मुँह और दांतों के रोग

➺ नथनों और मुँह के कोनों में दर्द, उनका फटना और पपड़ीदार होना ANTIMONIUM CRUDUM.-30 दिन में दो बार लें।

➺ मसूड़ों के किनारे स्पष्ट नीली रेखाएँ PLUMBUM METALLICUM-30 दिन में दो बार। CARBO VEGETABILIS-200 की हर तीन घंटे पर एक खुराक

➺ जरूरी द्रवों की कमी के कारण उत्पन्न रोग-PHOSPHORUS-30 दिन में तीन बार लें।

➺ मुँह की शुष्कता, जीभ की शुष्कता का एहसास सा होता है, परंतु असली नहीं, प्यास न लगना-NUX MOSCHATA-30 की रोजाना एक खुराक ।

➺ मुँह की दुर्गंध-PODOPHYLLINUM-30 पंद्रह दिनों तक दिन में तीन बार ।

➺ क्षतिग्रस्त मसूड़े, कृत्रिम दाँतों का प्रयोग करने के कारण ARNICA 200 की तीन खुराकें और यदि इससे राहत न मिले तो HYPERICUM PERFORATUM-200 की एक खुराक तथा आवश्यकता पड़ने पर दुहराएँ।

➺ मसूड़ों से खून निकलना MERCURIUS SOLUBILIS-6 तथा FERRUM PHOSPHORICUM-12X हर तीन घंटे पर बारी-बारी से लें।

➺ मसूड़ों से खून निकलना, नीलाभ जीभ तथा स्पंजी मसूड़े-CARBO VEGETABILIS

➺ मसूड़ों में फोड़े, दाँत में दर्द के साथ-BELLADONNA-30 तथा MERCURIUS SOLUBILIS-30 दोनों को तीन घंटे के अंतराल पर बारी-बारी से लें।

➺ मसूड़ों में सूजन, खून आना, दाँतों में दर्द, मवाद पड़ना, मुँह से दुर्गंध आना, मसूड़ों के ढीलेपन के कारण दाँतों का कमजोर पड़ना, मसूड़ों पर नीलाभ लाल धारियाँ – MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में तीन बार

➺ सूजे हुए तथा स्पंजी मसूड़े, खून निकलना, बैंगनी हो जाना LACHESIS 200 की एक खुराक।

➺ मसूड़ों में सूजन, फोड़ा, स्पंजी NITRICUM ACIDUM-30 की कुछ खुराकें।

➺ होंठों का फटना, किसी भी कारण से ANTIMONIUM CRUDUM 30 या NITRICUM ACIDUM-30 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ होंठ, नाक और कपोल में छिद्र, ठंडा, लाल और रक्तिम लगता है, दर्द के बाव्जूद रोगी उन्हे छेडता रहता है – ARUM TRIPHYLLUM ३० की एक खुराक प्रतिदिन

➺ मुँह में दर्द, नमकीन या खट्टा भोजन करने से बढ़ता -BORAX-6 दिन में

➺ जीभ पर लाल किनारोंवाली पीली परत-CHELIDONIUM MAJUS-30 दिन में तीन . जीभ पर पतली पीली परत-KALIUM SULPHURICUM-200 एक खुराक प्रतिदिन

➺ मुँह का घातक रोग, गहरे घावों से भरा, दुर्गंधयुक्त साँस और अधिक कमजोरी–MURIATICUM ACIDUM-30 हर छह घंटे पर।

➺ मुँह से दुर्गंध-PODOPHYLLINUM-30 दिन में तीन बार, पंद्रह दिनों तक।

➺ मुँह का अल्सर बार-बार उभरना – SULPHURICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार ।

➺ मुँह का अल्सर, लार में वृद्धि के साथ-MERCURIUS SOLUBILIS-200 दो खुराक रोजाना।

➺ मुँह का अल्सर, धूसर मेंब्रेन- MERCURIUS CYANATUS 30 की एक खुराक, लक्षण बरकरार रहे तो खुराक को दुहराएँ।

➺ मुँह के कोने फट जाते हैं। उनमें घाव और खुजली, उदासीनता, अत्यधिक लार के साथ मुँह की सूजन-NITRICUM ACIDUM-30 की कुछ खुराक ।

➺ जीभ पर लाल त्रिकोण-रस. टॉक्स.-30 दिन में तीन बार। जीभ पर मटमैली सफेद परत-KALIUM MURIATICUM-30 दिन में दो बार।

➺ गायकों या वक्ताओं के स्वर के आरोह में परिवर्तन ARGENTUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।

