H – Medicines

हाइपेरिकम Hypericum

परिचय-शरीर के किसी भी अंगों पर चोट लग गई हो तो चोट ग्रस्त भाग के तन्त्रिकाओं, विशेषरूप से हाथों और पैंरों की उंगलियों तथा नाखूनों से सम्बद्ध तन्त्रिकाओं के रोग ग्रस्त भागों को ठीक करने के लिए हाइपेरिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए।कुचली हुई उंगलियां, विशेष रूप से नोकों पर तथा इसके साथ ही उंगलियों …

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हायोसाएमस Hyoscyamus

परिचय-हायोसाएमस औषधि पागलपन की अवस्था तथा बेहोशी की समस्या को दूर करने के लाभदायक औषधि है। पागलपन की स्थिति से पीड़ित रोगी के रोग की शुरुआती अवस्था बहुत अधिक गम्भीर होती है, फिर इसके बाद रोगी की अवस्था स्थिर हो जाती है और शरीर में कमजोरी बढ़ जाती है, यह कमजोरी और बेहोशी इस कदर …

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हाइड्रोफोबीनम Hydrophobinum

परिचय-हाइड्रोफोबीनम औषधि का मुख्य रूप से प्रभाव स्नायु प्रणाली पर पड़ता है। सम्भोग की बढ़ी हुई इच्छा के कारण उत्पन्न होने वाले रोग, बहता हुआ पानी या रोशनी देखने का कारण होने वाले बेहोशी को दूर करने के लिए इस औषधि का उपयोग लाभदायक है।इस प्रकार के रोगों से पीड़ित रोगी हर समय थूकता रहता …

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हाइड्रोसियानिकम ऐसिड Hydrocyanicum Acid

परिचय-हाइड्रोसियानिकम ऐसिड औषधि का दूसरा नाम ऐसिड है। यह औषधि एक प्रकार का जहर है तथा इस औषधि की एक बून्द सेवन करने से कुछ ही समय में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, लेकिन जब इस औषधि का शक्तिदायक रूप में प्रयोग किया जाता है तो यह लाभदायक होता है, जैसे हैजा …

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हाइड्रोकोटाइल एशियाटिका Hydrocotyle Asiatica

परिचय-हाइड्रोकोटाइल एशियाटिका औषधि का प्रयोग ऐसे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है जिनके कारण शरीर के किसी भाग में जलन तथा अनेक भागों में कोशकी-प्रफलन (सेलुलर प्रोलिफरेशन) होता है। शरीर के किसी ऊतक का अधिक बढ़ जाना तथा उसमें कठोरता आना, कुष्ठ या चर्म रोगी के लक्षण आदि को ठीक करने में …

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हाइड्रैस्टिस(हाइड्रैस्टिस कैनेडेन्सिस) Hydrastis

परिचय-हाइड्रैस्टिस औषधि की क्रिया श्लेष्म कलाओं पर अधिक होती है जिसके फलस्वरूप उनसे गाढ़ा, पीला, रेशेदार स्राव होता है। यदि किसी रोगी के गले, आमाशय, गर्भाशय तथा मूत्रनली से अधिक मात्रा में गाढा़ लसलसा पदार्थ निकलने लगता है तो इस प्रकार के रोगी का उपचार करने के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए।शरीर के कई भागों …

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हाइड्रैंजिया Hydrangea

परिचय-मूत्रनली तथा मूत्र (पेशाब) में अधिक मात्रा में सफेद रंग के अणु जैसे लवण हो जाते हैं जिसको नष्ट करने के लिए हाइड्रैंजिया औषधि का उपयोग करना चाहिए।मूत्राशय में पथरी होने तथा अण्डाशय में दर्द होने और साथ ही पेशाब के साथ खून की कुछ मात्रा भी आता हो तो ऐसे रोगी के रोग को …

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हूरा ब्राजीलिएनिसस Hura Braziliensis

परिचय-हूरा ब्राजीलिएनिसस औषधि का उपयोग कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए तब किया जाता है, जब रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका शरीर किसी गीली खाल से बंधा हुआ है और उसके शरीर के कई अंगों पर छाले पडे़ हो तथा नाखून के नीचे कांटा चुभने जैसा अहसास हो रहा हो, माथे …

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होमारस Homarus

परिचय-होमारस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-अपच से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी रोगी को अपच (भोजन का न पचना-डाइपेशिया) हो गया हो तथा इसके साथ ही गले में जलन हो रही हो और इसके साथ ही रोगी के सिर में दर्द हो रहा हो तो ऐसे रोगी …

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हलोनियस डायोइका Helonias Dioica

परिचय-अधिकतर हेलोनियस डायोइका औषधि का उपयोग स्त्रियों के रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। स्त्रियों के शरीर में खून की कमी तथा गर्भाशय के अपने स्थान से हट जाने पर मानसिक अथवा अधिक कार्य करने के कारण स्वास्थ्य का नष्ट हो जाना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्रियों के रोगों …

