➺ गरिष्ठ भोजन के बाद पेट फूलना -NUX VOMICA-30 तीन दिनों तक दिन में तीन बार और चौथे दिन PULSATILLA-200 एक खुराक प्रतिदिन लें।
➺ पेटदर्द, पेट से वायु निकालने के लिए CALCAREA PHOSPHORICA-6 दिन में तीन बार।
➺ अप्राकृतिक चीजें, जैसे चॉक, मिट्टी, कोयला इत्यादि खाने की CALCAREA PHOSPHORICA-12X रोजाना तीन बार।’
➺ भूख में कमी-Carica Papaya-30 हर चार घंटे पर।
➺ प्लीहा की बाई ओर दर्द, पेट में लगातार दर्द-CHIONANTHUS VIRGINICA-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार
➺ पेट में गड़गड़ाहट, पेट फूल जाता हो – THUJA-30 दिन में दो बार ।
➺ बच्चों का पेट बढ़ना-SULPHUR-1M दो सप्ताह में एक बार, केवल सुबह के समय।
➺ पेट की वायु तथा यकृत (लीवर) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न पेट के रोग-मल-त्याग तथा पेट से अपानवायु निकलने पर आराम मिलता है NATRIUM ARSENICOSUM-30 दिन में तीन बार।
➺ उदरशूल (तेज पेटदर्द), गरम सिंकाई से आराम MAGNESIUM PHOSPHORICUM-12 X हर घंटे।
➺ अम्लता (एसिडिटी), सभी खाद्य पदार्थ खट्टे और अप्रिय लगते हैं, जलन में पानी पीने से अस्थायी राहत मिलती है-SANICULA AQUA-30 दिन में तीन बार।
➺ अत्यधिक अम्लता, जीभ के पिछले हिस्से पर पीली परत, खट्टी डकार और वमन-NATRIUM PHOSPHORICUM 30 छह-छह घंटे पर
➺ अम्लता, पेट में खट्टापन महसूस होना, दाँतों को खट्टा बनानेवाला वमन SABINA-30 दिन में दो बार।
➺ अम्लता, , सीने में जलन, खट्टी डकार और वमन, एलोपैथिक दवाओं में मैग्नीशिया के इस्तेमाल के कारण MAGNESIUM CARBONICUM-6 दो सप्ताह में एक बार लें।
➺ खट्टी डकार, वमन, कलेजे की जलन के साथ अम्लता LYCOPODIUM-30 दिन में एक खुराक ।
➺ तीव्र पेचिश MERCURIUS SOLUBILIS-6 या COLOCYNTHIS-6 या दोनों . अदल-बदलकर दिन में दो बार।
➺ पेट में जलन, खाने के बाद राहत मिलती है PHOSPHORUS-200 एक खुराक ।
➺ विशिष्ट डायरिया के साथ होनेवाले रोग-CROTON TIGLIUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ पेट में मरोड़, तेज दर्द, हिचकी, पानीदार वमन, ऐंठन, चलने का प्रयास करने पर कंपन, पैरों की पिंडलियों में मरोड़, मध्य रात्रि के बाद अधिक तेज, बिस्तर से उठकर खड़े होने पर राहत महसूस होना- -CUPRUM ARSENICOSUM-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ बहुत तेज मिचली, वमन, ठंडा पसीना और अत्यंत बेचैनी LOBELIA INFLATA-6 दिन में तीन बार।
➺ कमजोरी और दुर्बलता, लीवर का बढ़ना- INSULINUM X एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ अपेंडिसाइटिस, बाहर से महसूस किया जा सकता है, दाएँ भाग में अत्यंत पीड़ा-BAPTISIA TINCTORIA-3X दिन में तीन बार या दिन में एक बार।
➺ अपेंडिसाइटिस, दाएँ भाग में पीड़ा-Iris Tenax 200 दिन में दो बार।
➺ अपेंडिसाइटिस, दाएँ भाग में दर्द, चमडी छूने तक से अधिक दर्द . BELLADONNA-3X दिन में दो बार।
➺ क्षुधा-विकार NATRIUM PHOSPHORICUM-30 दिन में तीन बार । .
➺ किसी भी कारण से भूख में कमी-LOBELIA INFLATA-6 दिन में तीन बार।
➺ भूख में कमी, तेजी से दुबले होते जाना और वमन-iodum-30 दिन में दो बार ।
➺ भूख में कमी, मुँह का कड़वा स्वाद, परतदार जीभ-CARDUUS MARIANUS-6 हर छह घंटे पर।
➺ भूख में कमी, मुँह में धात्विक स्वाद, अत्यधिक लार – Mercurius Vivus 200 और MERCURIUS SOLUBILIS-200 दोनों रोजाना एक खुराक ।
➺ भूख में कमी, धात्विक स्वाद-COCCULUS INDICUS- 200 एक खुराक, यदि लक्षण बरकरार रहें तो खुराक दुहराई जा सकती है।
➺ क्षुधा- BRYONIA-6 या NUX VOMICA-6 दिन में तीन बार।
➺ BRYONIA-6 (तेज प्यास के साथ) और NUX VOMICA-6 (तेज भूख, खासकर बदहज्मी के दौरे के लगभग एक दिन पहले)
➺ भोजन में अरुचि-NATRIUM MURIATICUM-200 एक खुराक रोज। आलू खाने से अरुचि-ALUMINA 200 एक खुराक रोज।
➺ वसायुक्त भोजन, पेस्ट्री आदि से अरुचि-PULSATILLA-200 दिन में एक खुराक।
➺ खट्टी डकार-ASA FOETIDA-30 दिन में दो बार।
➺ खट्टी डकार, कोई राहत नहीं CINA MARITIMA-6 या 30 हर छह घंटे पर।
➺ खट्टी डकार से अस्थायी राहत-Carbo Vegetabilis-6 या 30 दिन में तीन बार।
➺ पित्त-संबंधी उदरशूल के बाद पीलिया, मिट्टी के रंग का मल या पित्ताशय की पथरी के कारण उदरशूल-Berberis Vulgaris Q दिन में दो बार पाँच पाँच बूदें।
➺ अनियमित मल-विसर्जन (जैसे कब्ज या डायरिया)- MANGANUM ACETICU-30 एक खुराक रोज।
➺ गुरदे का रोग, पेट में दर्द, पेट में सिकुडन, वमन, तेज हिचकियाँ, . एल्ब्युमिनेरिया (मूत्र में एल्ब्युमिन का होना), उच्च रक्तचाप, कब्ज – PLUMBUM METALLICUM – 6
➺ आमाशय भित्ति में दर्द (कार्डिएल्जिया), ऐंठन के साथ तेज दर्द तथा दबाव, वमन- CUPRUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ हैजा-Secale cornutum-30 दिन में तीन बार।
➺ प्रारंभिक हैजा, डायरिया, पतला मल, कमजोरी, भूख और प्यास, गरदन में पीड़ा महसूस होती है— NATRIUM MURIATICUM-200 एक खुराक रोज।
➺ प्रारंभिक हैजा, हरा पानीदार मल, उदरशूल तथा मरोड़, मरोड़ के दौरान . आँखें नीचे की ओर झुक जाती हैं, ऊपरी होंठ तथा नाक के छिद्र में मोती जैसी सफेदी-AETHUSA CYNAPIUM AETHUSA CYNAPIUM-30 एक खुराक रोज
➺ प्रारंभिक हैजा, भोजन जल्दी-जल्दी करता है, मल पानीदार और प्रचुर . मात्रा में आता है, अत्यंत दुर्गंधयुक्त वमन अधिक मात्रा में होता है, प्यास अधिक लगती है, पानी पीने के साथ ही उसकी उलटी हो जाती है, लोगों का साथ पसंद करता है, पैरों, पिंडलियों तथा जाँघों में तेज ऐंठन, पानीदार दर्द रहित मल-PODOPHYLLINUM-200 दिन में दो बार।
➺ प्रारंभिक हैजा, पसीना, अधिक पानी पीने की इच्छा, मिचली तथा वमन, चलने से हालत अधिक खराब- CADMIUM SULPHURATUM-30 दिन में तीन बार।
➺ प्रारंभिक हैजा, हरा पानीदार मल, ठंड लगना, नीलापन तथा मूर्च्छा के दौरे – Laurocerasus-6 दिन में तीन बार।
➺ प्रारंभिक हैजा, मिचली, चावल के पानी जैसा वमन, पसीना, लेकिन बच्चा पेट को नंगा रखना चाहता है-TABACUM-200 हर मल त्याग के बाद दें।
➺ प्रारंभिक हैजा, कमजोर तथा दुबले बच्चों में वमन तथा डायरिया, दुर्गंधयुक्त मल-Medorrhinum-200 दो सप्ताह में एक खुराक।
➺ एशियाई हेजा, पहले शरीर में अत्यंत ठंड महसूस होना, आकस्मिक थकान तथा बिलकुल पसीना नहीं आना-Camphora-6 दिन में तीन बार।
➺ हैजा के बाद अत्यधिक कमजोरी, पेट में गैस बनना तथा पेट का फूलना Carbo Vegetabilis-30 दिन में दो बार लें।
➺ हेजा की अत्यंत खराब अवस्था, माथे पर बहुत पसीना, प्रचुर वमन तथा डायरिया, अधिक मात्रा में ठंडा पानी पीने की इच्छा, ऐंठन तथा थकान VERATRUM ALBUM-30 दिन में तीन बार।
➺ हैजा, नाड़ी गति अनियमित तथा साँस लेने में परेशानी NAJA TRIPUDIANS-6 दिन में तीन बार।
➺ हैजा, वमन तथा डायरिया अधिक अंतराल पर, ठंडा शरीर, शरीर की नीली रंगत–CAMPHORA-Q दो से पाँच बूँदें दिन में दो बार।