➺ मुँह, मसूड़ों या कपोल के पूरे छिद्र की संवेदनशून्यता, दर्दयुक्त फोड़े, दुर्गंधयुक्त साँस-MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में दो बार

➺ बच्चों के दुग्धपान से संवेदनशून्यता, सफेद सा घाव – MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में दो बार

➺ संवेदनशून्यतामें मुँह को पानी या किसी अन्य द्रव से गीला रखने पर आराम- BRYONIA 30 दिन में दो बार।

➺ जीभ, मुँह, कपोलों के अंदर की ओर अत्यंत गरमी तथा मुँह की शुष्कता के साथ संवेदनशून्यता- BORAX-6 दिन में दो बार।

➺ संवेदनशून्यता, मुँह में सफेद फोड़े-KALIUM MURIATICUM-30 दिन में तीन बार।

➺ ठंड लगने, सर्दी या ठंड में लगातार बोलने या काम करने से आवाज बैठना – ARUM TRIPHYLLUM-30 दिन में तीन बार लें।

➺ ठंड लगने से कंठावरोध-SPONGIA TOSTA-30 दिन में तीन बार। गला बैठने में अन्य उपचार विफल हो जाने पर-साइना-30 दिन में तीन बार।

➺ गाने में स्वरावरोध, शाम में स्थिति अधिक बदतर-PHOSPHORUS-30 एक खुराक लें।

➺ आवाज बैठना, सुबह के समय अधिक परेशानी CAUSTICUM-6 दिन में तीन बार।

➺ दाँत निकालने/उखाड़ने के बाद रक्तस्त्राव होना-ARNICA- 1M या PHOSPHORUS-30 दिन में दो बार

➺ घातक डिप्थीरिया (कंठ रोग), नाक या मुँह से रक्तस्राव-CROTALUS HORRIDUS हॉरीडस-30 दिन में दो बार ।

➺ डिप्थीरिया, दाएँ भाग में, दाईं से बाईं ओर जाता है, सोने के बाद तथा शीतल पेय पदार्थों के सेवन के बाद हालत बदतर- LYCOPODIUM 30 दिन में तीन बार लें।

➺ डिप्थीरिया (कंठशोथ संबंधी) ACETICUM ACIDUM -6 दिन में दो बार ।

➺ डिप्थीरिया, नाक बंद होने के कारण बच्चा सो नहीं पाता Ammonium Carbonicum-6, दिन में दो बार। 

➺ डिप्थीरिया, तेज विकास, अत्यंत थकान, शरीर में टूटन, केवल तरल पदार्थ निगल सकते हैं, दुर्गंधयुक्त स्राव-BAPTISIA TINCTORIA-200 दिन में एक बार।

➺ डिप्थीरिया, बाई से दाई ओर जाता है, गरम पेय पदार्थों को पीने पर अधिक बुरी स्थिति, देखने में गहरा बैंगनी लगता है, नींद के बाद हालत बदतर, गले के आस-पास तंग कपड़े सहन नहीं कर सकते-LACHESIS – 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ डिप्थीरिया, गैंगरीन संबंधी, निगलने में अत्यंत परेशानी, साँस में दुर्गंध MERCURIUS CYANATUS 30, एक या दो खुराक पर्याप्त हैं (घातक प्रकार के डिप्थीरिया के लिए बेहतरीन दवा ) |

➺ डिप्थीरिया, दाईं ओर का, गहरा लाल, साँस में दुर्गंध, गाँठ का एहसास, गरम पेय से बदतर – MERCURIUS IODATUS FLAVUS-6 दिन में तीन बार।

➺ डिप्थीरिया, गले से रस्सीनुमा रेशेदार स्त्राव, जो कंठ तक जाता है KALIUM BICHROMICUM-30 दिन में तीन बार

➺ डिप्थीरिया, डिप्थीरिया के कारण जमा पदार्थ चमकीला दिखता है, लक्षण बदलते रहते हैं, रोगी की याददाश्त कमजोर हो जाती है, भुलक्कड़पन, बेचैनी तथा चिड़चिड़ापन-LAC CANINUM-200 की एक

➺ डिप्थीरिया, शरीर दुखना, उच्च तापमान, नाड़ी गति तेज, गरमी से आराम -PYROGENIUM-200 दिन में दो बार।

➺ डिप्थीरिया, गहरे रंग के जमा पदार्थों के साथ, साँस में दुर्गाधि-TARENTULA CUBENSIS-30 दिन में तीन बार ।

