खाँसी जुकाम

➺ जुकाम (क्रोनिक) ब्रोकियल, नाक से हरे या धूसर रंग का प्रचुर स्राव, अत्यंत दुर्गंधयुक्त बलगम, रात में पसीना आता है, तीसरे दाईं या बाईं पसली में दर्द – COPAIVA OFFICINALIS 6 दिन में दो बार

➺ जुकाम (क्रोनिक), , ठंडी हवा में बाहर जाने पर नाक बंद हो जाती है। गरम कमरे में राहत मिलती है – HEPAR SULPHUR 200 सप्ताह में एक खुराक लें।

➺ जुकाम (क्रोनिक)- CAPSICUM ANNUUM 30 दिन में तीन बार सेवन करें।

➺ म्यूकस मेंब्रेन के जुकाम की अवस्था, गाढ़ा पीला दुर्गंधयुक्त बलगम, लंबा तथा पीड़ादायक जुकाम- CISTUS CANADENSIS – 30 दिन में दो बार।

➺ जुकाम, गाढ़ा रस्सी जैसा चिपकनेवाले पदार्थ का स्राव – KALIUM BICHROMICUM 30 दिन में तीन बार ।

➺ जुकाम, गाढ़ा पीला-हरा दुर्गंधयुक्त स्त्राव-PULSATILLA-30 दिन में तीन बार ।

➺ जुकाम, पस की तरह तिक्त स्राव – ARUM TRIPHYLLUM-30 की एक खुराक रोजाना ।

➺ नाक की जड़ का नजला, नाक में पपड़ी जम जाना LYCOPODIUM-200 की सप्ताह में एक खुराक ।

➺ जुकाम, हरा मंद स्राव – SEPIA-30 दिन में दो बार (यदि PULSATILLA दिया जाता है तो मासिक धर्म समय पूर्व तथा अधिक मात्रा में आ सकता है)।

➺ तेज जुकाम, माथे तथा नाक की जड़ में तेज दर्द तथा दबाव, नाक के ठीक से बहने पर दर्द कम या समाप्त हो जाता है— STICTA PULMONARIA -30 दिन में दो बार

➺ जुकाम, अकसर नाक से थोड़ी मात्रा में रक्त आता है, रूमाल रक्त लगा रहता है – PHOSPHORUS-200 की कुछ खुराकें।

➺ आँख, कान तथा गले का नजला – KALIUM MURIATICUM 30 दिन में तीन बार।

➺ नाक का सूखा नजला, रात में नाक बंद, मुँह से साँस लेनी पड़ती है, नाक बंद होने के कारण सूँ-सूँ करना, बच्चा नाक को मलते हुए नींद से जाग जाता है – LYCOPODIUM 200 की सप्ताह में एक खुराक ।

➺ जुकाम, नाक से गाढ़ा तथा तिक्त स्राव, नाक तथा होंठ ठंडे-LAC CANINUM-30 दिन में दो बार

➺ जुकाम, बलगम नाक से गले तक पहुँचता है, दिन में नाक से प्रचुर स्त्राव, परंतु रात में नाक बंद – NATRIUM CARBONICUM200 की केवल एक खुराक, सप्ताह में एक बार।

➺ जुकाम, नाक का स्राव सूखकर पपड़ी के रूप में जम जाता है, नाक साफ करने का प्रयास करने पर बहुत कम सफलता मिलती है, माथे तथा आगे के साइनस में पीड़ा, कभी-कभी नाक के परदे में घाव हो जाता है STICTA PULMONARIA-6 दिन में दो बार

➺ जुकाम, गाढ़ा पीला स्राव-NATRIUM PHOSPHORICUM दिन में तीन बार । जुकाम, बाद में गले में बलगम गिरना-CORALLIUM RUBRUM-6 दिन में दो बार ।

➺ ठंड से हुए जुकाम में आँखों की समस्या- – DULCAMARA-30 दिन में तीन बार ।

➺ जुकाम के कारण कान के मध्य जलन- MERCURIUS DULCIS 6 X दिन में तीन बार ।

➺ सीने में कमजोरी का एहसास, रोने से इसमें वृद्धि – STANNUM METALLICUM 30 की एक खुराक रोजाना ।