➺ हैजा – NAJA TRIPUDIANS-30 या कोबरा-30 एक खुराक । यदि लक्षण बरकरार रहें तो खुराक दुहरा सकते हैं।
➺ हैजा- RICINUS COMMUNIS-6 हर चार घंटे पर लें।
➺ हैजे की गंभीर अवस्था-Carbo Vegetabilis-30 हर आधे घंटे पर।
➺ हैजे में ठंडे पसीने के साथ वमन तथा डायरिया, मल का रंग काला, थोड़ा थोड़ा पानी पीने की इच्छा, अत्यंत थकान, दुर्गंधयुक्त मल तथा उलटी, बेचैनी व मौत का भय – ARSENICUM ALBUM-30 हर चार घंटे पर।
➺ हैजा, पेट तथा पैरों की पिंडलियों में मरोड–CUPRUM METALLICUM-6 हर चार घंटे पर।
➺ हैजा, मिचली तथा वमन के प्रमुख लक्षणों के साथ IPECACUANHA-200 दिन में दो बार ।
➺ हैजा, वृद्धावस्था में होनेवाले गैंगरीन आदि में शरीर अत्यंत ठंडा हो जाना, फिर भी रोगी खुद को ढकना सहन नहीं कर पाता-Secale cornutum-200 कुछ खुराक ही बहुत राहत पहुँचाएँगे और रोग की वृद्धि को नियंत्रित करेंगी।
➺ उदरशूल के साथ डायरिया CALCAREA PHOSPHORICA-6 दिन में चार बार।
➺ कुछ भी खाने या पीने के बाद उदरशूल-STAPHYSAGRIA-30 दिन में तीन बार।
➺ बार-बार उदरशूल – यदि COLOCYNTHIS से राहत न मिले तो पूर्ण उपचार के लिए KALIUM CARBONICUM-200 की एक खुराक
➺ पित्ताशय की पथरी के कारण उदरशूल, प्रतिदिन निश्चित समय पर, भोजन करने के बाद रात में कष्ट अधिक, झुकने पर बेहतर- COLOCYNTHIS 6 या CINA MARITIMA-6 हर चार घंटे पर।
➺ गुरदे में पथरी के कारण उदरशूल- MAGNESIUM PHOSPHORICUM-30 कुनकुने पानी में हर आधे घंटे पर या Berberis Vulgaris Q पानी में पाँच बूँदें या BELLADONNA-1X पाँच बूँदें हर आधे घंटे पर, राहत मिलने तक।
➺ उदरशूल नाभि के पास, कँपकँपी, मल-त्याग में परेशानी, मल-त्याग के बाद फिर शौचालय जाने की इच्छा RHEUM PALMATUM-6 हर मल-त्याग के बाद एक खुराक।
➺ उदरशूल, झुकने या पेट पर किसी वस्तु से दबाव डालने पर बेहतर, ऐंठनयुक्त पीड़ा, चक्कर आना, पिंडलियों में मरोड़, डायरिया, रात में तथा भोजन के बाद हालत बदतर-COLOCYNTHIS-6 दिन में तीन बार।
➺ उदरशूल, पैरों को पेट की ओर मोड़ने पर राहत-COLOCYNTHIS-6, 15 मिनट के बाद एक खुराक लें।
➺ उदरशूल, निचली आँतों की निष्क्रियता के साथ COLLINSONIA CANADENSIS 3 दिन में तीन बार (यदि COLOCYNTHIS और नक्स से लाभ न हो)
➺ तेज उदरशूल, वात दर्द से राहत पाने के लिए रोगी को दोहरा होना पड़ता है, गरमी तथा तेज दबाव से बेहतर-PLUMBUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ उदरशूल, रोगी को दोहरा होने के लिए विवश होना पड़ता है, राहत पाने के लिए टहलता है, काफी थका हुआ महसूस करता है, माथे पर ठंडा पसीना VERATRUM ALBUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ उदरशूल, तेज दबाव या पेट के बल लेटने पर आराम, पेट में कीड़े STANNUM METALLICUM-200 सप्ताह में एक खुराक।
➺ उदरशूल, रोगी दोहरा होने के लिए विवश, गरमी, दबाव तथा रगड़ से कुछ आराम-MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 गरम पानी में मिलाकर दिन में दो बार (COLOCYNTHIS से लाभ न होने पर)।
➺ उदरशूल, पित्ताशय की पथरी से लीवर के आस-पास पीड़ा तथा भरे होने का असुविधाजनक एहसास, पित्त का वमन, यकृत की विकृति के कारण जलोदर, लीवर के दाएँ भाग में पीड़ा, चलने-फिरने पर अधिक दर्द, दाएँ डेल्टा जैसे क्षेत्र में पीड़ा तथा बाईं करवट सोने पर रोगभ्रम-CARDUUS MARIANUS-30 दिन में तीन बार लें।
➺ उदरशूल वायु से, दर्द नाभि-क्षेत्र से आरंभ होता है और फिर पूरे पेट तथा हाथ-पैरों में भी फैल जाता है, आगे की ओर झुकने पर अधिक बढ़ता है, शरीर को सीधा करने पर राहत मिलती है-DIOSCOREA VILLOSA-30 दिन में दो बार।
➺ उदरशूल, दोहरा होना पड़ता है, मल-त्याग से ठीक पहले दर्द बढ़ जाता है, उसके बाद भी राहत नहीं मिलती, खड़े होने पर अधिक दर्द-RHEUM PALMATUM-6 हर बार मल-त्याग के बाद एक खुराक।
➺ क्रोनिक कब्ज, गुदा भरा हुआ तथा गुदाद्वार में बाधा महसूस होना, चिकना मल, मल-त्याग करने की निरंतर इच्छा, मल-त्याग के बाद भी संतुष्टि नहीं, मल-त्याग के लिए कई दिनों तक इच्छा न होना, चेहरे पर गोलाकार काले धब्बे, घर के कामों में ध्यान नहीं, पति तथा बच्चों से जुड़ाव का अभाव – SEPIA 30 दो सप्ताह में एक बार।
➺ दुःसाध्य कब्ज, गुदा बँधा हुआ महसूस होना, मशीन द्वारा गुदा को खोले जाने पर अधिक पीड़ा-SYPHILINUM 200 सप्ताह में एक खुराक।
➺ कब्ज के साथ पीठदर्द- SELENIUM METALLICUM-30 सुबह-शाम तथा भोजन के बाद, KALIUM PHOSPHORICUM-6X कुनकुने पानी में पाँच गोलियाँ लें।
➺ गंभीर कब्ज- GRAPHITES-30 दिन में तीन बार या NUX VOMICA-30 दिन में तीन बार या BRYONIA-30 केवल सुबह एक खुराक।
➺ पुराना कब्ज-LAC VACCINUM DEFLORATUM-30 दिन में दो बार ।
➺ कब्ज, सूखा मल, आँत की सुस्ती के कारण मसूड़ों के किनारे पर नीलाभ रंग-PLUMBUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ कब्ज, जिद्दी कब्ज, मल एक नरम गोले की तरह मलद्वार से चिपका रहता है PLATINUM METALLICUM-30 एक खुराक रोज।
➺ कब्ज, गुदा की जड़ता के कारण, काला मल-PYROGENIUM-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, तीव्र मल त्याग की इच्छा, परंतु इसके लिए जाने में भय, पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द- IGNATIA AMARA अमारा-6 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज-लंबा, पतला, सूखा और सख्त मल अत्यंत कठिनाई से निकलता है-PHOSPHORUS-30 एक खुराक ।
➺ कब्ज, मल त्याग करने की विफल इच्छा-NUX VOMICA-200 रात में सोने से पहले एक खुराक या NUX VOMICA-Q पानी में दो बूँदें दिन में दो बार।
➺ कब्ज, निष्क्रियता या आकस्मिक चोट से RUTA GRAVEOLENS जी-6 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, शुष्क तथा सख्त मल अधिक जोर लगाने पर निकलता है, मल त्याग करने में अत्यंत परेशानी-LAC VACCINUM DEFLORATUM-30 सुबह शाम।
➺ कब्ज, गुदा का पक्षाघात या आँतों की निष्क्रियता TABACUM-30 दिन में तीन बार
➺ कब्ज, मल-त्याग की विफल इच्छा, ठंडा दूध पीने से राहत— iodum 30 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ कब्ज, दस्तावर एनिमा लेने के बाद अधिक गंभीर, मल-त्याग में कठिनाई, बेचैनी, सिर पर मालिश या रसगड़ से राहत- TARENTULA HISPANICA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, जब तक अधिक मल एकत्र न हो तब तक मल-त्याग की इच्छा नहीं। सख्त मल, गाँठदार, गुदा से चिपक जाता है, मल-त्याग के लिए जोर लगाना पड़ता है ALUMINA -30 दिन में दो बार।
➺ कब्ज, अधिक मल-संचय होने तक मल-त्याग की इच्छा नहीं, अत्यंत कठिनाई से मल-त्याग, आंशिक रूप से निकलता है, कभी-कभी वापस चला जाता है, मशीन द्वारा निकालना पड़ सकता है- SANICULA AQUA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, गुदा की निष्क्रियता के कारण मल त्याग की इच्छा नहीं। सख्त, बड़ा, गहरे रंग का और शुष्क मल- BRYONIA-30 दिन में तीन बार लें।
