परिचय-
नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का इस्तेमाल नजला (पुराने जुकाम) को दूर करने के लिए किया जाता है। रोगी को नजले के साथ सिर में तथा नाक की जड़ में दर्द होना, आंखों का खुश्क होने के साथ दर्द होना में ये औषधि लाभ करती है। 7 साल की उम्र से ज्यादा के बच्चों को सांस की नली की सूजन को भी ये औषधि ठीक करती है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का उपयोग-
मन से सम्बंधित लक्षण- रोगी किसी भी काम को सोचने-विचारने के लिए अपने दिमाग को एक जगह नहीं लगा सकता, रोगी की याददाश्त बिल्कुल कमजोर हो जाती है, वह हर बात को थोड़ी ही देर में भूल जाता है, रोगी को किसी भी काम को करने के लिए कहा जाए तो वह उसे करने से मना कर देता है, रोगी हर समय लेटा ही रहता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का सेवन कराना काफी उपयोगी साबित होता है।
सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर में बहुत तेजी से होने वाला दर्द, सिर को बहुत तेजी से घुमाने से रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि वह पानी के अन्दर तैर रहा हो, माथे में और नाक की जड़ पर होने वाला दर्द, नेत्रकोटरों के ऊपर दर्द का होना आदि लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि देने से लाभ होता है।
नाक से सम्बंधित लक्षण- रोगी की नाक का बंद हो जाना, रोगी की नाक से होने वाला स्राव जो रोगी के गले के अन्दर तक पहुंच जाता है, रोगी को रात के समय मुंह खोलकर सोना पड़ता है, नाक की जड़ पर दर्द सा महसूस होना, नाक के अन्दर पपड़ी सी जम जाना, रोगी की नाक से सूंघने की शक्ति बिल्कुल समाप्त हो जाती है, नाक के पिछले छेदों से गाढ़ा, पीला स्राव सा टपकता रहता है, नाक के अन्दर की सूखी पपड़ी जिसे उतारने पर श्लैष्मिक झिल्ली कच्ची पड़ जाती है। रोगी को नाक के रोग के लक्षण सुबह के समय और ज्यादा तेज हो जाते है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का सेवन कराना बहुत ही लाभकारी रहता है।
चेहरे से सम्बंधित लक्षण- रोगी के चेहरे पर सूजन का आना, रोगी को गाल की हडि्डयां ऐसी महसूस होती है जैसे कि उनमें सूजन आ गई हो, रोगी को अपना चेहरा भरभराया सा लगता है जैसे कि वह सूजकर बहुत मोटा हो गया हो। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी को इतनी तेज खांसी होती है कि रोगी का पूरा शरीर कांप उठता है और खांसी के साथ ही रोगी को बहुत ज्यादा मात्रा में हरा-हरा बलगम सा निकलता रहता है। रोगी को अपनी छाती, आवाज की नली और दिल के आसपास घुटन सी महसूस होती है, कोयले की खान में काम करने वाले मजदूरों को होने वाला दमा रोग, रोगी को अपने फेंफड़ों में ऐसा महसूस होता है जैसे कि सारा धुंआ फेफड़ों में ही घुस गया हो। इन सब लक्षणों में रोगी को अगर नेट्रम आर्सेनिकम औषधि दी जाए तो रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
आंखों से सम्बंधित लक्षण- रोगी अगर किसी भी चीज को कुछ देर तक नज़रे जमा कर देख ले तो उसकी आंखों में दर्द होने लगता है। रोगी की आंखों से कम दिखाई देने लगता है। रोगी को आंखों से हर चीज धुंधली दिखाई देनी लगती है। रोगी जैसे ही तेज रोशनी में आता है तो उसकी आंखों में परेशानी पैदा हो जाती है। रोगी जैसे ही कुछ लिखने या पढ़ने बैठता है तो उसकी आंखें थकी-थकी सी हो जाती है और उनमे दर्द होने लगता है। रोगी की आंखों की पलके पूरी तरह से खुल नही पाती है, रोगी की आंखों और पलकों के बीच का भाग सूज जाता है, खुली हवा में जाने पर रोगी की आंखों में से पानी आने लगता है, सुबह के समय जब रोगी उठता है तो उसकी आंखों में कीचड़ जमा होता है जिसके कारण उसकी आंखें पूरी तरह से खुल भी नही पाती। इन लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का प्रयोग कराना रोगी के लिए बहुत ही लाभदायक रहता है।
आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपना आमाशय भारी सा महसूस होता है, रोगी के आमाशय और नाभि के बीच के भाग में खिंचाव के साथ दर्द होना, रोगी अगर रात के समय हल्का भोजन भी करता है तो उसको अपना आमाशय भारी-भारी सा लगता है, गर्म भोजन खाने से रोगी को आमाशय में जलन सी महसूस होती है। रोगी को ऊबकाई के साथ खट्टी-खट्टी डकारें आती रहती है, रोगी को बहुत तेज प्यास लगती है। इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।
मुंह से सम्बंधित लक्षण- रोगी के मुंह के किनारे फट जाने के कारण वह कुछ मोटे से या बढ़े हुए लगते है, रोगी जैसे ही भोजन करते समय भोजन को चबाता है तो उसके जबड़ों में बहुत तेज दर्द होने लगता है, रोगी की जीभ पर पीली सी परत छा जाती है और जीभ के अन्दर का भाग बिल्कुल लाल हो जाता है और फटा-फटा सा नज़र आता है, रोगी की जीभ लंबी, मोटी और कटी-फटी सी नज़र आती है। इस सब लक्षणों के आधार पर अगर रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि दी जाए तो ये रोगी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होती है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की बांहों में दर्द जो कंधों में ज्यादा होता है, टांग की आगे की नाड़ियों में होने वाला दर्द, रोगी के शरीर के जोड़ों का अकड़ जाना, रोगी को अपना पूरा शरीर थका-थका सा महसूस होता है, रोगी के घुटने के जोड़ों में कड़कड़ाहट महसूस होती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि का सेवन कराना काफी लाभकारी रहता है।
वृद्धि-
रोगी जब सुबह के समय उठता है या भोजन कर लेता है तो उसका रोग बढ़ जाता है।
शमन-
खुली हवा में घूमने से रोग कम हो जाता है।
तुलना-
नेट्रम आर्सेनिकम औषधि की तुलना आर्से, काली-कार्बो और एपिस से की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को नेट्रम आर्सेनिकम औषधि की 3x शक्ति से 30x शक्ति तक देने से रोगी कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।