मेलीलोटस (Melilotus)

परिचय-
चेहरे पर खून की अधिकता के कारण चेहरा सुर्ख पड़ जाता है, कनपटियों पर गर्माहट महसूस होती है, सिर भारी हो जाता है और दर्द होता है, लेकिन जब रोगी के नाक से अधिक खून निकल जाता है तो सिर की परेशानी कुछ कम हो जाती है। सिर का दर्द अक्सर सुबह 9 बजे से दोपहर के 12 बजे तक रहता है या रोगी को पेशाब अधिक आता है तो रोग के लक्षण कम हो जाते हैं। रोगी के सिर में दर्द खून की गति सिर की तरफ अधिक होने के कारण से होता है इसलिए चेहरा और आंखें सुर्ख पड़ जाती हैं। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
मेलीलोटस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी है-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होने के कारण वे अपने मन को एकाग्र नहीं कर पाता है, याददाश्त धोखा दे देती है, नींद अधिक आने लगती है, रोगी का मन ऐसा करता है कि कहीं भाग कर छिप जाऊं, कभी-कभी तो वह यह सोचता है कि हर कोई व्यक्ति उसकी ओर देख रहा है इसलिए वह जोर से बोलने से डरता है और भाग जाना चाहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होने लगता है तथा इसके साथ ही उबकाई भी आती है, नेत्रकोटरों के ऊपर दबाव महसूस होता है, आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है, हाथ-पैर ठण्डे पड़ जाते हैं, आंखों के सामने काले धब्बे पड़ जाते हैं, सिर भारी भारी सा लगता है, मस्तिष्क में तैरने जैसी अनुभूति होती है, कभी-कभी रोगी के नाक से खून भी निकलने लगता है या स्त्री रोगी को मासिकधर्म के समय में अधिक स्राव होने लगता है जिसके बाद रोगी को कुछ आराम महसूस होता है। रोगी के सिर में दर्द होता है तथा इसके साथ ही आंखें भारी, धुंधली हो जाती है और कमजोरी दृष्टि हो जाती है, रोगी आराम पाने के लिए आंखों को जोर से बंद कर लेता है। रोगी के सिर के दायें भाग और गर्दन पर और उनके चारों ओर की स्नायु (नाड़ियों) में दर्द होता है। रोगी की खोपड़ी पर तेज दर्द होता है तथा जब वह अपने दर्द वाले भाग को छूता है तो और भी तेज दर्द होता है। इस प्रकार सिर के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
नाक से सम्बन्धित लक्षण:- नाक बंद हो जाता है तथा नाक के अन्दर सूखापन महसूस होता है, रोगी मुंह से श्वास लेने के लिए मजबूर हो जाता है, नाक के अन्दर पपड़ियां जम जाती है और कभी-कभी तो रोगी के नाक से अधिक मात्रा में खून बहने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।
चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का चेहरा लाल और गर्म हो जाता है तथा इसके साथ ही चेहरे से सम्बन्धित खून की वाहिनियों में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग करे।
मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब मलत्याग करता है तो उसके मलद्वार पर दर्द होता है क्योंकि ऐसे रोगी को कब्ज की शिकायत होती है जिसके कारण मल कठोर और कष्ट के साथ आता है। जब तक रोगी के मलाशय में ढेर सारा मल जमा नहीं हो जाता, तब तक मलत्याग की इच्छा ही नहीं होती है जिसके कारण रोगी को कब्ज की समस्या हो जाती है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी स्त्री को मासिकधर्म शुरू होने के समय में स्राव कम मात्रा में होता है तथा रुक-रुककर होता है तथा इसके साथ ही स्त्री को जी मिचलाती है और बाहरी जननेन्द्रियों में चुभन के समान दर्द होता है तथा उसका मासिकधर्म कष्ट के साथ आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्री रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका दम घुट रहा है, तेज चलने पर और भी अधिक दम घुटता है, छाती पर भार महसूस होता है, गले के अन्दर गुदगुदी होने के साथ खांसी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण:- घुटने में दर्द होता है जिसके कारण रोगी अपनी टांगों को फैलाना चाहता है और जब पैरों को फैला लेता है तो भी आराम नहीं मिलता है, हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होना, त्वचा का ठण्डा होना, घुटने की हडि्डयां सुन्न पड़ जाना और उसमें दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
मिर्गी के दौरे से सम्बन्धित लक्षण :- यदि रोगी के सिर में चोट लगने के कारण मिर्गी की समस्या हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेलीलोटस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
बेल, कैक्टस, ग्लोन, फेर, सैंग्वि तथा ऐमिल-नाइट्र औषधियों के कुछ गुणों की तुलना मेलीलोटस औषधि से कर सकते हैं।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
आंधी तथा तूफान आने पर, वर्षा होने पर तथा मौसम में परिवर्त्तन होने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
चलने फिरने से तथा खुली हवा में चलने फिरने से तथा स्थान बदलने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
मात्रा (डोज) :-
सूंघने के लिए मेलीलोटस औषधि के मूलार्क तथा निम्न शक्तियों का उपयोग करना चाहिए।

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