➺ कब्ज, मोटापे के साथ-PHYTOLACCA बेरी-Q पाँच बूँदें दिन में दो बार और CALCAREA CARBONICA 200 पंद्रह दिनों में एक बार।
➺ कब्ज, मूत्र-त्याग की तीव्र इच्छा-SARSAPARILLA OFFICINALIS-6 दिन में तीन बार।
➺ जिद्दी कब्ज, अत्यधिक गैस तथा बवासीर की परेशानी, एक या दो सप्ताह में मल त्याग। इस कारण दो या तीन दिनों तक कमजोरी महसूस होना COLLINSONIA CANADENSIS-Q पानी में दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार।
➺ गर्भवती महिला तथा शिशुओं को कब्ज-ALUMINA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज उन लोगों में जो आसानी से नहीं जाग सकते, परंतु आसानी से सो जाते हैं, लंबे समय तक खड़े नहीं रह सकते, बंद तथा खुले स्थानों में असुविधा महसूस करते हैं-NUX MOSCHATA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, सूखा, सख्त तथा गोल मल-CIMEX LECTULARIUS-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, सख्त तथा गाँठदार मल, इतना सूखा कि जला हुआ सा लगे, अधिक तथा पीड़ादायक मल-SULPHUR-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, सख्त गोले की तरह मल, कब्ज के साथ बारी-बारी से डायरिया भी होता है-CHELIDONIUM MAJUS-30 दिन में तीन बार
➺ कब्ज, बलगम के साथ सख्त मल-Terminalia Chebula-30 दिन में तीन बार लें।
➺ कब्ज, सख्त, सूखा, टूटा हुआ तथा निकलने में कठिन मल, कभी-कभी मल बलगम से ढ़का होता है- Ammonium Muriaticum-30 दिन में दो बार।
➺ कब्ज, मल को मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है। सिरदर्द के साथ सख्त मल निकलता है-ALOE SOCOTRINA-6 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, मल को मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है-CALCAREA CARBONICA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, गाँठदार तथा बड़ी मात्रा में मल, बलगम के धागे, अकसर मल के बाद बलगम निकलता है, मल-त्याग के बाद काफी दर्द, धोने पर गुदा में दर्द – GRAPHITES-30 दिन में दो बार ।
➺ कब्ज, आंशिक रूप से निकलने के बाद मल वापस चला जाता है–THUJA-30 दिन में तीन बार।
➺ कब्ज, मल-त्याग नियमित रूप से होता है, परंतु सख्त तथा असंतोषजनक, मासिक धर्म के दौरान अधिक मात्रा में भेड़ के गोबर की तरह मल, गुदा की निष्क्रियता के कारण गुदा संकुचित या जख्मी, मल-त्याग के बाद रक्तस्राव या जलन, जिससे बाद में दर्द होता है—NATRIUM MURIATICUM-200 एक खुराक रोज।
➺ कब्ज– SULPHUR-30 सुबह एक खुराक । NUX VOMICA-30 रात में एक खुराक । HYDRASTIS CANADENSIS केनाडेन्सिस-Q शाम को पानी में पाँच बूँदें मिलाकर लें।
➺ कब्ज, मल इतने बड़े आकार का होता है वह निकल मशीनी प्रक्रिया द्वारा निकालना पड़ता है-SELENIUM METALLICUM-200
➺ कब्ज, मटमैली पीली जीभ, पतली शिथिल, जिस पर दाँतों की छाप दिखती है— HYDRASTIS CANADENSIS केनाडेन्सिस-30 सुबह-शाम लें।
➺ कब्ज, गुदा के स्पिलटर संपिलटर की कमजोरी, बड़े टुकड़ों में ठोस मल निकलता है-ALOE SOCOTRINA-200 कुछ खुराकें।
➺ कब्ज, डायरिया के साथ-CARDUUS MARIANUS-30 हर छह घंटे पर।
➺ कब्ज, मल त्याग की विफल इच्छा-NUX VOMICA-Q पानी में दो बूंदे, . दिन में दो बार।
➺ कब्ज, तीव्र दुर्गंधयुक्त साँस-CARBOLICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ कब्ज, गुदा में खुजली के साथ-SULPHUR-30 सुबह में तथा NUX VOMICA-30 रात में।
➺ कब्ज, तीव्र गैस तथा डकार भी-CARBONEUM SULPHURATUM-30 हर छह घटेपर।
➺ शरीर कमजोर हो जाना, एनीमिया का शिकार, खराब पाचन शक्ति, अम्लता, बदहज्मी, तंत्रिका शूल, गैस तथा लीवर की समस्या-KALIUM CARBONICUM-30 केवल एक खुराक, यदि लक्षण बरकरार रहें तो दुहराया जा सकता है।
➺ निरंतर मल-त्याग तथा मूत्र-त्याग की इच्छा LILIUM TIGRINUM 2003 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ दुर्गंधयुक्त मल, बदबूदार बात के साथ; मल स्वतः निकल इसके बाद जलन होती है, नरम मल भी कठिनाई से निकलता है-Carbo Vegetabilis-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, आइसक्रीम तथा फलों से CALCAREA PHOSPHORICA-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त पुराना – CHAPARRO AMARGOSO-Q या X पानी में दो-तीन बूँदें, दिन में तीन RHEUM PALMATUM-30 प्रत्येक मल-त्याग के बाद एक खुराक आवाज के साथ, लीवर की समस्या के कारण, नम मौसम में परेशानी बढ़ती है Natrum sulph-30 दिन में दो बार ।
➺ दस्त, खट्टी चीजें खाने के बाद, गर्भावस्था के दौरान, तूफानी मौसम में और हमेशा दिन में, हमेशा भूख का एहसास-PETROLEUM-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त-ALOE SOCOTRINA-200 हर दो घंटे पर तब तक जब तक दें, दस्त कम न हो जाएँ।
➺ दस्त, जलोदर के साथ-Apocynum cannabinum-Q दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, , किसी भी प्रकार का-Trombidium-30 दिन में तीन बार । बार।
➺ दस्त, गंदे पानी पीने के कारण-ZINGIBER OFFICINALE-30 दिन में दो बार।
➺ दस्त, मानसिक समस्याओं, उत्तेजना या भावना के कारण GELSEMIUM SEMPERVIRENS-30 दिन में दो बार।
➺ बच्चों में दस्त, दाँत निकलने के दौरान, हरा मल, सड़े अंडों जैसी दुर्गंध, उदरशूल, पेट फूला हुआ लगना CHAMOMILLA-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, वसंत ऋतु के दौरान बदहज्मी में बदल जाता है-ANTIMONIUM CRUDUM-6 दिन में तीन बार दस्त, गरमियों के दौरान, गुदा में दर्द, गंदे पानी जैसा मल, चलने-फिरने से स्थिति अधिक खराब- BRYONIA-200 एक खुराक रोजाना।
➺ दस्त, सुबह (पाँच से दस बजे तक), मल-त्याग की आकस्मिक इच्छा, पीडा रहित दुर्गंधयुक्त मल प्रचुर मात्रा में, तपेदिक से संबद्ध-RUMEX CRISPUS-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, सुबह-सुबह दस बजे तक बढ़ता है, दोपहर में रुक जाता है और शाम को सामान्य मल-त्याग होता है, बीच-बीच में कब्ज भी होता है—PODOPHYLLINUM-30 हर छह घंटे पर।
➺ दस्त, सुबह-सुबह, जोर लगाकर काफी वायु तथा आवाज के साथ निकलता है- THUJA-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, सुबह-सुबह, मल अचानक जोर के साथ निकलता है, अत्यंत कमजोरी, प्रचुर मात्रा में मल के साथ पसीना-TUBERCULINUM-200 सप्ताह में एक बार।
➺ दस्त, अशुद्ध पानी पीने से CAMPHORA-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, दूध के कारण, दूध से अरुचि, दूध तथा वसायुक्त पदार्थ खाने पर खट्टी डकारें आती हैं, हृदय संबंधी समस्या तथा दिल का तेजी से धड़कना NATRIUM CARBONICUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, खट्टी शराब से ANTIMONIUM CRUDUM-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, ठंडा भोजन या ठंडे पेय पदार्थ लेने पर, गरमी के मौसम में फल, अंडे, मछली खाने पर, कभी-कभी अनियमित ज्वर भी रहता है- CHININUM ARSENICOSUM-6 हर चार घंटे पर।