➺ सीने में बलगम के कारण खाँसी में कठिनाई, बलगम बाहर नहीं निकाल पाते- Ammonium Carbonicum-30 दिन में दो बार ।

➺ आसानी से सर्दी-जुकाम लग जाना, जो ठंडी हवा से नाक से सीने तक फैलता है, बुखार की अवस्था में भी ढके रहने की इच्छा – NUX VOMICA 30 हर छह घंटे पर।

➺ मौसम में परिवर्तन के कारण ठंड के प्रति संवेदनशील, सर्दी-जुकाम तथा ठंड जल्दी लगना – NITRICUM ACIDUM 30 की एक खुराक रोज ।

➺ ठंड का आघात, ठंडा पीला चेहरा, नीले होंठ, तेज थकान, शरीर के ठंडा होने के बावजूद ढके जाने की इच्छा नहीं — CAMPHORA Q की दो से पाँच बूँदें – दिन में तीन बार ।

➺ जल्दी ठंड लग जाना, आग के पास रहने तथा गरम कपड़े पहनने की इच्छा, रोगी गरम कमरे में रहना चाहता है- ARSENICUM ALBUM-30 हर छह घंटे पर ।

➺ तुरंत सर्दी-जुकाम लगना, तेज छींकें- NATRIUM CARBONICUM 30 सुबह-शाम

➺ सर्दी-जुकाम, ताकत तथा भूख कम होना-NATRIUM ARSENICOSUM 30 दिन में तीन बार

➺ सर्दी/नाक की सूजन, ठंड के कारण छींक आना, गले में शुष्कता, ज्वर में तथा सूखी खाँसी – ACONITUM NAPELLUS-6 एक घंटे के अंतराल पर।

➺ सर्दी / नाक की सूजन, ज्वर, खाँसी, बदन दर्द, प्यास बिलकुल नहीं – GELSEMIUM SEMPERVIRENS 6 एक-एक घंटे के अंतराल परदें ।

➺ सर्दी / नाक की सूजन, अधिक छींक, नाक अधिक बहना ALLIUM CEPA 6 तीन-तीन घंटे के अंतराल पर सर्दी, नाक की सूजन, नाक से बहनेवाला पदार्थ पीलापन या हरापन लिये हुए, शाम को रोग का बढ़ना- PULSATILLA 30 हर तीन घंटे पर ।

➺ सर्दी, नाक की सूजन, नाक से गाढ़ा या कभी-कभी पतला स्राव – NATRIUM MURIATICUM 6 हर तीन घंटे पर।

➺ सर्दी, नाक की सूजन, छींक, नाक से पतला और जलनकारी स्राव, कम मात्रा में पानी पीने की इच्छा, अंदर से ठंड महसूस होना ARSENICUM ALBUM – 6 दो घंटे पर।

➺ सर्दी / नाक की सूजन, छींक से आरंभ होता है, दिन में नाक बहती है तथा रात में सूख जाती है, हलकी कँपकँपी-NUX VOMICA-30 चार चार घंटे पर |

➺ नियमित रूप से सर्दी-जुकाम रहना BACILLINUM BURNETT 200 की एक खुराक रोज।

➺ ठंडी हवा में थोड़ी देर भी रहने पर सर्दी-जुकाम लग जाना TUBERCULINUM 200 सप्ताह में एक बार।

➺ ठंड, बाहर से काफी ठंड महसूस होना, पर ढके जाने पर आपत्ति, जीवनी – . शक्ति के अभाव में अत्यंत थकान-CAMPHORA-6 दिन में दो बार ।