➺ डिप्थीरिया, नाक से रक्तस्राव, अत्यंत थकान, कमजोरी के कारण खड़े होने में परेशानी, रोग के आरंभ में सन्निपात-MERCURIUS CYANATUS-30 दिन में दो बार।

➺ डिप्थीरिया, अत्यंत थकान, मुँह से दुर्गंध, निगलने में काफी कठिनाई CHININUM ARSENICOSUM-3 दिन में तीन बार।

➺ डिप्थीरिया, ठंड, नील रोग, पसीना, कंपन, रक्तस्त्राव की प्रवृत्ति, भूरी या काली जीभ के लक्षणों के साथ-MERCURIUS CYANATUS-30 दिन में दो बार।

➺ डिप्थीरिया, दाई ओर बदतर, दाई ओर पीडा, जो कान तक फैलती है, गले में तेज दर्द, उच्च ज्वर, निगलने पर पीड़ा बार।  TARENTULA HISPANICA-6 दिन में चार

➺ डिप्थीरिया संबंधी पक्षाघात, गले का पक्षाघात, सेप्टिक की अवस्था के बाद निचले अंगों का पक्षाघात-COCCULUS INDICUS-200 की एक खुराक प्रतिदिन।

➺ डिप्थीरिया, गले में जलन तथा शुष्कता, निगलने में कठिनाई, गले में गाँठों का एहसास तथा उसे निगलने की इच्छा, टॉन्सिल, गले की घंटी तथा गले का पृष्ठभाग राख के रंग के श्लेष्मा से आच्छादित होता है, दर्द गले से कानों तक जाता है–PHYTOLACCA 200 दिन में दो बार।

➺ डिप्थीरिया, कंठ तथा नाक में दर्द- MERCURIUS CYANATUS 200 सप्ताह में एक खुराक ।

➺ डिप्थीरिया, दाई ओर का, दाई से बाई ओर जाता है, सोने तथा तल पेय पदार्थ के बाद अधिक बुरी स्थिति-LYCOPODIUM 30 की एक खुराक रोजाना।

➺ डिप्थीरिया, दुर्गंधयुक्त साँस के साथ, तरल पदार्थ निगलने में कुछ दर्द में CARBOLICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार

➺ डिप्थीरिया, गले की सूजन, मेंब्रेन का निर्माण दाई ओर से शुरू होता है, साँस में दुर्गंध तथा मोटी जीभ, जिस पर दाँतों की छाप होती है, जीभ के नीचे मोटी पीली परत-Mercurius Protoiodatus. आयोडाइड-200 की एक खुराक रोजाना लक्षण बरकरार रहने तक, परंतु जल्दी-जल्दी नहीं दुहराया जाना चाहिए।

➺ कुछ पीने में कठिनाई, घूँट-घूँटकर पीना संभव-KALIUM NITRICUM-6 दिन में तीन बार।

➺ गले की शुष्कता, कंठ, श्वासनली-SPONGIA TOSTA-30 दिन में दो बार ।

➺ गले तथा शरीर की शुष्कता, इसके बावजूद प्यास न लगना-NUX VOMICA-200 की एक खुराक प्रतिदिन।

➺ चेहरे का गरम तथा लाल होना, हाथ-पैर ठंडे, गालों की लालिमा, चेहरे की ओर रक्त संचार STRAMONIUM-6 दिन में तीन बार।

➺ चेहरे पर तंत्रिका-शूलया दाँत दर्द, खाने या जबड़ों की क्रिया से दर्द तेज . होना, गरमी से आराम MEZEREUM 200 की कुछ खुराक।

➺ चेहरे का पक्षाघात, खासकर ठंडी हवा में निकलने के कारण दाई ओर का -CAUSTICUM-200 की एक साप्ताहिक खुराक ।

➺ घेंघा-यदि iodum-30 से राहत न मिले तो BROMIUM-30 दिन में दो बार लें।

➺ घेंघा – iodum-1M पूर्णिमा के अगले दिन एक मासिक खुराक । घेंघा, तेज नाड़ी, तेज सिरदर्द, चेहरे तक रक्त का तेज संचार GLONOINUM 30 हर छह घंटे पर।

➺ घेंघा, हृदय का धड़कना साफ दिखाई पड़ता है-SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार।

➺ घेंघा, थॉयराइड की अति सक्रियता, आँखें बाहर की तरफ निकली हुई, हृदय का धड़कना, मेहनत करने पर साँस लेने में परेशानी, बेचैनी, गरम कमरे में स्थिति अधिक बदतर, रात में दम घुटने का एहसास-SPONGIA TOSTA-6 दिन में तीन बार लें।