➺ दस्त, अत्यंत दुर्गंधयुक्त, भूरा या काला-PYROGENIUM-6 हर छह घंटे पर।
➺ दस्त, सुबह-सुबह, आकस्मिक मल, पानीदार व काला तथा दुर्गंधयुक्त BACILLINUM BURNETT 200 एक खुराक रोजाना।
➺ दस्त, सुबह में, मल का रंग कालापन लिये हुए भूरा, दुर्गंधयुक्त SULPHUR-30 दिन में दो बार। यदि इससे लाभ न हो तो BACILLINUM BURNETT-200 एक खुराक रोजाना।
➺ दस्त, अनैच्छिक, सफेद जेली जैसे बलगम से ढका हुआ— HELLEBORUS NIGER-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, भुने हुए अंडों जैसा, दुर्गंधयुक्त, देर तक रखने पर मल का रंग घास जैसा हरा हो जाता है, दो बार हुए मल एक जैसे नहीं, गुदा को छील देता है, भोजन के बाद मल-त्याग की जल्दी-SANICULA AQUA-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त NATRIUM MURIATICUM-200 शाम में तथा CALCAREA SULPHURICA-200 सुबह में।
➺ दस्त, शिशुओं तथा कुपोषण के शिकार बच्चों को, नसों की सूजन तथा वमन के साथ – THYROIDINUM-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, बिना पचा भोजन, वायु निकलते समय स्वतः मल निकल जाना, थोड़ी-से-थोड़ी वायु निकलने के साथ भी मल निकलना-OLEANDER-200 एक खुराक, यदि लक्षण जारी रहें, तभी दुहराएँ।
➺ दस्त, रात में बिना पचा मल, पीड़ा रहित, अच्छी भूख-FERRUM METALLICUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, पीड़ा रहित, कमजोर न करनेवाला, दुर्गंधयुक्त मल स्वतः निकल जाता है-PHOSPHORICUM ACIDUM-6 चार बार ।
➺ दस्त, पीड़ा रहित, वायु के साथ पानीदार तथा नाश्ते के बाद – THUJA-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, प्रचुर मात्रा में, पानीदार, चौड़े मुँहवाले मलद्वार के साथ PHOSPHORUS-200 कुछ खुराकें ।
➺ दस्त, , चीनी खाने या मीठा पीने के तुरंत बाद, मल में हरा बलगम ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, , नहाने के बावजूद बच्चे के पूरे शरीर से खट्टी गंध, अम्लीय पदार्थ खाने की चाह-HEPAR SULPHUR-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, भूरा मल, तरल में बिना पचे हुए पदार्थ और असहनीय दुर्गंध होती है -GRAPHITES-1M एक खुराक ।
➺ दस्त, हरा मल तथा झागदार मैल, मल-त्याग से पहले उदरशूल, जो मल त्याग के बाद बढ़ जाता है-MAGNESIUM CARBONICUM-30 दिन में दो बार ।
➺ दस्त, मूत्र त्याग करते समय या मूत्र-त्याग के साथ वायु छोड़ते समय स्वतः मल निकल जाता है-MURIATICUM ACIDUM-6 दिन में चार बार
➺ दस्त, प्रचुर मात्रा में मल, पीला या हरा पानीदार, दुर्गंधयुक्त, सुबह गरम मौसम तथा दाँत निकलने के दौरान रोग में वृद्धि, आधी आँखें बंद करके सोना तथा सुबह में सिर को इधर से उधर हिलाना, बिना वमन के मिचली आना-PODOPHYLLINUM-30 दिन में दो बार।
➺ दस्त, पतला तथा काला मल, असहनीय दुर्गंध के साथ अनैच्छिक रूप से निकल जाता है-CARBOLICUM ACIDUM-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, शिशुओं तथा कुपोषण के शिकार बच्चों को, नसों की सूजन तथा वमन के साथ THYROIDINUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, बिना पचा भोजन, वायु निकलते समय स्वतः मल निकल जाना, थोड़ी-से-थोड़ी वायु निकलने के साथ भी मल निकलना-OLEANDER-200 एक खुराक, यदि लक्षण जारी रहें, तभी दुहराएँ।
➺ दस्त, रात में बिना पचा मल, पीड़ा रहित, अच्छी भूख-FERRUM METALLICUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, पीड़ा रहित, कमजोर न करनेवाला, दुर्गंधयुक्त मल स्वतः निकल जाता है-PHOSPHORICUM ACIDUM-6 चार बार ।
➺ दस्त, पीड़ा रहित, वायु के साथ पानीदार तथा नाश्ते के बाद THUJA-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, प्रचुर मात्रा में, पानीदार, चौड़े मुँहवाले मलद्वार के साथ PHOSPHORUS-200 कुछ खुराकें।
➺ दस्त, चीनी खाने या मीठा पीने के तुरंत बाद, पल में हरा बलगम भी ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, नहाने के बावजूद बच्चे के पूरे शरीर से खट्टी गंध, अम्लीय पदार्थ खाने की चाह-HEPAR SULPHUR-30 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, भूरा मल, तरल में बिना पचे हुए पदार्थ और असहनीय दुर्गंध होती है – GRAPHITES-1M एक खुराक।
➺ दस्त, हरा मल तथा झागदार मैल, मल-त्याग से पहले उदरशूल, जो मल त्याग के बाद बढ़ जाता है- MAGNESIUM CARBONICUM-30 दिन में दो बार।
➺ दस्त, मूत्र त्याग करते समय या मूत्र-त्याग के साथ वायु छोड़ते समय स्वतः मल निकल जाता है MURIATICUM ACIDUM-6 दिन में चार बार।
➺ दस्त, प्रचुर मात्रा में मल, पीला या हरा पानीदार, दुर्गंधयुक्त, सुबह गरम मौसम तथा दाँत निकलने के दौरान रोग में वृद्धि, आधी आँखें बंद करके सोना तथा सुबह में सिर को इधर से उधर हिलाना, बिना वमन के मिचली आना-PODOPHYLLINUM-30 दिन में दो बार।
➺ दस्त, पतला तथा काला मल, असहनीय दुर्गंध के साथ अनैच्छिक रूप से निकल जाता है CARBOLICUM ACIDUM-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, पानीदार, प्रचुर, पीड़ा रहित तथा दुर्गंधयुक्त मल- BISMUTHUM SUBNITRICUM – 30 दिन में दो बार ।
➺ दस्त, पीला, लाल या पारदर्शी मल, जेली जैसा बलगम अधिक मात्रा में निकलता है, वायु निकलते समय या मूत्र-त्याग करते समय मल स्वतः निकल जाता है, गुदा भारी तथा द्रव से भरा हुआ महसूस होता है, मल त्याग से तुरंत पहले पेट में काफी गड़गड़ाहट तथा पेल्विस और पेट में वजन महसूस होना, खाने-पीने के बाद अधिक वृद्धि-ALOE SOCOTRINA-6 दिन में दो बार।
➺ दस्त, आकस्मिक तथा मिचली और वमन के साथ, कमजोरी, ठंडा पसीना तथा बेहोशी-TABACUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, मल तेजी से अचानक बाहर निकलता है, पीला पानीदार मल, जैसे ही रोगी कुछ खाता-पीता है, दस्त शुरू हो जाता है, गरमियों के दौरान अधिक-CROTON TIGLIUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ दस्त, अचानक मल त्याग की इच्छा, मल एक बार में बाहर आ जाता है, कभी-कभी पानीदार तथा पीला, मल-त्याग के बाद काफी राहत, कभी कभी मल त्याग के बाद जलन- GAMBOGIA-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, सामान्यतः रात में, दूषित भोजन या पानी पीने के बाद, दो बार के मल एक प्रकार के नहीं PULSATILLA-6 दिन में दो बार।
➺ दस्त, पानीदार, पेट में तीव्र पीड़ा, वमन तथा चेहरे पर ठंडा पसीना VERATRUM ALBUM-6 हर चार घंटे पर।
➺ दस्त, पानीदार-PODOPHYLLINUM-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, पानीदार, साबूदाना जैसे सफेद तत्त्व, सुबह में बदतर, वृद्धों मासिक धर्म के दौरान दस्त-PHOSPHORUS-30 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, पानीदार, पीला या सफेद, पीड़ा रहित तथा कमजोरी के साथ PHOSPHORICUM ACIDUM-6 हर छह घंटे पर लें।