➺ हाथ-पैर ठंडे, परंतु शेष शरीर गरम- – MENYANTHES TRIFOLIATA-30 दिन में दो बार

➺ सन्निपात की अवस्था, ठंड से, ठंडी जीभ और साँस, पीला चेहरा, अनियमित नाड़ी गति, पसीना चलना, साँस लेने में परेशानी के कारण ऑक्सीजन की आवश्यकता, नजदीक से पंखा झले जाने की इच्छा (पर महिला दूर से हवा चाहती है) – Carbo Vegetabilis-30 दिन में तीन बार ।

➺ सन्निपात, अत्यंत थकान, ठंड लगना तथा पसीना, खासकर माथे पर, ठंडी साँस, पीला चेहरा, अधिक मात्रा में मल-त्याग – VERATRUM ALBUM 6 दिन में दो बार ।

➺ सन्निपात, चेहरा पीला, पसीने से नहाया हुआ (पेचिश के साथ – CARBOLICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार

➺ सन्निपात, दर्दरहित मल या बिलकुल ही मल-त्याग न होना- CAMPHORA-6 दिन में दो बार |

➺ साधारण सर्दी-जुकाम, आरंभिक अवस्था में खाँसी के साथ नाक बहना, छींकें आना तथा दम घुटने का एहसास, बंद कमरे में हालत बदतर – JUSTICIA ADHATODA 30 दिन में तीन बार ।

➺ साधारण सर्दी-जुकाम, आरंभिक अवस्था में, नाक बंद तथा ठंड लगना –NUX VOMICA 30 दिन में तीन बार

➺ साधारण सर्दी-जुकाम, आरंभिक अवस्था में, नाक बाधित, नम मौसम में हालत बदतर- LEMNA MINOR-30 दिन में तीन बार

➺ साधारण सर्दी-जुकाम, आरंभिक अवस्था में, छींक, तिक्त स्राव, खुली हवा में हालत बेहतर – ALLIUM CEPA-30 दिन में तीन बार

➺ बच्चों को सामान्य सर्दी-जुकाम, रात में नाक जाम – SAMBUCUS NIGRA-30 दिन में चार बार ।

➺ साधारण सर्दी-जुकाम, आरंभिक अवस्था में, छींक, क्षुब्धकारी पानीदार स्राव, नाक बहना तथा कमजोरी-ARSENICUM ALBUM-6 दिन में चार बार |

➺ सामान्य सर्दी-जुकाम, ठंड लगना, नाक तथा गले में खिचखिचाहट – ACONITUM NAPELLUS-6 दिन में तीन बार या CAMPHORA Q पानी या दूध में चीनी मिलाकर दो बूँदें हर दो घंटे पर, राहत मिलने तक।

➺ सामान्य सर्दी-जुकाम, जब स्राव गाढ़ा और हरापन लिये हुए पीले रंग का हो जाता है, स्वाद का पता नहीं चलता बार। PULSATILLA-30 दिन में चार

➺ सामान्य सर्दी-जुकाम, जब स्राव गाढ़ा हो जाता है और प्रातः के समय स्थिति बदतर होती है—KALIUM MURIATICUM-30 दिन में तीन बार ।

➺ नाक बहना, नाक का बायाँ छेद बंद, मुँह से साँस लेने की मजबूरी रात में छींक, नाक का स्राव लाल धब्बे छोड़ता है तथा नाक की अंदरूनी व बाह्य त्वचा को छील देता है, नाक बहने के बावजूद नाक बंद रहती है ARUM TRIPHYLLUM 200 की एक खुराक रोज ।

➺ नाक से पानीदार कटु स्राव – Ammonium Muriaticum 30 दिन में तीन बार।

➺ नाक बहना, गरम कमरे में अधिक बदतर स्थिति, नाक बंद हो जाना— PULSATILLA-30 दिन में दो बार

➺ नाक बहने का पुराना रोग, नीलाभ या पीला बलगम – ARSENICUM IODATUM-30 दिन में दो बार

➺ नाक बहने का पुराना रोग, गले से गाढ़ा स्त्राव निकलना – NATRIUM CARBONICUM30 दिन में दो बार

➺ नाक बहना, निरंतर छींक, फिर नाक से पानीदार स्राव, जो बाद में गाढ़ा हो जाता है, नाक में जलन होती है, नाक बंद हो जाती है- SABADILLA 30 दिन में दो बार ।

