परिचय :-
योहिम्बीनम औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है परन्तु इस औषधि की मुख्य क्रिया केन्द्रीय स्नायुमण्डल तथा सांस केन्द्रों पर होती है। यह जननेन्द्रियों को उत्तेजित करती है, यह कामशक्ति (सम्भोग क्रिया) को बढ़ाने वाली औषधि है। इसलिए इसकी सामान्य मात्रा ही दी जाती है। पेट के रोग के सभी तेज और लम्बे समय से चले आ रहे जलन में इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। होम्योपैथिक सिद्धान्तों के अनुसार जननेन्द्रियों की रक्तसंकुलता आदि को दूर करने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग दुग्धग्रंथियों में खून के बनने तथा दुग्धजन क्रिया को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। इस औषधि के प्रयोग से अधिक मासिकस्राव का आना सामान्य होता है।
शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर योहिम्बीनम औषधि का उपयोग :-
सिर से सम्बंधित लक्षण :- संघर्षपूर्ण अवस्था के साथ चेहरे पर गर्मी महसूस होना। रोगी को सभी चीजों के प्रति अरुचि होना तथा धातु की तरह स्वाद होना। जी मिचलाना और डकारें आना आदि लक्षणों में योहिम्बीनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
जननेन्द्रिय से सम्बंधित लक्षण :- लम्बे समय से चले आ रहे लिंग की उत्तेजना। तन्त्रिकावसादी नपुंसकता। खूनी बवासीर। आंत्रिक रक्तस्राव और मूत्रनली में जलन होना आदि लक्षणों में योहिम्बीनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
बुखार से सम्बंधित लक्षण :- बुखार में काठिन्य (रिगोर), तेज गर्मी तथा शरीर में गर्मी की लहरें और शीतकम्प के साथ पसीना आने की प्रवृति आदि लक्षणों में योहिम्बीनम औषधि का प्रयोग अत्यन्त लाभकारी होता है।
नींद से सम्बंधित लक्षण :- नींद का न आना तथा नींद न आने के कारण शारीरिक थकान होना। नींद से सम्बंधित ऐसे लक्षण जिसमें रोगी को अपने जीवन में घटीत घटनाएं आदि की याद आते ही वह नींद से उठ जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोग को ठीक करने के लिए योहिम्बीनम औषधि का सेवन कराना चाहिए।
वृद्धि :-
रात के समय, कामोत्तेजना से तथा मलत्याग करते समय रोग बढ़ता है।
शमन :-
नींद आने तथा आराम करने से रोग में आराम मिलता है।
तुलना :-
योहिम्बीनम औषधि की तुलना एपिस, फास्फो-ए, ग्रेफा, काली-फा, लैके, लायको, मर्क, नैट्र-म्यू, नक्स-वो, ओपि, फास तथा पिक-ऐ औषधि से की जाती है।
मात्रा :-
योहिम्बीनम औषधि के 3 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। सम्भोग शक्ति बढ़ाने के लिए इस औषधि की 1 प्रतिशत घोल से 10 बूंदें लेनी चाहिए।