➺ दस्त, कब्ज के साथ, खासकर वृद्धों में ANTIMONIUM CRUDUM-6 दिन में तीन बार।
➺ दस्त, ठंड लगने पर उदरशूल के साथ-DULCAMARA-200 एक खुराक।
➺ दस्त, दुर्गंधयुक्त मल के साथ, जो अपने आप निकल जाता है— Cynodon dactylon-Q पाँच बूँदें हर दो घंटे पर।
➺ दस्त, साथ में बदन दर्द या गले में दर्द भी VARIOLINUM-200 एक दिन छोड़कर एक खुराक ।
➺ दस्त, वमन के साथ, केवल शीतल पेय पीने की इच्छा VERATRUM ALBUM-30 हर दो घंटे पर।
➺ दस्त, पीला पानीदार, अधिक जोर के साथ बाहर निकलता है, बच्चों को अधिक ठंडा पानी पीने पर GRATIOLA-6 दिन में दो बार। ➺ दस्त, यात्रा से पहले बेचैनी के कारण-GELSEMIUM SEMPERVIRENS 200 केवल एकखुराक ।
➺ वसायुक्त पदार्थों को पचा नहीं पाना PULSATILLA-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ पाचन शक्ति को बेहतर बनाने के लिए Carica Papaya-Q भोजन करने के आधे घंटे पहले पाँच बूँदे ।
➺ कमजोर पाचन शक्ति, साधारण भोजन भी नहीं पचता, पेट में अत्यधिक गैस बनना, लेटने पर हालत अधिक खराब, खाने या पीने के बाद ऐसा लगना कि पेट फट जाएगा-Carbo Vegetabilis-6 दिन में तीन बार। ➺ गंभीर पेचिश, उच्च तापमान, त्याग, पानी पीने के बाद तेज ठंड लगना, खून जैसा मल, मल-त्याग करने की बार-बार इच्छा – MERCURIUS CORROSIVUS-6 हर मल-त्याग के बाद दें।
➺ पेचिश एंडामीबिक-एमेटिन हाइड्रोक्लोराइट-2 X दिन में तीन बार।
➺ वृद्ध व्यक्ति को पेचिश, दुर्गंधित मल-BAPTISIA TINCTORIA-6 दिन में तीन बार लें।
➺ गंभीर पेचिश, भूरा व पतला मल, भोजन तथा पेय पदार्थों से अधिक बदतर, मल-त्याग से पहले और बाद में पेटदर्द-TROMBIDIUM MUSCAE-6 हर तीन घंटे पर
➺ पेचिश, वसंत ऋतु के दौरान VARIOLINUM 200 सप्ताह में एक खुराक।
➺ पेचिश, पतझड़ के दौरान बार-बार सफेद या रक्तिम बलगम का स्राव, ऐसा लगता है जैसे म्यूकस मेंब्रेन को आँत से खुरच दिया गया हो, पेट का फूलना- -COLCHICUM AUTUMNALE-200 केवल कुछ खुराकें, जब भी लक्षण उभरें, दुहरा सकते हैं।
➺ पेचिश, स्वतः मल निकलना-ALOE SOCOTRINA-30 दिन में तीन बार ।
➺ पेचिश – क्रम में NUX VOMICA-6 या ALOE SOCOTRINA-6 या MERCURIUS SOLUBILIS-6 यदि इनसे लाभ न हो तो CALCAREA SULPHURICA-200 सुबह में तथा NATRIUM MURIATICUM-200 शाम में।
➺ पेचिश, मल में खून, पतला हरे रंग का और दर्द के साथ निकलता है, बार बार मल-त्याग की इच्छा, रात में तीव्र उदरशूल- Mercurius Vivus 30 और MERCURIUS SOLUBILIS-30 दिन में दो बार।
➺ पेचिश, बलगम तथा खून के साथ, दो बार किए गए मल एक प्रकार के नहीं, ठंड महसूस होना- PULSATILLA-30 दिन में तीन बार ।
➺ पेचिश, मिचली तथा वमन, पतझड़ के मौसम में हरा बलगम तथा खून, . जब रातें ठंडी और दिन गरम होते हैं- IPECACUANHA-200 एक खुराक रोजाना।
➺ पेचिश, दर्द के साथ, मल-त्याग के बाद राहत, ढीला तथा पतला मल . Atista indica-6 चार घंटे के अंतराल पर।
➺ पेचिश, नाभि के आस-पास तेज दर्द, पीला बलगम-युक्त मल-Aegle Folia-6 या Aegle Marmelos-6 हर चार घंटे पर।
➺ पेचिश या दस्त, केवल दिन में PETROLEUM-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ पेचिश, भरपूर मात्रा में मल विसर्जित होता है-FERRUM PHOSPHORICUM 30 दिन में दो बार।
➺ पेचिश, पतला, मेंब्रेन को खुरचने जैसा बलगम-CARBOLICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ पेचिश, मल-त्याग के बाद एक या दो घंटों तक तेज दर्द-NITRICUM ACIDUM-3 कुछ खुराकें।
➺ पेचिश, दस्त की तरह, कम-से-कम भोजन या पेय पदार्थों के बाद भी फिर जारी, अकसर उदरशूल के साथ-COLOCYNTHIS-6 दिन में तीन बार।
➺ पेचिश, मल-त्याग के बाद लगातार दर्द- MERCURIUS SOLUBILIS-30 . प्रत्येक बार के मल के बाद एक खुराक ।
➺ पेचिश, पेट में गड़गड़ाहट, केवल गाढ़ा बलगम या मल के साथ चिपका हुआ बलगम निकलता है, मल-त्याग के बाद गुदा में तेज जलन- ALOE SOCOTRINA-6 हर छह घंटे पर।
➺ पेचिश, पतला, रक्त मिला हुआ मल, उदरशूल, बेहाशी, मल-त्याग के बाद ठंड का एहसास- – MERCURIUS SOLUBILIS- 200 एक खुराक रोजाना।
➺ पेचिश, हर बार मल-त्याग के बाद कुछ समय के लिए दर्द से काफी राहत मिलती है NUX VOMICA-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ बदहज्मी (पुराना अपच) CALCAREA SULPHURICA-200 सुबह में तथा NATRIUM MURIATICUM – 200 शाम में, एक दिन छोड़कर।
➺ बदहज्मी, शराबियों को, पूर्वाह्न ग्यारह बजे खाने की इच्छा, दोपहर के भोजन के समय तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते- SULPHUR-30 दिन में तीन बार। ➺ बदहज्मी वृद्धों को, कमजोरी अधिक-NUX MOSCHATA-200 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ बदहज्मी, वृद्धों को ABIES NIGRA-30 हर छह घंटे पर।
➺ बदहजमी, खाने के बाद पेट फूल जाता है, छूने पर दर्द, ऐसा भरा हुआ लगता है मानो फट जाएगा, गैस अधिक बन जाती है-KALIUM CARBONICUM-200 एक खुराक ।
➺ बदहज्मी, खाने के बाद दस्त की प्रवृत्ति-Aurum Muriaticum Natronatum-3X दिन में तीन बार ।
➺बदहज्मी, पेट में जलन या ठंड का एहसास, पेट में काफी गैस COLCHICUM AUTUMNALE-200, तब तक लें जब तक ठीक न हो जाएँ।
➺ बदहजमी, गंध की अति संवेदनशीलता के साथ, भोजन बनने की गंध भी मिचली तथा वमन का कारण बन सकती है- STANNUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ बदहजमी, वमन के साथ-SULPHUR 30 सुबह में तथा NUX VOMICA-30 रात में सोते समय।
➺ डकार, तेज आवाज के साथ-ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार।
➺ डकार, खट्टा वमन, हरा डायरिया NATRIUM MURIATICUM-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ डकार, खाने के बाद, भोजन दिन भर पेट में रहता है और रात में वमन से निकल जाता है; ब्रेड, मक्खन, मांस, बीयर, चाय आदि खाने-पीने की इच्छा होती है, जिसकी इजाजत पेट नहीं देता। खाने के बाद भी पेट में खालीपन का एहसास और गंभीर कब्ज से पीड़ित होना HYDRASTIS CANADENSIS-Q दो से तीन बूँदें दिन में दो बार ।
➺ पेट में अत्यधिक वात, डकार आने से भी राहत नहीं, फल खाने के बाद बढ़ जाना, पेट का असुविधाजनक फुलाव, डकार आना, लेकिन डकार या मल त्याग से राहत नहीं CINA MARITIMA-30 दिन में तीन बार ।
➺ अत्यधिक वात-Carbo Vegetabilis-30 दिन में तीन बार लें।
➺ वात, जो हृदय पर दबाव का कारण बनती है, हमेशा पेट में -ABIES CANADENSIS-30 दिन में दो बार ।
➺ वात, पेट अत्यंत फूला हुआ, खासकर भोजन के बाद, जो सीने तथा पेट पर दबाव डालता है NUX MOSCHATA-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ वात, गैस के कारण पेट अत्यधिक फूला हुआ, ऐसा लगना कि पेट फट जाएगा-COLCHICUM AUTUMNALE-12 हर छह घंटे पर।
➺ वात, वायु का अत्यधिक जमा हो जाना, सभी का दबाव ऊपर की ओर, ऐसा लगना कि ऊपर की ओर दबाव के कारण पेट फट जाएगा ASA FOETIDA-6 दिन में चार बार ।
➺ वात, भोजन के तुरंत बाद-KALIUM BICHROMICUM-30 दिन में तीन बार लें।
