परिचय-
स्टैनम मेटालिकम औषधि को वैसे तो बहुत से रोगों के लक्षणों में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन फिर भी हाथ-पैरों में किसी तरह की कमजोरी आने पर इस औषधि को रोगी को देने से बहुत लाभ मिलता है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर स्टैनम मेटालिकम औषधि से होने वाले लाभ-
बुखार से सम्बंधित लक्षण- बुखार के लक्षणों में रोगी को सबसे पहले बहुत तेज ठंड लगती है, रोगी को टायफाइड बुखार होना, फेफड़ों के आसपास के भाग और सांस की नलियों में किसी तरह का रोग हो जाने पर रोगी को हर समय हल्का-हल्का सा बुखार बना रहता है, रोगी को ठंड लगना सुबह के लगभग 10 बजे के आसपास शुरू होती है और रोगी की उंगलियो का आगे का भाग सुन्न पड़ जाता है, रोगी को सुबह के लगभग 4 बजे के आसपास बहुत गंदा, बदबूदार पसीना आता है और पसीना आने के साथ ही रोगी को कमजोरी भी महसूस होती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।
पुरुष रोगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी को रात में सोते समय अपने आप ही वीर्य निकल जाना, रोगी की यौन उत्तेजना बहुत तेज होना, रोगी की जननेन्द्रियों का बिल्कुल ठंडा पड़ जाना, रोगी एक पैर सिकोड़कर और दूसरा पैर फैलाकर सोता है आदि लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देना बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
मन से सम्बंधित लक्षण- रोगी का हर समय दुखी सा रहना, रोगी का मन करता है कि वह हर समय चीखता-चिल्लाता रहे लेकिन चिल्लाने से रोगी की हालत खराब हो जाती है, रोगी का किसी के द्वारा पूछे गए सवालों का सही तरह से जवाब न दे पाना, ज्यादा लोगों को एकसाथ देखकर रोगी डरने लगता है, रोगी बच्चा चाहता है कि उसे कंधे पर बैठाकर घुमाया जाए आदि लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से रोगी कुछ ही समय में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है।
स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- स्त्रियों में प्रदर-स्राव (योनि में से पानी आना) आने के कारण कमजोरी सी महसूस होना और स्त्री को ऐसा महसूस होना जैसे कि सबसे ज्यादा कमजोरी छाती पर आ रही है, स्त्री को छींके आने के साथ ही प्रदरस्राव (योनि में से पानी आना), स्त्री का मासिकस्राव आने से पहले स्त्री में यौन उत्तेजना तेज होने के कारण वह पागलों की तरह चिल्लाती है, स्त्री का मासिकस्राव का समय आने से पहले बहुत जल्दी-जल्दी और ज्यादा मात्रा में खून का स्राव आता है, स्त्री का मासिकस्राव आने से पहले उदासी सी छा जाना आदि लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
बाहरीय अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपने हाथ और पैरों में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है, रोगी के हाथ की हथेलियों और पैरों के तलुवों में जलन होना, रोगी को अपने हाथ और पैरों में दबाव, खिंचाव और जलन सी महसूस होती है, रोगी जब थोड़ी दूर पैदल चलता है तो उसको रास्ते में कई बार बैठना पड़ता है, रोगी को अपने शरीर में इतनी ज्यादा कमजोरी महसूस होती है कि अगर रोगी कुर्सी या जमीन पर भी बैठना चाहता है तो वह नीचे गिर पड़ता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि का सेवन करना बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है।
सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर में स्नायविक सिर का दर्द जो शुरू में धीरे-धीरे होता है और बाद में बहुत तेज होता है, सिर का दर्द काफी दिनों तक रहता है और धीरे-धीरे से कम होता हुआ चला जाता है, सिर में दर्द होने के साथ ही रोगी की आंखें और चेहरे का पीला पड़ जाना और आंखों का अंदर की ओर धंस जाना आदि लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।
गले से सम्बंधित लक्षण- गाना-गाने वाले या ज्यादा बोलने वाले लोगों की आवाज का खराब हो जाना, स्वरभंग में गहराई से उठकर आने वाला खोखला स्वर जो खांसी आने या बलगम निकलने पर ठीक हो जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।
मुंह से सम्बंधित लक्षण- रोगी के मुंह का स्वाद बहुत ज्यादा खराब हो जाना, रोगी को पानी के अलावा हर चीज कड़वी सी लगती है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देना लाभकारी रहता है।
आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी को आमाशय में खालीपन सा महसूस होना, रोगी के नाभि प्रदेश में तनाव के साथ रोगी का शरीर सूखते जाना, रोगी को भूख तो बहुत तेज लगती है लेकिन उससे भोजन खाया नहीं जाता, रोगी के आमाशय में किसी तरह का जख्म होने के कारण बहुत तेजी से दर्द उठना जिसमे दर्द धीरे-धीरे से शुरु होकर फिर तेज होकर थोड़ी देर रुकता है और फिर धीरे-धीरे कम होता हुआ शांत हो जाता है, रोगी चाहे जितना भी भोजन कर ले फिर भी वो भूख-भूख करता रहता है, रोगी को कड़वी सी डकारें आना, रोगी को सुबह के समय उठने पर उबकाइयां आती है और उल्टी आती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
मूत्र (पेशाब) सम्बंधित लक्षण- रोगी को पेशाब आता है तो उसका मन पेशाब करने का बिल्कुल नहीं करता, रोगी की पेशाब करने की पेशियों का सही तरह से काम न कर पाना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को स्टैनम मेटालिकम औषधि का सेवन कराने से रोगी को लाभ मिलता है।
वृद्धि-
बोलने से, गले का ज्यादा प्रयोग करने से, सुबह के समय लगभग 10 बजे, दाईं करवट लेटने से, सीढ़िया चढ़ने से, हंसने से, कोई भी गर्म पेय पदार्थ पीने से, किसी तरह की हरकत करने से रोगी का रोग बढ़ जाता है।
शमन-
जोर से दबाने से, बलगम के निकल जाने के बाद, तेजी से कोई हरकत करने से रोगी का रोग कम हो जाता है।
प्रतिविष-
हिपर और पल्स औषधि का उपयोग स्टैनम मेटालिकम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
अनुपूरक-
पल्सटिला।
तुलना-
स्टैनम मेटालिकम औषधि की तुलना काष्टिकम के साथ की जा सकती है।