➺ घेंघा, संकुचन का एहसास, अच्छी भूख लगने तथा अच्छी तरह खाने के . बावजूद वजन कम होना, गरमी से काँपना और ठंडे कमरे में बेहतर महसूस करना- iodum-30 हर छह घंटे पर।

➺  वाहिनी-प्रेरक अवरोधों, लाल गाल, हथेलियों तथा तलवों में जलन, नाक तथा गले में शुष्कता और जलन, तिक्त स्राव आदि से संबंधित रोग SANGUINARIA CANADENSIS-30 दिन में तीन बार ।

➺ पैरों के दबे पसीने के कारण हुए रोग-SILICEA 200 दो सप्ताह में एक खुराक ।

➺ अपमान या कष्टकर बातों के कारण परेशानी-STAPHYSAGRIA-30 तीन बार। दिन में

➺ पेशियों की कमजोरी, जैसे जीभ का लकवा, गुदा तथा मूत्राशय के कष्ट, गुदा या गुप्तांगों में घाव, हृदय की धड़कन तेज होना आदि-MURIATICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार।

➺ हिचकी, खाने के बाद या तंबाकू की गंध से IGNATIA AMARA-30 एक माह तक दिन में तीन बार ।

➺ दाँत की जड़ सड़ जाना। पहले दाँत का इनेमल सख्त हो जाता है और फिर उखड़ जाता है—MEZEREUM-30 की एक खुराक रोजाना।

➺ दाँतों का काला पड़ना या उनपर काली धारियाँ, दाँत टूटते हैं और टुकड़े हो जाते हैं–Staphysagria-30 दिन में दो बार।

➺ दाँत निकलने के दौरान ऐंठन, अचानक दौरा पड़ता है, उच्च ज्वर, सिर गरम और ठंडे पैर–BELLADONNA-30 दिन में तीन बार ।

➺ दाँत निकलवाने के बाद रक्तस्राव – TRILLIUM PENDULUM पेंडुलम-6 दिन में तीन बार ।

➺ तेज दाँतदर्द, दर्द चेहरे से शुरू होकर कान तक जाता है – MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में दो बार। 

➺ रात में दाँतदर्द, ठंडी चीजें खाने-पीने से स्थिति बदतर, गरमी और दबाव से राहत-MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 की एक खुराक रोजाना।

➺ रुक-रुककर होनेवाला दाँतदर्द, मुँह में बर्फ रखने से राहत, लेकिन जब बर्फ पानी में बदल जाता है तो दर्द फिर लौट आता है-COFFEA CRUDA-30, दिन में दो बार।

➺ दाँत निकालने के बाद दाँतदर्द, रक्तस्राव, साथ ही यदि कृत्रिम दाँत जबड़े को चोट पहुँचाए-ARNICA MONTANA-30 चार घंटे के अंतराल पर।

➺ दाँतदर्द, मुँह में कुछ काटने और चबाने से बढ़ता है–STAPHYSAGRIA 30 चार घंटे के अंतराल पर

➺ दाँतदर्द, ठंडे पानी से बढ़ता है- SILICEA-30 हर तीन घंटे पर। 

➺ दाँतदर्द, हमेशा चाय पीने के बाद-THUJA-30 दिन में दो बार।

➺ दाँतदर्द, दबाने और ठंडा पानी पीने से राहत-BRYONIA-30 दिन में दो बार।

➺ दाँतदर्द, ठंडे पानी, ठंडी हवा से राहत-Natrum sulph-30 दिन में तीन बार।

➺ दाँतदर्द, बर्फीला ठंडा पानी पीने से राहत-FERRUM METALLICUM-30 दिन में दो बार लें।

➺ दाँतदर्द, खाने के दौरान राहत-IGNATIA AMARA-30 दिन में तीन बार।

➺ दाँतदर्द, मुँह, दाँत तथा मसूड़ों में ठंडक का एहसास, अत्यधिक लार COCCINELLA-30 की एक खुराक प्रतिदिन

➺ दाँतदर्द, दंतक्षय के कारण, रात में स्थिति खराब, मुँह में हवा घुसने राहत, हलके से स्पर्श से भी दर्द- MEZEREUM-30 हर छह घंटे पर। दाँतदर्द, नर्व एक्सपोजर के कारण, प्रभावित अंग की ओर से लेटने और चुप रहने से राहत-HYPERICUM PERFORATUM-3 हर छह घंटे पर।

➺ दाँतदर्द, मासिक धर्म के दौरान, मुँह में हवा जाने या ठंडे पेय पदार्थ पीने से स्थिति बदतर- -Staphysagria-30 दिन में तीन बार ।