➺ वात, अत्यधिक आवाज के साथ, अधिकांशतः पेट में और ऊपर की ओर दबाव- LYCOPODIUM-200 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ वात, यदि पेट का ऊपरी भाग गैस से भरा हो तो LYCOPODIUM-200 की एक खुराक प्रतिमाह और यदि पूरा पेट गैस से भरा हो तो Carbo Vegetabilis-30 दिन में दो बार। यदि CINA MARITIMA-30 दिन में दो बार लें। वात पेट के मध्य में स्थित हो तो
➺ वात, पेट में, पाचन में परेशानी-ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ वात, पेट का सख्त महसूस होना, डकार नहीं, वायु निकलना-RAPHANUS SATIVUS-Q दो-तीन बूँदें, दिन में दो बार।
➺ पित्ताशय की पथरी-थलेप्सी बी.पी. Q, CHELIDONIUM MAJUS Q, कार्डस एस.क्यू और Berberis Vulgaris-Q । इन सभी को समान मात्रा में मिलाएँ। इस मिश्रण की पाँच बूँदें पानी में डालकर दिन में तीन बार या Cholesterinum-3X दिन में दो बार लें। ➺ पित्ताशय शूल, मिचली और उलटी के साथ, नाभि के पास तेज उदरशूल, शीतल पेय पीने या आइसक्रीम खाने से दर्द- IPECACUANHA-20 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ पित्ताशय शूल, गति तथा थकान से और ठंडे मौसम में स्थिति खराब, दोहरे होने और लेटने से आराम MANGANUM ACETICU-6 चार घंटे पर ।
➺ पित्ताशय की पथरी-CANTHARIS VESICATORIA-3 तीन-चार दिनों तक पानी में प्रत्येक सुबह यह पथरी का बनना रोक देगा। इसके बाद SILICEA-12X दिन में पाँच बार, यह पत्थरों को बाहर निकाल देगा।
➺ पित्ताशय की पथरी, लीवर के स्थान पर उदरशूल, चक्कर आना, मुँह का स्वाद खराब, त्वचा का पीला पड़ना, दर्द के कारण लेटने में परेशानी, शरीर को आगे झुकाकर कुरसी पर बैठना-CARDUUS MARIANUS 6 दिन में तीन बार ।
➺ पित्ताशय की पथरी, दाएँ कंधे के नीचे दर्द के साथ, पीठ तक बढ़ता तेज दर्द-CHELIDONIUM MAJUS-30 दिन में दो बार ।
➺ गैस का बनना- CINA-30 दिन में तीन बार।
➺ गैस्ट्रिक रोग, हर बार भोजन करने के बाद तेज डकार, पेट में अधिक वायु, तेज आवाज के साथ वायु निकलना-ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार
➺ गैस्ट्रिक तथा आँतों का रोग, , जीभ पर दूधिया सफेद परत-ANTIMONIUM CRUDUM-30 दिन में दो बार ।
➺ गैस्ट्रिक की परेशानी, भोजन पचने में परेशानी, प्यास न लगना और खट्टे . फल खाने की इच्छा, दूध से अरुचि-ANTIMONIUM TARTARICUM-30 दिन में दो बार।
➺ गैस्ट्रिक समस्याएँ, पुराने शराबियों में अधिक, पेट में जलन तथा वमन CADMIUM SULPHURATUM-200 एक खुराक रोजाना लें।
➺ गैस्ट्रो-इंटेराइटिस, वसंत के मौसम में VARIOLINUM-200 साप्ताहिक खुराक ।
➺ ग्लोबस हिस्टेरिकस, ऐसा महसूस होना कि एक गोला पेट से गले तक उठ रहा है। इस कारण दम घुटने का एहसास-CACTUS GRANDIFLORUS-3 दिन में तीन बार लें।
➺ खाली रहने पर पेट में तेज दर्द, लगातार खाने के बाद राहत PETROLEUM 30 दिन में दो बार ।
➺ गंभीर हेपेटाइटिस, लीवर संकुचित या विस्तारित, दाएँ हाइपोकॉण्ड्रियम में तेज पीड़ा, हिलने-डुलने या मुद्रा बदलने से अधिक दर्द, दाएँ करवट या दर्द की ओर से लेटने पर राहत-BRYONIA-200 एक खुराक रोजाना।
➺ बाईं ओर का हार्निया-NUX VOMICA 200 एक खुराक प्रतिदिन ले।
➺ हार्निया-OPIUM-30 या BELLADONNA-30 या NUX VOMICA-200 सप्ताह में दो बार, लक्षणों के अनुसार।
➺ हार्निया, दाई ओर का, खास तौर पर बच्चों में- LYCOPODIUM-1M एक साप्ताहिक खुराक ।
➺ सामान्य हार्निया TABACUM-6 हर चार घंटे पर।
➺ हार्निया, उदर-वायु के साथ संकुचित, खासकर नाभीय NUX VOMICA के विफल होने पर COCCULUS INDICUS-200 रोजाना एक खुराक दें।
➺ तेज भूख लगने के बावजूद दुर्बलता, अच्छी तरह खाने के बाद भी, तीव्र खुजली, पेट तथा लीवर के क्षेत्र में भारीपन तथा असुविधा का एहसास, जो खाना पचने के साथ ठीक हो जाता है, हमेशा नींद आती रहती है NATRIUM MURIATICUM-200 दिन में दो बार।
➺ तेज भूख, जिसके बाद बिलकुल भूख नहीं लगती, कीड़ों से संबंधित हो सकता है CINA MARITIMA-200 एक खुराक, जल्दी दुहराने की जरूरत नहीं।
➺ तेज भूख, पेट भरकर खाने के तुरंत बाद फिर से भूख लग जाना, मिष्टान्न . या अन्न चीजें खाने की चाहत, बच्चे माँ का दूध नहीं पीना चाहते CINA MARITIMA-30 दिन में दो बार।
➺ तेज भूख, फिर बिलकुल भूख न लगना-FERRUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ भूख, विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा, लेकिन कुछ ग्रास के बाद मिचली आने लगती है- RHEUM PALMATUM-30 दिन में तीन बार।
➺ अकसर खाते रहना जरूरी अन्यथा मूर्च्छित हो जाना, भोजन करने के तत्काल बाद भूख लगना, रात में भी भूख लगना, खाने के बाद राहत महसूस करना- PHOSPHORUS- 200 कुछ खुराकें।
➺ तेज भूख, खाने के बाद राहत, लेकिन बढ़ती कमजोरी, केवल खाने के दौरान बेहतर महसूस करना-iodum-30 दिन में दो बार।
➺ हमेशा भूख लगना, खाने के बाद भी भूख लगना-SARRACENIA PURPUREA-30 दिन में दो बार।
➺ भूख महसूस करना, लेकिन थोड़ा सा खाने के बाद ही भोजन छोड़ देना LYCOPODIUM-200 एक खुराक रोजाना।
➺ मल-त्याग के तुरंत बाद भूख लगना-PETROLEUM-30 दिन में दो बार ।
➺ दोपहर में काफी भूख लगना, लेकिन सुबह बिलकुल भूख न लगना ABIES NIGRA-30 दिन में दो बार ।
➺ अपच, डकार, उदरवायु और अम्लता। नियमित दिनचर्या में परिवर्तन के कारण, खाने में अविवेकी-NUX VOMICA-200 सुबह-शाम कुछ दिनों तक।
➺ अपच, सब्जी तथा स्टार्चयुक्त भोजन के कारण सुबह-शाम । NATRIUM CARBONICUM30
➺ अपच-PULSATILLA-6 दिन में तीन बार, अधिक वसायुक्त भोजन लेने और अन्य मामलों में NUX VOMICA 6 हर घंटे पर लें।
➺ लिवर साइरोसिस, खासकर हाइपरट्रोपिक रूप में MERCURIUS DULCIS X दिन में तीन बार। यकृत संबंधी गड़बड़ी, बढ़ा हुआ लिवर, दबाने से संवेदनशील, बाई करवट सोने पर बदतर, दाए करवट सोने पर ऐसा लगना मानो यकृत को खींचा जा रहा है, चलने के दौरान लिवर में दर्द-MAGNESIUM MURIATICUM-6 एक खुराक रोज।
➺ यकृत संबंधी समस्या, यकृत में दर्द, दाहिनी करवट सोने पर दर्द से राहत, पीलिया- SEPIA -30 दिन में तीन बार।
➺ बढ़ा हुआ यकृत-CHIONANTHUS VIRGINICA-30 दिन में दो बार ।
➺ बढ़ा हुआ यकृत, दर्द रहित, स्थायी डायरिया या एक्जीमा के साथ INSULINUM उएक्स हर छह घंटे पर।
➺ लीवर का बड़ा होना – ARSENICUM ALBUM-6 सुबह 7 बजे) और दोपहर (3 बजे) प्रतिदिन । अन्य ओषधियाँ हैं BRYONIA-30 दिन में दो बार। CHELIDONIUM MAJUS-30, LEDUM PALUSTRE-30, Ammonium Carbonicum-30 या LYCOPODIUM 30 सभी दिन में दो बार, ओषधियों के लक्षणों के अनुसार।
➺ बच्चों में लीवर का बढ़ना-Natrum sulph-30 दिन में तीन बार।
➺ लीवर बड़ा होना, बाई करवट सोने पर आराम-Natrum sulph-30 तीन बार ।
➺ लीवर में सूजन-CHELIDONIUM MAJUS-30 दिन में दो बार।
➺ लीवर की अति सक्रियता-JUGLANS REGIA-30 दिन में तीन बार।
➺ सुस्त लीवर – ARSENICUM ALBUM-30 दिन में सुबह और दोपहर दो बार।