➺ नाक बहना, शुष्क तथा बंद नाक, रात में मुँह से साँस लेनी पड़ती है – AMMONIUM CARBONICUM-30 दिन में दो बार

➺ नाक बहना, रात में सूख जाता है, दिन में बहता है, गरम कमरे में हालत बदतर, ठंडी हवा में बेहतर NUX VOMICA 30 की एक खुराक रोजाना ।

➺ नाक बहना, ठंडे कमरे में निरंतर नाक बहती है, गरम कमरे में रुक जाती है- CALCAREA PHOSPHORICA-6 दिन में तीन बार

➺ नाक बहना, लगातार छींक-ARGENTUM METALLICUM-6 दिन में दो बार |

➺ नाक बहना, ठंडी वायु के कारण- HEPAR SULPHUR-200 की एक खुराक । 

➺ नाक बहना, क्षुब्धकारी नासिका स्राव, परंतु आँख के स्राव से कोई जलन नहीं, गरम कमरे में परेशानी बढ़ती है, कान में दर्द के साथ सिरदर्द – ALLIUM CEPA 6 की एक खुराक रोजाना ।

➺ नाक बहना – iodum-Q की एक बूँद सीधे जीभ पर

➺ नाक बहना, निरंतर तेज छींकें, रात में नाक बंद हो जाती है और उसमें पपड़ी जम जाती है, खाँसी-NATRIUM ARSENICOSUM 6 हर चार घंटे पर ।

➺ नाक बहना, खाँसी, तेज दर्द, खाँसी के दौरान चिपकनेवाला तथा सफेद स्स्राव – KALIUM MURIATICUM-30 दिन में दो बार

➺ नाक बहना, आँखों से होनेवाला स्त्राव जलन भरा होता है, परंतु नाक से होनेवाला स्राव सामान्य होता है, गरम कमरे में रोग में वृद्धि होती है EUPHRASIA OFFICINALIS – 30 दिन में तीन बार

➺ नाक बहना, पतला, पानीदार स्राव, जलन, गले में खराश तथा ठंडी वायु में साँस लेना कठिन – Aesculus Hippocastanum.-30 दिन में तीन बार

➺ नाक बहना, निरंतर छींक तथा प्रचुर स्राव, ऊपरी होंठ तथा नाक छिलना, बलगम अधिक मात्रा में निकलता है, खाँसी तथा खड़खड़ाहट, शाम को तथा गरम कमरे में स्थिति बदतर, खुली हवा में कम कठिनाई, आँखों में जलन, दर्द तथा टीस-ALLIUM CEPA-30 दिन में तीन बार

➺ नाक बहना, छींक, टीस, नम मौसम में बदतर – MERCURIUS SOLUBILIS-200 की एक खुराक  रोजाना

➺ नाक बहना, ऊपरी होंठ तथा नाक की सूजन- BARYTA CARBONICA 6 दिन में तीन बार

➺ नाक बहना, पीलापन लिए हुए गाढ़ी खाँसी- PULSATILLA 30 हर छह घंटे पर ।

➺ पुरानी खाँसी, युवुला तथा टॉन्सिल में वृद्धि – BARYTA CARBONICA – 6 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, सीने में दर्द, सीने के बाएँ भाग में अधिक दर्द, ठंडे नम मौसम में रोग अधिक बढ़ता है- Natrum sulph-30 दिन में दो बार ।

➺ दमावाली खाँसी, गरम पेय पदार्थों से राहत-CHELIDONIUM MAJUS 30 दिन में तीन बार

➺ खड़खड़ाहट भरी खाँसी- ACONITUM NAPELLUS 30 या SPONGIA TOSTA 30 दिन में दो बार ।

➺ सूखी आवाजवाली खाँसी-SPONGIA TOSTA-30 दिन में तीन बार

➺ सूखी खाँसी, बहुत कठिनाई से थोड़ा भूरे रंग का कफ निकलता है – ARGENTUM METALLICUM 30 दिन में दो बार

