यौन रोग

आप अगर किसी भी गुप्त रोग या यौवन रोग से पीड़ित है तो नीचे लिखी होम्योपैथिक दवाइयों को लक्षणों के आधार पर चुने और साथ ही हरे धनिये की 5 या 6 ताजी जड़ों को अच्छे से धुलें और मिक्शी में पीस लें और अलग से एक गिलास पानी को किसी बर्तन में उबाल लें तथा उबलते हुए पानी में पीसी हुई धनिये की जड़ो को डाल दें और साथ ही तुरंत बर्तन को आग से उतार लें और बर्तन को ढककर ठंडा होने के लिए रख लें और जब पानी ठंडा हो जाये तो उसको  बारीक कपड़े से छानकर खाली पेट पूरा  पियें यह क्रिया हफ्ते में दो बार सुबह के समय करें।  

➺  अत्यधिक काम उत्तेजना, यौन अधिकता या अत्यधिक संयमजनित विकार- CONIUM MACULATUM-30 दिन में दो बार सुबह-शाम ।

➺ अत्यधिक वीर्यस्त्राव से उत्पन्न रोग-AGNUS CASTUS 30 हर छह घंटे पर।

➺ यौन अधिकता से जनित रोग – THUJA 30 दिन में तीन बार.

➺ गुप्तांगों के ढीलेपन की ओर हमेशा ध्यान रहना-KALIUM CARBONICUM 30 दिन में तीन बार या PHOSPHORUS- 200 दो सप्ताह में एक बार ।

➺ आतशक के प्रारंभिक घाव – SULPHURICUM ACIDUM 200 सप्ताह में एक खुराक (यह उपचार पहले रोग बढ़ाता है, फिर ठीक करता है ।

➺ आतशक, घाव लाल, चपटा तथा अत्यंत संवेदनशील और कभी-कभी पीड़ायुक्त होता है – CORALLIUM RUBRUM 30 की एक खुराक रोज लें।

➺ पति तथा बच्चों से महिलाओं में विरक्ति-SEPIA 30 सप्ताह में एक खुराक।

➺ नजदीकी रिश्तेदारों से विरक्ति- PICRIC ACID 6 दिन में तीन बार । 

➺ विपरीत सेक्स से विरक्ति, सहवास की कोई इच्छा नहीं, सहवास के बाद स्थिति अधिक बदतर – SEPIA 200 एक खुराक । जब भी लक्षण उत्पन्न हों तो खुराक को दुहराया जा सकता है। 

➺ शुक्राणुहीनता, लिंग के ढीलेपन के कारण सहवास करने में असमर्थ, शीघ्रपतन, प्रोस्ट्रेट ग्रंथियाँ अधिक सक्रिय – Damiana-Q सुबह तथा शाम को आधे गिलास पानी में बीस बूँदें (यह वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाता है)।

➺ योनि की शुष्कता के कारण सहवास में असमर्थता – LYCOPODIUM 200 की सप्ताह में एक खुराक ।

➺ सहवास के बाद रोगों का उभरना । Acid Fluoric-30 दिन में दो बार ।

➺ पुरुष व महिला दोनों में तीव्र यौनेच्छा, हर कार्य जल्दबाजी में करना  TARENTULA HISPANICA-30 दिन में दो बार ।

➺ नपुंसकता, सहवास का प्रयास करने पर उत्तेजना समाप्त हो जाती है – ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार ।

➺ नपुंसकता, यौनांगों की कमजोरी CALADIUM-6 और SELENIUM METALLICUM 30 दिन में दो बार ।

➺ नपुंसकता और स्वप्नदोष, जब दिमाग कामुक विचारों को नियंत्रित करने में अक्षम होता है – PICRIC ACID-30 दिन में तीन बार 

➺ उत्तेजना नहीं होने के कारण नपुंसकता – ARGENTUM METALLICUM 200 दो सप्ताह में एक बार।

➺ नपुंसकता, उपचार के लिए SULPHUR 200 की एक खुराक, इसके चार घंटे बाद CALCAREA CARBONICA 200 की एक खुराक। अगले दिन LYCOPODIUM – 1M की एक खुराक दो सप्ताह तक प्रतीक्षा करें और फिर ऊपर का क्रम दोहराएँ । यदि नपुंसकता हस्तमैथुन के कारण है तो BARYTA CARBONICA 200 हर सप्ताह या CALADIUM 30 दिन में दो बार 