➺ लीवर संबंधी समस्या, लीवर के क्षेत्र में दर्द और भारीपन, बाई करवट सोने पर अधिक बुरी स्थिति, कब्ज या डायरिया या दोनों, दमित श्वास-PTELEA TRIFOLIATA 30 दिन में दो बार ।
➺ दस्त, कमजोरी, मिचली और वमन के साथ ARSENICUM ALBUM-6 हर घंटे दस्त के ठोस होने तक, इसके बाद हर छह-छह घंटे पर तब तक दें जब तक हालत सामान्य न हो जाए।
➺ दस्त, वसायुक्त तले भोजन से जैसे केक, पेस्ट्री आदि से PULSATILLA-200 दिन में तीन बार, दो दिनों तक।
➺ दस्त, वायु के साथ मल निकल जाना-ALOE SOCOTRINA-200 हर दो घंटे पर तब तक दें जब तक दस्त नियंत्रित न हो जाएँ।
➺ मिचली और वमन, छोटे अंतराल पर कम मात्रा में प्यास-ARSENICUM ALBUM-30 हर तीन घंटे पर
➺ मिचली और वमन, वमन के बाद बेहतर महसूस होना, प्यास न लगना ANTIMONIUM TARTARICUM-30 दिन में तीन बार। यदि कोई राहत न मिले और लगातार मिचली हो तो IPECACUANHA-30 दिन में तीन बार ।
➺ मिचली, सिर को ऊपर उठाते समय चक्कर आना-COCCULUS इंडिक्स-30 दिन में तीन बार ।
➺ मिचली, अपनी ही साँस से SULPHUR-30 दिन में तीन बार ।
➺ मिचली, थोड़ा भी हिलने-डुलने पर, खासकर आँखों को बंद करने पर, वाहन में चढ़ने या यात्रा करने पर-Theridion Curassavicum-3X पानी में एक बूँद, दिन में दो बार लें।
➺ मिचली, वमन नहीं- PODOPHYLLINUM-6 दिन में दो बार ।
➺ मिचली, वमन से राहत नहीं, अकसर गैस्ट्रिक समस्या के साथ IPECACUANHA-30 दिन में तीन बार ।
➺ मिचली, कड़वे द्रव की डकार के साथ-CINA-30 दिन में तीन बार या ZINCUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ पेट में दर्द, भोजन के बाद बढ़ जाता है-ABIES NIGRA-30 हर छह घंटे पर।
➺ मरोडयुक्त दर्द- MAGNESIUM PHOSPHORICUM-6X या अधिक या CUPRUM METALLICUM-3X या अधिक पोटेंसी का या BRYONIA-3X या अधिक पोटेंसी का, दिन में तीन बार।
➺ असहनीय दर्द CHAMOMILLA 6 या SILICEA-1X अन्य उपचार हैं ACONITUM NAPELLUS 6 तेज गठिया संबंधी दर्द के लक्षण दिखने पर CHAMOMILLA-30 तीव्र तंत्रिका-शूल के लिए COFFEA-30 स्थानांतरित होते दर्द के लिए PULSATILLA-6 और तीव्र पीड़ा के लिए-BELLADONNA-6। ये सभी ओषधियाँ दिन में तीन बार।
➺ घुमंतू दर्द- MAGNESIUM PHOSPHORICUM-6X या अधिक पोटेंसी की या 200 या अधिक, एक खुराक प्रतिदिन । मरोड़ के साथ दर्द-एबिस्थिनम-6 दिन में तीन बार
➺ पेट दबाने से दर्द में वृद्धि-FERRUM PHOSPHORICUM 6X या KALIUM MURIATICUM-6X दिन में तीन बार।
➺ छोटी आँत के अग्र भाग में दर्द, खाने से और बढ़ता है— Natrum sulph-30 दिन में तीन बार।
➺ पेट में दर्द, शरीर के सभी अंगों में फैलता है, मलने या जोर से दबाने पर राहत- PLUMBUM METALLICUM-6 दिन में तीन बार। पेट दर्द, स्पर्श और गति के प्रति संवेदनशील-PLUMBUM METALLICUM-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ पेट के निचले हिस्से में मरोड्युक्त दर्द, प्रोइन तक फैलता है CAULOPHYLLUM-6 दिन में तीन बार
➺ पेट में लगातार दर्द, गति होने पर स्थिति बदतर, लेकिन डकार और के बाद राहत-CHELIDONIUM MAJUS-6 हर चार घंटे पर।
➺ खट्टी डकार तथा वमन, गर्भावस्था के दौरान-ACETICUM ACIDUM -3 दिन में .
➺ खट्टी चीजों के प्रति अरुचि, उन्हें खाने पर दस्त-FERRUM METALLICUM 30 दो बार।
➺ प्लीहा और यकृत में दर्द, पीलिया और अत्यधिक लार उत्पन्न होना iodum-30 दिन में एक खुराक।
➺ बढ़ा हुआ प्लीहा, मलेरिया के निरंतर आक्रमण के कारण- CHIONANTHUS VIRGINICA-Q दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार।
➺ प्लीहा में तीव्र पीड़ा और भारीपन महसूस होना- CEANOTHUS AMERICANUS-Q पानी में कुछ बूँदें, दिन में चार बार।
➺ पेट के विकार, बुरा स्वाद, मुँह में लगातार सफेद झाग आना, सड़े अंडों जैसे स्वादवाला स्राव, दूध नहीं पचता-MAGNESIUM MURIATICUM-30 एक खुराक रोजाना।
➺ पेट में भारीपन, खाने के बाद-PULSATILLA-30 दिन में तीन बार।
➺ पेट में दर्द, भोजन के तुरंत बाद अथवा दो या तीन घंटे बाद स्थिति बदतर, पाचन होने तक रहता है-NUX VOMICA-200 रात में एक खुराक ।
➺ पेटदर्द, जब पेट खाली हो, खाने पर राहत-ANACARDIUM ORIENTALE-200 सुबह में एक खुराक ।
➺ पेट में मरोड़ या ऐंठन, चिकनी जीभ, ऐसा महसूस होना मानो शरीर को किसी जंजीर से सख्ती से बाँध दिया गया हो-MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 एक खुराक रोजाना ।
➺ खट्टी डकार, चीनी खाने से पेटदर्द बढ़ता है, रात में पेट में दर्द, अपान वायु निकलने से राहत, पेट और गले में जलन-OXALICUM ACIDUM-6 दिन में तीन बार ।
➺ उदर वायु, साँस लेने में कठिनाई, ऐसा लगना मानो कोई गोला पेट से गले की ओर बढ़ रहा है- ASA FOETIDA-6 दिन में तीन बार।
➺ पेट में आवाज, ऐसा लगना मानो अंदर कुछ चल रहा है, मल की काफी गैस निकलती है- LACHNANTHES TINCTORIA-30 दिन में तीन बार।
➺ पेट में आवाज के साथ वायु घूमना- THUJA-30 दिन में तीन बार लें।
➺ खाने के एक या दो घंटे बाद पेट में दबाव, पत्थर सा महसूस होना -NUX VOMICA-30 दिन में दो बार (खाने के तुरंत बाद) या KALIUM BICHROMICUM 30 दिन में दो बार ।
➺ खाने के तुरंत बाद पेट में दबाव-NUX MOSCHATA-30 एक खुराक रोजाना।
➺ तेज पेटदर्द, मूर्च्छा भी TABACUM-6 दिन में तीन बार।
➺ कभी-कभी होनेवाला पेटदर्द-KALIUM CARBONICUM-30 एक खुराक (यह दर्द के समय न दें, अन्यथा दर्द बढ़ जाएगा)।
➺ पेटदर्द या पेट में भारीपन, खाने के दो घंटे बाद और जब तक भोजन पेट में रहता है तब तक जारी–NUX VOMICA-200 रात में एक खुराक रोजाना।
➺ पेटदर्द, कमजोरी, मूर्च्छा उत्पन्न करता है-HYDRASTIS-30 दिन में दो बार।
➺ पेटदर्द, भोजन के बाद, बदहज्मी, ऐसा महसूस होना मानो पेट में उबला हुआ अंडा हो, ठंडे पानी से नहाने से, अत्यधिक खाने और कच्ची सब्जियाँ खाने से ABIES NIGRA-6 हर चार घंटे पर।
➺ पेटदर्द, मल त्याग से पहले COLCHICUM AUTUMNALE-30 दिन में तीन बार।
➺ पेटदर्द, दबाने पर बेहतर-COLOCYNTHIS-6 दिन में चार बार या STANNUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ पेटदर्द, खाने, लेटने और गरम पेय पदार्थ पीने या भोजन करने पर राहत GRAPHITES 30 दिन में तीन बार।
➺ पेटदर्द, गरमी और दबाव से बेहतर, पैरों को पेट की ओर मोड़ने पर आराम – MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 हलके गरम पानी में, जब तक दर्द रहे।
➺ पेटदर्द, खाने के तुरंत बाद PLUMBUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ पेटदर्द, मरोड़ के साथ, तेज दर्द, वमन-CUPRUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ हरे रंग का मल, गुदा में दर्द – MERCURIUS DULCIS 6X दिन में तीन में बार।
➺ नरम मल, काफी कठिनाई के बाद मल-त्याग- – ALUMINA-30 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ पानीदार मल-PODOPHYLLINUM-6 हर बार मल त्याग के बाद। .