➺ सूखी खाँसी, हृदय संबंधी समस्या के साथ – NAJA TRIPUDIANS 6 एक खुराक रोजाना ।

➺ सूखी खाँसी, साथ में जलन भी – JUSTICIA ADHATODA 30 हर चार घंटे पर ।

➺ सूखी खाँसी, रात में तथा नींद के समय अधिक, गले में खराश, ठंडे मौसम में या हर सर्दी में अधिक CHAMOMILLA-30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी ऐसी कि गर्भपात की आशंका-KALIUM BROMATUM-6 दिन में तीन . बार।

➺ खाँसी, डकार तथा उग्रता के साथ – AMBRA GRISEA – 30 दिन में दो बार ।

➺ श्वासनली संबंधी खाँसी, सोने के तुरंत बाद खाँसी- ARALIA RACEMOSA-30 दिन में चार बार ।

➺ श्वासनली संबंधी खाँसी, सूखी खाँसी, लेटने पर आराम – MANGANUM ACETICUM 30 दिन में तीन बार श्वासनली संबंधी खाँसी, खड़खड़ाहट सहित खाँसी तथा छींकें ARSENICUM ALBUM-30 दिन में दो बार ।

➺ श्वासनली संबंधी खाँसी, बलगम निकलने में कठिनाई-ANTIMONIUM TARTARICUM 30 दिन में तीन बार

➺ गीली खाँसी, खाँसी के दौरान साँस लेने में काफी कठिनाई, रात को खाँसी के साथ पसीना। यदि छींक भी आए तो रोगी हमेशा थका हुआ महसूस करता है – Ammonium Muriaticum 30 दिन में दो बार

➺ गीली खाँसी, बलगम गाढ़ा, पीला या हरा होता है – PULSATILLA 30 दिन में दो बार ।

➺ काली खाँसी, भोजन का वमन न – IPECACUANHA 30 दिन में तीन बार

➺ फ्लू के बाद बने रहनेवाली खाँसी- Ammonium Carbonicum 6 या 30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, लंबे धागे जैसा चिपचिपा बलगम-KALIUM BICHROMICUM 30 दिन में दो बार ।

➺ काली खाँसी, ठंडा पानी पीने पर राहत – CUPRUM METALLICUM 30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, खाँसते-खाँसते मल निकल जाए-PHOSPHORUS-6 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, सिर में दर्द, खाँसी के समय सिर को हाथों से पकड़ लेना तथा लेटने पर मजबूर होना, बैठने पर हालत अधिक बुरी, खाँसी के समय शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द – CAPSICUM ANNUUM 6 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, पहली नींद के बाद ACONITUM NAPELLUS-30 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, खसरे के बाद – PULSATILLA-30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी, आधी रात के बाद-SPONGIA TOSTA-30 दिन में तीन बार । खाँसी, लेटने पर अधिक – HYOSCYAMUS NIGER 30 दिन में दो बार या DROSERA ROTUNDIFOLIA-30 की एक खुराक ।

➺ खाँसी, गरम कमरे से ठंडे कमरे में जाने पर बढ़ती है – BRYONIA 6 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, आग देखने पर बढ़ती है – ANTIMONIUM CRUDUM – 30 दिन में दो बार।

➺ खाँसी, बैठने के बाद बढ़ती है, लेटने पर राहत मिलती है – FERRUM METALLICUM 30 दिन में दो बार या MANGANUM ACETICUM-30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, ठंडी नम वर्षा ऋतु के दौरान सर्दी-जुकाम के साथ Dulcamara-30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, जैसे ही रोगी का सिर तकिए का स्पर्श करता है, खाँसी का एक ऐंठन भरा दौरा पड़ता है, रोगी घुटन महसूस करता है, कमरे में टहलना पड़ता है या कुरसी पर सोना पड़ता है-CROTON TIGLIUM 30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी, दाएँ कंधे के नीचे दर्द के साथ- -CHELIDONIUM MAJUS-Q दो से पाँच बूँदें दिन में दो बार