➺ नपुंसकता, हस्तमैथुन के कारण, सहवास का प्रयत्न करने पर लिंग का उत्थान नहीं होता, इस कारण यौनेच्छा और यौन क्रिया का अभाव, धीमा और कमजोर उत्थान और शीघ्रपतन, सहवास के बाद कमजोरी महसूस होना SELENIUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार । 

➺ नपुंसकता, यौनशक्ति में कमी-YOHIMBINUM –Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार ।

➺ नपुंसकता, अत्यधिक यौन क्रिया या हस्तमैथुन के कारण – Staphysagria-30 दिन में तीन बार

➺ नपुंसकता, लिंग में चोट लगने के कारण पुरुष स्त्री को गर्भवती बनाने में अक्षम – HYPERICUM PERFORATUM 30 दिन में तीन बार

➺ नपुंसकता, पुरुषों में यौन अधिकता से-CALADIUM 30 दिन में दो बार।

➺ नपुंसकता, सहवास के दौरान वीर्य न निकलने से नपुंसकता और महिलाओं को गर्भवती बनाने की कम संभावना-NATRIUM MURIATICUM 30 दिन में तीन बार लें।

➺ नपुंसकता, पतले वीर्य के कारण, यौन अधिकता, बुरी आदतों के कारण लिंग का उत्थान नहीं होना – NATRIUM PHOSPHORICUM 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ नपुंसकता, सहवास के दौरान शीघ्रपतन, अंडकोषों की वृद्धि – CARBONEUM SULPHURATUM-30 दिन में तीन बार।

➺ नपुंसकता, अत्यधिक यौनइच्छा, सहवास किए बिना ही वीर्यपात और . दर्दयुक्त स्खलन- CONIUM MACULATUM 200 दो सप्ताह में एक खुराक ।

➺ नपुंसकता, लिंग में ढीलापन, उत्थान का अभाव, हमेशा चिंतित, उदास और निराश रहना- ANACARDIUM ORIENTALE-30 दिन में तीन बार । 

➺ अंडाशय या अंडकोष में ग्रंथियों का कठोरपन, यौनइच्छा को बढ़ाकर नपुंसकता को उत्पन्न करता है- Staphysagria-30 दिन में तीन बार ।

➺ अंडकोषों की सूजन-SPONGIA TOSTA 6 दिन में तीन बार

➺ निचले अंगों में संकुचन, कमजोरी, अत्यंत कब्ज और पेट को ऊपर की ओर खींचा जाना महसूस करना- PLUMBUM METALLICUM 200 की एक खुराक रोजाना । 

➺ लोकोमोटर एटेक्सिया, निचले अंगों में काफी भारीपन, मुश्किल से उन्हें घसीट सकते हैं, चलने के दौरान घिसटते हैं और बैठना जरूरी हो जाता है। केवल खुली आँखों और दिन के समय ही चल सकते हैं, सीढ़ी चढ़ते समय एड़ी में सुन्नता, अत्यंत थकान, आराम के लिए बैठना जरूरी – ALUMINA 200 की एक खुराक।

➺ लोकोमोटर एटेक्सिया, लिंग का यंत्रणादायक उत्थान और सोते ही स्खलन – PICRIC ACID 200 दिन में दो बार ।

➺ उन्माद, बेकार की बातें करना, महिलाओं को चूमने की इच्छा, मानसिक अवसाद, प्रश्न पूछने पर उत्तर न देना, हमेशा खुद से बातें करना, रोना और गाना – AGARICUS MUSCARIUS-30 की एक खुराक रोजाना तब तक जब तक लक्षण बरकरार रहें ।

➺ उन्माद, खुद को महान् मानना, यौन क्रिया का उन्माद (पुरुषों में) PHOSPHORUS-200 की एक या दो खुराक ।

➺ उन्माद, चीजों को तोड़ने-फोड़ने की इच्छा, सेक्स या धर्म की बातें करना, चुप रहने की प्रवृत्ति, लेकिन चिढ़ने पर डाँटना-फटकारना, गाली देना और दूसरे के दोषों के बारे में बात करना-VERATRUM ALBUM-30 दिन में दो बार ।

