयोग ऐसे श्वास यन्त्र से सम्बन्धित रोग (डीसिज ऑफ द रेसपीरेट्री ट्रेक्ट) में हुआ करता है जिसमें जी का मिचलाना, उल्टी आना, अधिक कमजोरी होना, छाती में बोझ महसूस होना और सांस लेने में परेशानी आदि लक्षण होता है। इसका प्रयोग कई प्रकार के रोग जैसे- दमा, ब्रोकाइटिस क्रूप खांसी …

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लोबेलिया पर्प्यूरासेन्स (Lobelia Purpurascens)

परिचय-शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है तथा इसके साथ ही नाड़ियों में भी कमजोरी आ जाती है और शरीर अधिक सुस्त पड़ा रहता है और श्वास लेने वाली अंगों में लकवा रोग के जैसा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए …

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लिथियम कार्बोनिकम (Lithimu Carbonicum)

परिचय-चिकित्सा के क्षेत्र में लिथियम कार्बोनिकम औषधि का विशेष प्रभाव श्लेष्मज स्तरों तथा मांसल तंतुओं पर पड़ता है, इसका स्थानीय प्रभाव हृदय, वृक्कों (गुर्दे) और आंखों पर अधिक होता है। इन सभी अंगों से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग लाभदायक होता है। गठिया के रोगों को ठीक करने के लिए भी …

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लाइनम युसिटैटिस्सीमम (Linum usitatissimum)

परिचय-अलसी की पट्टी बांधने से संवेदनशील व्यक्तियों में भयंकर सांस सम्बन्धी रोग उत्पन्न होता है, जैसे- दमा, शीतपित्त (हिवज) आदि। ऐसी दशाओं में लाइनम युसिटैस्सीमम औषधि की क्रिया का प्रभाव तेज हो जाता है। इस औषधि में हाइड्रोस्यानिक एसिड की भी कुछ मात्रा पाई जाती है, जो इस तीव्रता का कारण हो सकती है।मूत्रनलियों में …

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लाइनैरिया (Linaria)

परिचय-लाइनैरिया औषधि पाचनतंत्रों पर प्रमुख क्रिया करती है। यदि किसी रोगी को अधिक डकारें आ रही हो तथा जी मिचलाने के साथ ही मुंह से लार बहने लगता है और इसके साथ ही मलद्वार पर दबाव महसूस हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए लाइनैरिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।जीभ खुदरी, सुखी …

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लिमुलस, जिफासूरा Limulus, xiphosuran

परिचय-लिमुलस औषधि का प्रयोग उन रोगियों के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है जिनमें मानसिक थकान के लक्षण दिखाई देते हैं तथा पाचनतंत्र जिनका खराब रहता है और रोगी के शरीर के दायें भाग में दर्द रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को जब समुद्र में स्नान कराया जाता …

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लाइकोपस वर्जीनिकस (Lycopus virginicus)

परिचय-लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि रक्तचाप को कम करती है, हृदय की धड़कन को कम करती है और हृदय की धड़कन के समय को भी बढ़ाती है तथा मुंह से खून निकलने को रोकती है। इस औषधि की सबसे प्रमुख क्रिया हृदय पर होती है जो डिजेटेलिस औषधि के समान ही है।लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि हृदय के सभी …

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लाइकोपोडियम (Lycopodium)

परिचय-जब तक इसके बीजों को अच्छी तरह पीस नहीं लिया जाए, तब तक यह औषधि निष्क्रिय रहती है। इसके अद्भुत उपचारक गुणों का ज्ञान केवल विचूर्ण तथा शक्तिकृत तनूकरणों से ही हो पाता है।मूत्र तथा पाचन सम्बन्धी विकार रोग, शरीर में दर्द होना, ताजी हवा से आराम मिलना, अधिक बाल झड़ते रहना, छाजन रोग होना, …

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लिलियम टिग्रीनम (Lilium Tigrinum)

परिचय-लिलियम टिग्रीनम औषधि की शक्तिशाली क्रिया गोणिकांगों पर होती है और गर्भाशय की झिल्ली एवं डिम्बग्रन्थियों के रोग ग्रस्त होने पर इसका प्रयोग करने से रोग ठीक हो जाता है।अविवाहित महिलाओं के लिए इसका अधिकाधिक उपयोग किया जाता है, छोटे-छोटे घावों को ठीक करने के लिए तथा जोड़ों के दर्द और सूजन को ठीक करने …

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लियाट्रिस स्पाइकैटा सेर्राटुला (Liatris spicata serratula)

परिचय-लियाट्रिस स्पाइकैटा सेर्राटुला औषधि शरीर की रक्तवाहिनियों को उत्तेजित करती है। यह त्वचा और श्लैष्मिक झिल्लियों की क्रियात्मक शक्ति को बढ़ा देती है।यकृत और प्लीहा सम्बन्धित रोगों से उत्पन्न सूजन तथा गुर्दे के रोग के कारण उत्पन्न सूजन को ठीक करने के लिए लियाट्रिस स्पाइकैटा सेर्राटुला औषधि का उपयोग करना चाहिए।लियाट्रिस स्पाइकैटा सेर्राटुला औषधि मूत्र …

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ल्यूकस आस्पेरा (Leucas Aspera)

परिचय-ल्यूकस आस्पेरा औषधि का प्रयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है, ये रोग इस प्रकार हैं- दमा के साथ खांसी होना, पेचिश, कामला (पीलिया), सविराम ज्वर, यकृत एवं प्लीहा का बढ़ना, शरीर में जहर फैलना, पशुओं द्वारा काट दिये जाने के कारण उत्पन्न रोग तथा चर्म रोग।यदि किसी …

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लैपटेण्ड्रा Leptandra

परिचय-लैपटेण्ड्रा औषधि यकृत के दोषों को दूर करने वाला होता है, यदि किसी रोगी को काला अलकतरा जैसा मल हो रहा हो तथा साथ में पीलिया रोग हो गया हो तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए लैपटेण्ड्रा औषधि का प्रयोग लाभदायक है।पित्त की अवस्था तथा यकृत के सिरे से खून निकलने लगता …

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लेपिडियम बोनारिएन्स Lepidium Bonariense

परिचय-लेपिडियम बोनारिएन्स औषधि का प्रयोग स्तन तथा हृदय सम्बन्धी रोगों को ठीक करने के लिए उस समय किया जाता है, जब इन रोगों में रोगी को चीरे जैसा दर्द हो रहा हो।हृदय रोग होने के साथ ही रोगी के बाईं बांह में सुन्नपन और दर्द होता है तथा पेट में धंसने जैसा दर्द महसूस होता …

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