➺ खाँसी, वृद्धों को रात में लगभग तीन बजे, निरंतर खाँसी से पसीना तथा बेचैनी, फ्लू के हमले के बाद – AMMONIUM CARBONICUM 30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, ठंडा पानी पीने पर आराम CAUSTICUM – 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ खाँसी, लेटने पर आराम – MANGANUM ACETICUM-30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी, रात में खाँसी के दौरान रक्त निकलता है, परंतु दिन निकलता-ARNICA MONTANA-30 दिन में दो बार में नहीं

➺ किसी संक्रामक रोग के कारण हुई खाँसी – NAJA TRIPUDIANS-6 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, बलगम के साथ – ALUMINA 200 की एक खुराक ।

➺ खाँसी, दमा संबंधी, दमघोंटू, शुष्क-ठंडी वायु में जाने पर दम घुटता है। – HEPAR SULPHUR-30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, दमा से संबंधित, नींद से उठने के बाद अधिक, तेज खाँसी के साथ दम घुटने का एहसास होता है, साँस लेने में कठिनाई । बोलने, पढ़ने, गाने तथा निगलने के दौरान अधिक खाँसी-SPONGIA TOSTA – 200 की एक खुराक रोज ।

➺ खाँसी, गहरी, खोखली, रूखी आवाज में – VERBASCUM THAPSUS 6 चार चार घंटे के अंतराल पर ।

➺ खाँसी, गहरी आवाज, सीने तथा पेट की मांसपेशियों में तेज सिकुड़न, जिसके कारण रोगी को उन्हें हाथों से पकड़ना पड़ता है, आधी रात के बाद खाँसी अधिक तेज-DROSERA ROTUNDIFOLIA-30 की केवल एक खुराक, लक्षण जारी रहने पर दुहराई जा सकती है ।

➺ खाँसी, मवाद जैसा बलगम, दुर्गंधयुक्त GUAIACUM 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, सूखी, थकाऊ तथा दो दौरों में, रात में तथा दाईं करवट सोने पर अधिक – Mercurius Vivus 30 और MERCURIUS SOLUBILIS-30 दोनों को बदल-बदलकर दें, दिन में दो बार

➺ सूखी खाँसी, ज्वर के साथ, कफ निकलने के बाद आराम – GUAIACUM-6 हर चार घंटे पर दुहराएँ ।

➺ सूखी खाँसी, गले में खराश, बाईं करवट लेटने और मेहनत करने पर अधिक कष्ट, दम घुटता है, बोलने में असमर्थ, नाड़ी गति अनियमित – NAJA TRIPUDIANS-6 दिन में तीन बार ।

➺ सूखी खाँसी, ऐंठन के साथ, खाँसी के दौरान मूत्र IPECACUANHA 30 दिन में दो बार विसर्जन –

➺ सूखी खाँसी, मिचली या वमन के साथ, खाँसी के दौरान दम घुटने का एहसास – IPECACUANHA 30 दिन में दो बार

➺ सूखी खाँसी, ठंड या कपड़े बदलते समय कष्ट अधिक, नाक तथा गले को ढकने पर थोड़ा आराम-RUMEX CRISPUS-30 दिन में चार बार सूखी खाँसी, रात में बढ़ जाती है, बलगम निकलने पर राहत महसूस होती है, कभी-कभी वमन भी होता है-BELLADONNA 30 दिन में तीन बार

➺ सूखी खाँसी, थकानेवाली, गले में खिचखिच, फटी आवाज, खाँसी के दौरान स्वतः मल-मूत्र निकल जाना, ठंड में रहने पर स्थिति अधिक खराब, पूरे शरीर को ढकने पर आराम – RUMEX CRISPUS 30 दिन में तीन बार

➺ सूखी खाँसी, वमन के साथ, सीने में दर्द, सिरदर्द खाने पीने तथा गरम कमरे में प्रवेश करने पर स्थिति अधिक खराब – BRYONIA 30 दिन में तीन बार