➺ स्त्रियों में हस्तमैथुन, श्वेत प्रदर के साथ, अनियमित, लंबा तथा प्रचुर मासिक धर्म – GRATIOLA-3 हर आठ घंटे पर या GRATIOLA- 30 सुबह शाम।

➺ स्त्रियों द्वारा हस्तमैथुन – PLATINUM METALLICUM-30 दिन में दो बार । 

➺ अधिक हस्तमैथुन, ज्यादा कमजोरी, हाथों में कमजोरी और कंपन GELSEMIUM SEMPERVIRENS 30 हर चार घंटे पर ।

➺ हस्तमैथुन, यौनांगों में जलन – ORIGANUM MAJORANA-3 दिन में दो बार, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त।

➺ निंफोमेनिया (कामोन्माद), पुरुषों व स्त्रियों-दोनों में सेक्स के विचार अनिद्रा उत्पन्न करते हैं, यौनांगों में अत्यधिक दर्द के साथ तीव्र फुलाव – CANTHARIS VESICATORIA 200 की एक खुराक रोजाना ।

➺ कामोन्माद, लेटने से बढ़ता है, अत्यधिक यौनेच्छा, यौनांग अत्यंत संवेदनशील, किसी प्रकार का स्पर्श सहन न होना, मेडिकल जाँच के दौरान भी उनमें तनाव होना-PLATINUM METALLICUM 200 की कुछ खुराकें। 

➺ ओलिगोस्पर्मिया (वीर्य में शुक्राणुओं की कमी), महिलाओं को देखकर जल्दी उत्तेजित हो जाना, छोटे और संकुचित अंडकोष, वीर्य में शुक्राणुओं का अभाव – Strychninum-30 दिन में तीन बार ।

➺ वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, यदि अधिक यौनेच्छा के बावजूद लंबे समय तक सहवास से दूर रहे हों। इसके कारण वीर्य के निर्माण में और साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या में कमी आती है CHININUM SULPHURICUM-30 दिन में तीन बार ।

➺ वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, युवाओं में, अधिक हस्तमैथुन के कारण, उत्तेजना नहीं या पैंतीस-चालीस की आयु में वीर्य में शुक्राणुओं की कमी हो जाए तो – PLATINUM METALLICUM 6 दिन में तीन बार

➺ हस्तमैथुन, विवाहित होने के बावजूद हस्तमैथुन की तीव्र इच्छा USTILAGO MAYDIS माइडिस-3 दिन में दो बार और उसके चार घंटे बाद AGNUS CASTUS 30 हर दिन, एक सप्ताह तक (जब तक स्वास्थ्य अच्छा न हो जाए) या DAMIANA-Q सुबह के समय पाँच बूँदें और एसिड PHOSPHORUS–Q की पाँच बूँदें दोपहर के भोजन के एक घंटे बाद और रात में सोने से पहले या AVENA SATIVA-Q की पाँच से दस बूँदें दिन में दो बार, राहत मिलने तक। 

➺ हस्तमैथुन – एसिड PHOSPHORUS-30, उसके चार घंटे बाद SELENIUM METALLICUM 30 और उसके चार घंटे बाद AGNUS CASTUS-30 एक सप्ताह तक लें। अंडाशय में दाईं ओर पीड़ा, सुन्नता, दर्द दाईं जाँघ तक फैलता है PODOPHYLLINUM 200 दिन में दो बार

➺ अंडाशय में दर्द, मासिक धर्म के आरंभ होते ही गायब हो जाता है, लेकिन उसके समाप्त होते ही फिर शुरू हो जाता है – ZINCUM METALLICUM 30 दिन में दो बार

➺ अंडाशय में रसौली या ट्यूमर- ARGENTUM METALLICUM 200 दो सप्ताह में एक बार।

➺ अंडाशय का बढ़ जाना और उसमें दर्द-सेबल SABAL SERRULATA –Q की पाँच बूँदें दिन में दो बार

➺ बाएँ अंडाशय में दर्द, कालापन लिये रक्त के स्राव के साथ- LACHESIS 200 दो सप्ताह में एक खुराक । में 