➺ दाँतदर्द, गर्भावस्था के दौरान या अकलदाढ़ निकलने से, रात में स्थिति खराब- MAGNESIUM CARBONICUM-6 की एक खुराक रोजाना ।

➺ दाँतदर्द, खासकर अधिक कॉफी पीनेवाले लोगों में, सड़े दाँत में असहनीय दर्द, मासिक धर्म से पहले बढ़ जाता है COFFEA-30 हर दो घंटे के अंतराल पर।

➺ दाँतदर्द, मौसम या तापमान में परिवर्तन से- Ammonium Carbonicum-6 दिन में दो बार।

➺ दाँतदर्द, ठंडा पानी पीने से MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 की एक खुराक प्रतिदिन।

➺ दाँतदर्द, तंबाकू चबाने और धूमपान से, ठंडी हवा लगने या पानी पीने से . स्थिति बदतर, खाने और लेटने से राहत-SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार।

➺ दाँतदर्द, दाँत से आवाज गुजरने से, ठंडे पानी के प्रति संवेदनशील दाँत THERIDION CURASSAVICUM-उएक्स पानी में एक बूंद मिलाकर रोजाना।

➺ दाँतदर्द, किसी गरम चीज का सेवन करने से, गरम कमरे में प्रवेश करने से . या मासिक धर्म अथवा गर्भावस्था के दौरान CHAMOMILLA 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ दाँतदर्द, सड़े दाँत में, रात में स्थिति बदतर, राहत के लिए उठकर टहलना जरूरी (इस प्रकार का दाँतदर्द अधिकांशतः गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है) MAGNESIUM MURIATICUM-200 की एक खुराक प्रतिदिन।

➺ दाँतदर्द, बाएँ निचले दो सिरोंवाले दाँत में, रात में और ठंडा पानी पीने से . स्थिति बदतर- MERCURIUS IODATUS रुबर-30 हर छह घंटे पर।

➺ दाँतदर्द, चुभनवाला दर्द, चेहरे या कान तक जाता है, प्रचुर लार और स्पंजी मसूड़े – Mercurius Vivus और MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में तीन बार।

➺ दाँतदर्द-PLANTAGO MAJOR मेजर एक विशिष्ट उपचार है। इसे आंतरिक और बाह्य- दोनों रूपों में इस्तेमाल करना चाहिए। PLANTAGO MAJOR-Q बाहर से और खाने के लिए PLANTAGO MAJOR-30 दिन में तीन बार।

➺ दाँतदर्द, खाने के दौरान, किसी गरम या ठंडी चीज से दाँत का स्पर्श होने से स्थिति अधिक बदतर-KALIUM CARBONICUM-30 सप्ताह में एक खुराक । 

➺ दाँतदर्द, गरम चीजों और गरम कमरे से स्थिति बदतर, मुँह में ठंडा पानी रखने से राहत, गर्भावस्था के दौरान दाँतदर्द-PULSATILLA-30 दिन में दो बार।

➺ जीभ के शुष्क होने के बावजूद पानी पीने की इच्छा नहीं- PULSATILLA 30 दिन में दो बार।

➺ नम जीभ, इसके बावजूद पानी पीने की इच्छा-MERCURIUS SOLUBILIS  MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में दो बार।

जीभ में जलन और जड़ता-KALIUM ARSENICOSUM-30 हर छह घंटे पर।

➺ जीभ पर सफेद परत, जो परतों में उतरती है और गहरे लाल नाजुक धब्बे पड़ जाते हैं-TARAXACUM OFFICINALE-30 दिन में तीन बार ।

➺ ठंडी, शिथिल और काँपती जीभ-CAMPHORA-6 दिन में तीन बार।

➺ जीभ पर मोटी सफेद परत-ANTIMONIUM CRUDUM-200 की एक खुराक रोजाना।

➺ जीभ गंदी, हरी, मटमैली या भूरी परत-Natrum sulph-30 दिन में तीन बार। 

➺ बड़ी, शिथिल जीभ, साफ, लाल, फटी हुई, बोलने में परेशानी PYROGENIUM-200 एक खुराक ।

➺ जीभ का काँपना, उसे बहुत कठिनाई से बाहर निकाल पाना, जीभ अत्यंत शुष्क और निचले दाँतों के नीचे दबी हुई LACHESIS -200 की एक खुराक।

➺ शरीर का काँपना, स्नायविक उत्तेजना से-Staphysagria-30 दिन में तीन

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