➺ केवल पीछे की ओर झुकने पर ही मल-त्याग-Medorrhinum-1M सप्ताह में एक खुराक
➺ नरम मल के लिए भी काफी जोर लगाने की जरूरत, गुदा की निष्क्रियता के कारण- ALUMINA 200 एक खुराक
➺ पानीदार मल, गुदा से निकलते समय पीड़ादायक, कपड़े पर पीला छोड़ निशान जाता है-ANTIMONIUM CRUDUM-6 दिन में चार बार।
➺ झागदार या घास जैसे हरे रंग का मल, बलगमयुक्त या पानीदार, चिपचिपा, उदरशूल और मिचली के साथ-IPECACUANHA 200 एक खुराक रोजाना दें।
➺ चाय पीने के तुरंत बाद मल-त्याग की इच्छा-THUJA-30 दिन में दो बार।
➺ सुबह बिस्तर से उठने के तुरंत बाद मल-त्याग की इच्छा-SULPHUR-30 दिन में तीन बार।
➺ हरा मल, डायपर रहने पर हरे रंग में बदल जाता है, काफी आवाज के साथ होना–ARGENTUM NITRICUM-200 सप्ताह में एक खुराक।
➺ हरे रंग का मल, वायु के साथ निकलता है-CALCAREA PHOSPHORICA-30 तीन बार।
➺ सख्त और सूखा मल, गाँठदार, सप्ताह में दो या तीन बार होता है ALUMINA-30 दिन में तीन बार ।
➺ खाने के तुरंत बाद मल-त्याग की इच्छा-ALOE SOCOTRINA-30 दिन में दो बार।
➺ मल-त्याग करके कभी संतुष्टि नहीं, बार-बार जाने की इच्छा-NUX VOMICA-200 केवल रात में।
➺ हरे रंग का बलगमयुक्त मल-MAGNESIUM CARBONICUM-6 दिन में तीन बार।
➺ केवल खड़ी स्थिति में मल त्याग CAUSTICUM-200 एक खुराक रोजाना लें।
➺ मल-त्याग के बाद आराम महसूस करना, कोई ऐंठनयुक्त दर्द नहीं-NUX VOMICA-6 दिन में तीन बार
➺ मल-त्याग के बाद भी पेट में ऐंठन-MERCURIUS SOLUBILIS-30 सुबह शाम। जल्दी-जल्दी मल त्याग-COLCHICUM AUTUMNALE-30 दिन में तीन बार।
➺ चावल के पानी की तरह प्रचुर मल, थकाऊ, पिंडलियों में ऐंठन, ठंड लगना और निपात-VERATRUM ALBUM-30 दिन में दो बार।
➺ तारकोल की तरह मल बलगमयुक्त-LEPTANDRA VIRGINICA -30 दिन में तीन बार।
➺ लंबे समय तक रखने पर मल हरे रंग का हो जाता है, खट्टी गंध के साथ RHEUM PALMATUM-6 हर बार मल त्याग के बाद एक खुराक
➺ कम कफ और अधिक रक्त के साथ मल-MERCURIUS SOLUBILIS-6 दिन में तीन बार
➺ सफेद जेली जैसे बलगम के साथ मल, आँत में खुरचन महसूस होना, पेट में भयंकर मरोड़-COLCHICUM AUTUMNALE (COLCHICUM)-12 हर छह घंटे पर।
➺ बलगमयुक्त और कुछ रक्त के साथ मल-MERCURIUS SOLUBILIS-30 सुबह-शाम।
➺ कफयुक्त हरा मल-MERCURIUS SOLUBILIS-200 एक खुराक रोज।
➺ कई बार मल त्याग, सूर्यास्त से सूर्यादय तक दर्द और अन्य लक्षणों में तेजी- COLCHICUM AUTUMNALE-200 हर बार मल त्याग के बाद एक खुराक ।
➺ मरोड़ और तेज दर्द, मल-त्याग से पहले, दौरान और बाद में, मटमैले रंग का रक्तिम और चिपचिपा मल-MERCURIUS SOLUBILIS-30 हर छह घंटे पर।
➺ वमन और दस्त-ARSENICUM ALBUM-30 और IPECACUANHA 30 घंटे पर बदल-बदलकर लें।
➺ वमन और दस्त, ठंड महसूस करना और शरीर में ऐंठन–CUPRUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार।
➺ वमन और दस्त, आकस्मिक हमला, शरीर में ठंड महसूस होना- CAMPHORA-Q चीनी में एक बूँद।
➺ वमन और दस्त, अधिक मात्रा में पानी पीने की इच्छा-VERATRUM ALBUM-30 हर दो घंटे पर।
➺ गैस्ट्रिक अल्सर में उलटी-GERANIUM MACULATUM-200 एक खुराक रोजाना लें।
➺ बिना मिचली के अचानक वमन, खाने के दौरान, पानी पेट तक पहुँचते ही उलटी हो जाती है, भोजन कुछ समय तक रहता है- Bismuth-30 दिन में दो बार।
➺ मसालेदार भोजन करने पर उलटी होना-NUX VOMICA-30 दो घंटे के अंतराल पर।
➺ किसी भी कारण से वमन-Apomorphinum-6 हर छह घंटे पर।
➺ सिर को उठाने पर वमन-STRAMONIUM-6 दिन में तीन बार।
➺ गर्भावस्था के दौरान उलटी-KALIUM CARBONICUM-30 केवल एक खुराक या SULPHUR-30, सुबह-शाम एक-एक खुराक रोजाना या SEPIA-30 दिन में दो बार या ARSENICUM ALBUM-6 हर चार घंटे पर।
➺ खाने के तुरंत बाद और मध्य रात्रि के बाद उलटी-FERRUM METALLICUM – 30 दिन में दो बार।
➺ शीतल पेय या आइसक्रीम लेने के तुरंत बाद वमन, मध्य रात्रि में बढ़ जाता है- ARSENICUM ALBUM-6 दिन में तीन बार।
➺ जन्म के बाद शिशुओं द्वारा बमन, बाधित विकास, बड़ा पेट, भूख समाप्त ज्या अत्यधिक हो जाना THYROIDINUM-30 दिन में तीन बार।
➺ सुबह और दोपहर से पहले पित्त का वमन, सुबह 7 से 9 बजे के बीच EUPATORIUM PERFOLIATUM-30 दिन में दो बार।
➺ काले रंग के पदार्थ का वमन-BOTHROPS LANCEOLATUS-6 दिन में दो बार लें।
➺ मल संबंधी पदार्थ का वमन-OPIUM-30 दिन में दो बार खाएँ।
➺ खट्टी चीजों का वमन, पेट में एसिड NATRIUM PHOSPHORICUM-30एक्स चार गोलियाँ | इसे NUX VOMICA-30 के साथ हर चार घंटे पर बदलकर लें।
➺ रेशेदार, चमकीले, बलगमयुक्त पदार्थ का वमन-IRIS VERSICOLOR-30 दिन में दो बार ।
➺ पानी के पेट में पहुँचते ही उसका वमन, ठंडा पानी पीने की इच्छा PHOSPHORUS-30 एक खुराक ।
➺ हठी वमन, भूरे कॉफी के रंग का और दुर्गंधित-PYROGENIUM-6 हर छह घंटे पर।
➺ पेट से विष निकालने के लिए वमन-LOBELIA INFLATA-30 दिन में तीन बार।
➺ वमन तीव्र, खाया गया सबकुछ खट्टा होकर बाहर निकल आता है PLUMBUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ वमन, पित्त का हरा स्राव Natrum sulph-30 दिन में तीन बार।
➺ वमन, तेज मिचली, थकान, सामान्य ठंड लगना, ठंडा पसीना और नींद आना-ANTIMONIUM TARTARICUM-30 दिन में दो बार।
➺ वमन, मिचली के साथ-Apomorphinum-30 दिन में तीन बार।
➺ पेट में कीड़े, वमन, मिचली और मुँह में नमकीन स्वाद- CINA-200 सप्ताह में एक बार और NATRIUM PHOSPHORICUM-6X पाँच गोलियाँ गरम पानी के साथ, सुबह-शाम ।
➺ सभी प्रकार के कीड़े, गुदा में खुजली, बच्चों में निरंतर दर्द, सिरदर्द, मीठा खाने की अधिक इच्छा, भोजन के प्रति अरुचि, मिचली और वमन SABADILLA-30 दिन में तीन बार कमि, नाक खोदना, नींद के दौरान दाँत किटकिटाना, नींद में उछलना या . झटके खाना-CINA 1 M कुछ खुराक, जब लक्षण बरकरार रहें तो दुहराएँ।
➺ पिनकृमि CINA 200 सप्ताह में एक बार और अगले सप्ताह BRYONIA-200 एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ कृमि को बाहर निकालने के लिए-CINA-30 दिन में दो बार, दो सप्ताह तक। यह विफल रहे तो TEUCRIUM MARUM VERUM-Q पानी में दस बूँदें डालकर एक चम्मच दिन में चार बार या STANNUM METALLICUM-30 दिन में दो बार । ➺ पेट में कृमि, खासकर बच्चों में, दाँत किटकिटाना और नाक खोदना CINA MARITIMA-200 एक खुराक रोजाना।
➺ पेट में कृमि, नाभि में दर्द, गुदा में खुजली, दुर्गंधित साँस, आँखों की समस्याएँ और हृदय-संबंधी लक्षण-SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार।
➺ कृमि, गोल कृमि या फीता कृमि से परेशानी, साँस में दुर्गंध, सूखी खाँसी, मलद्वार में खुजली-Terebinthina- 200 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ कृमि पीड़ित, बेचैनी, क्रोध, दुःख-COCCULUS INDICUS-30 सुबह-शाम