➺ अंडाशय में चाकू से काटने जैसा दर्द- SABADILLA-30 दिन में तीन बार लिंग का क्षय, हस्तमैथुन और अत्यधिक वीर्यपात से ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार ।

➺ यौन उत्तेजना के समय भी लिंग का शिथिल रहना, उत्तेजना नहीं, मानसिक अवसाद के साथ नपुंसकता CALADIUM 30 की एक खुराक रोजाना लें।

➺ लिंग में दर्द और सूजन-CANNABIS INDICA – 30 दिन में एक बार खाएँ।

➺ लिंग की अग्र त्वचा का सख्त हो जाना—JACARANDA CAROBA- एक्स, दिन में दो बार ।

➺ अग्र त्वचा का सख्त होना, ठंड, गरमी तथा नम मौसम के प्रति संवेदनशील, दाईं करवट सोने पर बढ़ता है; प्रचुर लार, मुँह से दुर्गंध, जीभ बड़ी और शिथिल, काफी पसीना चलना और इसके कारण लक्षण तीव्र हो जाते हैं; अत्यंत कमजोरी और कंपन Mercurius Vivus 30 और MERCURIUS SOLUBILIS-30 दोनों दिन में दो बार

➺ अग्र त्वचा का सख्त होना, मूत्र में जलन और संवेदनशील मूत्रमार्ग – Cannabis sativa-30 दिन में तीन बार वीर्य स्खलन, रात में, हस्तमैथुन करने के बाद भी ARGENTUM METALLICUM 30 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ जल्दी वीर्य स्खलन – STANNUM METALLICUM-200 की एक खुराक रोजाना लें। 

➺ मल त्याग या मूत्र त्याग के दौरान जोर लगाने पर वीर्यस्त्राव – SALIX NIGRA-30 दिन में दो बार लें।

➺ वीर्यस्राव, खड़े होने, बैठने, चलने, सवारी करने आदि के दौरान SELENIUM METALLICUM 200 की दिन में एक खुराक खाएँ

➺ वीर्यस्राव, मल-त्याग के दौरान, खासकर कब्ज और यौन कल्पना के कारण – SILICEA-30 केवल सुबह के समय लें।

➺ वीर्यस्त्राव – THUJA -Q, पाँच बूँदें सीधे जीभ पर, जब तक राहत न मिले।

➺ यौनेच्छा कम या बिलकुल नहीं – KALIUM SULPHURICUM 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ मासिक धर्म के बाद तीव्र यौनेच्छा – KALIUM PHOSPHORICUM 30 हर छह घंटे पर |

➺ मोटे लोगों में यौनेच्छा का हस – KALIUM BICHROMICUM 30 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ यौनांग अत्यंत संवेदनशील, नैपकिन का स्पर्श भी सहन नहीं होता – PLATINUM METALLICUM 30 की एक खुराक प्रतिदिन लें ।

➺  यौन-शक्ति का हस, अंडकोषों के क्षय या अतिवृद्धि के कारण – iodum 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ यौन कमजोरी, पौरुष ग्रंथि से लगातार स्राव, जो यौन कमजोरी को जन्म देता है, सहवास के दौरान लिंग का ढीलापन- SULPHUR 30 की दो खुराक – एक सुबह और दूसरी दोपहर में ।

➺ यौन कमजोरी, पुरुषों में, तीव्र इच्छा के बावजूद सहवास करने में असमर्थता, महिला के विचार या उपस्थिति से ही स्खलन हो जाना, उत्थान अपर्याप्त, कम समय तक रहता है और रोगी कमजोरी से पीड़ित होता है, जो दिमाग को प्रभावित करता है— CONIUM MACULATUM मैकुलेटम – 30 हर छह घंटे पर लें।

➺ यौन कमजोरी-LYCOPODIUM 1M की एक खुराक और SELENIUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार, पंद्रह दिनों तक ।

➺ यौन कमजोरी, पीठ दर्द के साथ SELENIUM METALLICUM 30 सुबह शाम और भोजन के बाद KALIUM PHOSPHORICUM-6X एक बार में पाँच गोलियाँ।

➺ स्वप्नदोष – BARYTA CARBONICA 30, GELSEMIUM SEMPERVIRENS 30 दिन में तीन बार एक के बाद एक आजमाएँ या DIGITALIS-30