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हेलोडर्मा Heloderma

परिचय-यदि किसी रोगी के शरीर के अगों में लकवा जैसी अवस्था प्रकट हो गई हो तथा शरीर के कई अंगों में कंपन हो रही हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलोडर्मा औषधि का उपयोग करना चाहिए।हेलोडर्मा औषधि की सर्वाधिक असाधारण क्रिया चूहे की आंख पर पाई …

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हेलीबोरस नाइजर HELLEBORUS

परिचय-मस्तिष्क के आवरण में जलन होना, उनमें से खून बहने का डर लगना या दूषित द्रव का स्राव (बहना) हो रहा हो तो ऐसे लक्षणों में हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना चाहिए।रोगी अधिक चिल्ला रहा हो तथा चिल्लाने के साथ ही अपना सिर तकिये पर इधर-उधर पटक रहा हो, दिमाग काम करना बन्द कर …

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हैलियांथस Helianthus

परिचय-हैलियांथस औषधि का उपयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने लिए किया जाता है जैसे- नजला, जुकाम, सर्दी तथा नाक के अन्दर मोटी पपड़ियां जमना आदि। इस औषधि के प्रभाव से ये रोग ठीक हो जाते हैं तथा रोगी को अधिक आराम भी मिलता है।हैलियांथस औषधि का निम्नलिखित रोगों को ठीक करने में उपयोग …

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हेक्ला लावा HECLA LAVA

परिचय-मसूढ़ों, हडि्डयों तथा दांतों पर हेक्ला लावा औषधि का अधिक प्रभाव पड़ता है जिसके फलस्वरूप इन अंगों से सम्बन्धित रोग ठीक हो जाते हैं। हेक्ला लावा औषधि ज्वालामुखी से निकले हुए राख से बनायी जाती है।जबड़ों पर हेक्ला लावा औषधि की क्रिया का विशेष प्रभाव पड़ता है। हडि्डयों का रोग, मसूढ़ों से निकलने वाले फोडे़ …

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हेडियोमा (HEDEOMA)

परिचय-हेडियोमा औषधि स्त्री रोग के लक्षणों जो प्राय: स्नायु से सम्बन्धित होते हैं, में लाभकारी होती है।पेशाब में लाल रेत के कण आने, मूत्रनली में दर्द होने तथा पेट में दर्द होने पर इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।सिरोंचा जहर के प्रभाव को नष्ट करने के लिए …

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हायोसियामस नाइजर Hyoscyamus

परिचय-ठण्ड लगने या ठण्डी हवा लग जाने के कारण उत्पन्न रोगी की अवस्था, ऐसे रोगियों की मानसिक प्रकृति ईष्यालु (झगड़ालु) होती है। शरीर में कमजोरी बढ़ने लगती है तथा किसी प्रकार का दिमागी रोग उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार के लिए हायोसियामस नाइजर औषधि का उपयोग करना …

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हायोसियामस नाइजर Hyoscyamus

परिचय-ठण्ड लगने या ठण्डी हवा लग जाने के कारण उत्पन्न रोगी की अवस्था, ऐसे रोगियों की मानसिक प्रकृति ईष्यालु (झगड़ालु) होती है। शरीर में कमजोरी बढ़ने लगती है तथा किसी प्रकार का दिमागी रोग उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार के लिए हायोसियामस नाइजर औषधि का उपयोग करना …

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हेमैमेलिस वर्जिनिका Hamamelis virginica

परिचय-शरीर के किसी भी भाग से खून बहने पर उसको रोकने के लिए हेमैमेलिस वर्जिनिका औषधि का उपयोग करना चाहिए। इससे रोगी को अधिक लाभ मिलता है। कभी-कभी काला और जमा हुआ थक्का की तरह का खून निकलता है और इस प्रकार खून का बहना शरीर के किसी भी भाग से जैसे नाक, जरायु (युटेरस), …

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हेमाटॉक्सीलन HAEMATOXYLON

परिचय-हेमाटॉक्सीलन औषधि का उपयोग उन रोगियों के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है जिनमें रोगी को शरीर में सिकुड़न महसूस होती है और ऐसा लगता है जैसे छाती के आर-पार कोई डण्डी रखी हो। गले का दर्द तथा फेफड़े के दर्द को ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना चाहिए …

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हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस गोल्डन सील (Golden seal)-हाइ-कैने (Hydras-can) 

परिचय-जब रोगी स्त्री, शरीर की श्लैष्मिक झिल्लियों के रोगों से पीड़ित होती है तो उसके गर्भाशय, वायु-नली तथा पेट की श्लैष्मिक-झिल्ली से भी डोरी जैसी श्लैष्मा (कफ) बाहर निकलती है। रोगी पुराने कब्ज के रोग से भी पीड़ित होता है-ऐसा कब्ज जिसका कोई विशेष लक्षण नहीं होता है। इस प्रकार के लक्षणों में हाड्रेस्टिस कैनाडिन्सस …

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