परिचय-
सिम्फोरीकार्पस रेसमोसा औषधि स्त्रियों में गर्भाकाल के दौरान होने वाली अविराम वमन (लगातार उल्टी का होना) और जी का मिचलाना जैसे लक्षणों में बहुत असरकारक साबित होती है।
इसके अलावा पेट में कब्ज का बनना, आमाशय की परेशानियां, मुंह में पानी भर जाना, मुंह का स्वाद खराब हो जाना, किसी भी तरह के भोजन को देखते ही जी का खराब हो जाना, मासिकस्राव के समय जी का मिचलाना आदि में भी ये औषधि लाभदायक साबित होती है।
वृद्धि-
रोग किसी भी प्रकार की गति करने से बढ़ जाता है।
शमन-
पीठ के बल लेटने से रोग कम हो जाता है।
मात्रा-
रोगी को सिम्फोरीकार्पस रेसमोसा औषधि की 2 से 3 शक्ति तक देनी चाहिए।
जानकारी-
रोगी को सिम्फोरीकार्पस रेसमोसा औषधि की 200 शक्ति तक नियमित रूप से देने से रोगी कुछ ही दिनों में बिल्कुल पहले की तरह स्वस्थ हो जाता है।