➺ सूजाक के बाद मूत्र-त्याग में परेशानी – PLUMBUM METALLICUM – 30, दिन में दो बार । 

➺ सिफलिस, ग्रंथियों के बढ़ने के साथ प्राथमिक तथा द्वितीय अवस्था में, हड्डियों में दर्द, रात और नम मौसम में बदतर – Mercurius Vivus – 200 और MERCURIUS SOLUBILIS- 200 दोनों एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ सिफलिस, प्राथमिक उपदंश – MERCURIUS CORROSIVUS 200 दिन में एक खुराक, बाद के चरण में SYPHILINUM 30 सप्ताह में तीन बार । 

➺ सिफलिस, लिंग में निरंतर जलन, मूत्र का बूँदों में टपकना- CANTHARIS VESICATORIA X आधे कप पानी में दस बूँदें, सुबह-शाम 

➺ सिफलिस, बाल गिरना- SELENIUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार ।

➺ सिफलिस, सभी चरणों का, खासकर तृतीयक, गाँठों के लक्षणों के साथ- KALIUM IODATUM-30 दिन में तीन बार

➺ सिफलिस, द्वितीय चरण में, मरकरी के इस्तेमाल से जटिल, गला दुखना- GUAIACUM-6 हर छह घंटे पर।

➺ सिफलिस रोग, जब मरकरी का दुरुपयोग किया जाए, रोगी अति संवेदनशील, मुँह से दुर्गंध; मुँह, नाक और गले के रोग, प्राथमिक उपदंश, गाँठों में मवाद, मवादयुक्त स्राव – HEPAR SULPHUR-200 की एक खुराक रोजाना।

➺ सिफलिस उपदंश, इनगुइनल ग्रंथि की सूजन के साथ, मवाद नहीं – MERCURIUS IODATUS रूबर 30 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ अंडकोष और लिंग का सिकुड़ जाना, यौन अधिकता या दमित इरप्शन के कारण PLUMBUM METALLICUM-200 दो सप्ताह में एक बार । अंडकोषों का कमजोर होना और गाँठ पड़ना – CALCAREA FLUORICA 6 दिन में तीन बार ।

➺ अंडकोषों का बढ़ जाना, दर्द और खासकर दाएँ अंडकोष में सूजन, गठिया या सूजाक के कारण, पाँवों को एक के ऊपर एक रखकर सोना – RHODODENDRON 30 दिन में दो बार

➺ सिफलिस के कारण दाएँ ओर के अंडकोष का सूज जाना AURUM METALLICUM 30 की एक खुराक रोजाना ।

➺ अंडकोषों में सूजन, उनका सख्त हो जाना, वीर्यनली में अधिक पीड़ा SPONGIA TOSTA-30 दिन में दो बार

➺अंडकोषों में सूजन, अंडकोषों का बढ़ना, उनमें दर्द, लालिमा, वीर्यनली मोटी हो जाती है, पीठदर्द, गरम सिंकाई से बेहतर – PULSATILLA 200 की एक खुराक रोजाना या CLEMATIS ERECTA-30 या HAMAMELIS VIRGINIANA-30 दिन में दो बार।

➺ बाएँ अंडकोष में सूजन – Aurum Muriaticum Natronatum – X दिन में दो बार।

➺ अंडकोषों में वृद्धि – THUJA- 1 M, हर पंद्रहवें दिन और PHOSPHORICUM ACIDUM-6 सुबह-शाम दो माह के बाद THUJA को छोड़कर उसके स्थान पर SPONGIA TOSTA 200 सप्ताह में एक बार प्रयोग करें। 

➺ दाएँ अंडकोष में दर्द – ARGENTUM METALLICUM-30 दिन में दो बार लें ।

➺ दाएँ अंडकोष का सख्त हो जाना—ARGENTUM METALLICUM-30 दिन में एक . खुराक।

➺ अंडकोषों में सूजन, तेज दर्द, जो पेट और जाँघों तक फैलता है, स्पर्श के . प्रति अति संवेदनशील – RHODODENDRON-6 दिन में तीन बार ।

➺ पुरुषों के रतिजन्य रोग- SALIX NIGRA Q, दस से बीस बूँदें, दिन में दो बार ।

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