➺ सूखी खाँसी, ऐंठन के साथ, खाँसने पर राहत नहीं, अधिक खाँसने पर जलन । तब खाँसी बढ़ती ही जाती है – IGNATIA AMARA – 30 दिन में तीन बार

➺ सूखी खाँसी, थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाँसी-ARSENICUM ALBUM- 30 दिन में दो बार

➺ हृदय संबंधी कमजोरी या रोग के कारण खाँसी-DIGITALIS-30 दिन में तीन बार ।

➺ ठंड, शुष्क मौसम के दौरान खाँसी, पहली नींद के बाद उसमें तेजी ACONITUM NAPELLUS 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, खड़खड़ाहट की आवाज, अधिक बलगम जमा हो जाना SENEGA-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार

➺ खाँसी, पेल्विक क्षेत्र में दर्द, शीतल पेय पीने पर आराम, गले में दर्द, लेटने पर खाँसी में वृद्धि, बलगम नहीं निकल पाता – CAUSTICUM-200 की एक खुराक ।

➺ खाँसी, खाँसी के दौरान सीने में दर्द, कंधों के बीच में ठंड का एहसास – Ammonium Muriaticum – 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, खसरे के बाद, रात में सूखी खाँसी, बाद में कफयुक्त हो सकती है, खाँसी के कारण सोने या लेटने में परेशानी, बैठना अनिवार्य-STICTA PULMONARIA 6 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, ठंडी जगह से गरम जगह में जाने पर NATRIUM CARBONICUM30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी, गरम से ठंडी हवा में जाने पर बोलने, हँसने, कुछ खाने-पीने या बाईं करवट लेटने पर अधिक तेज खाँसी-PHOSPHORUS-200 दो सप्ताह में एक बार।

➺ खाँसी, दबी हुई खुजली या हर सर्दी में एक्जीमा होने के कारण PSORINUM 200 की सप्ताह में एक खुराक ।

➺ खाँसी, वसायुक्त भोजन लेने से, खाँसी के साथ अनैच्छिक मूत्र विसर्जन – PULSATILLA-30 दिन में तीन बार

➺ खाँसी के समय यदि मल-मूत्र निकल जाए बार । SQUILLA MARITIMA-30 दिन में दो

➺ खाँसी वृद्धों में, बलगम अत्यंत कठिनाई से तथा लंबे रेशों के रूप में निकलता है – ALUMEN 30 दिन में दो बार

➺ सर्दियों में खाँसी, गरमियों में राहत – Ammonium Carbonicum -30 दिन दो बार।

➺ खाँसी के साथ अनैच्छिक मूत्र विसर्जन – TARENTULA CUBENSIS – 30 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, जलकारी-MENTHA PIPERITA-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, जलन, प्रचुर लार के साथ दम घुटने का एहसास – MERCURIUS SOLUBILIS . MERCURIUS CYANATUS-6 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, सुबह के समय अधिक तथा शाम के समय सूखी – RHUS TOXICODENDRON-30 दिन में दो बार । अधिक खाँसी, हरा तथा मीठा बलगम-STANNUM METALLICUM मेटेलिकम 30 कुछ खुराकें।

➺ खाँसी, सीने में कफ की खड़खड़ाहट, गठिया प्रकृति का दर्द, जो यहाँ से वहाँ जाता रहता है – KALIUM SULPHURICUM- 200 की एक खुराक रोजाना ।

➺ खाँसी, दुर्गंधयुक्त कफ के साथ, रोगी को स्वयं भी अपना बलगम तथा साँस दुर्गंधयुक्त लगती है, ऐसी खाँसी सामान्यतः ब्रोंकाइटिस या निमोनिया के बाद होती है – SANGUINARIA CANADENSIS-Q की पानी में दो से तीन बूँदें, दिन में तीन बार

➺ खाँसी, अधिकतर सूखी, बाएँ सीने के ऊपरी भाग से लेकर बाएँ कंधे तक दर्द – MYRTUS COMMUNIS 6 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, निश्श्वास से नितंबों में दर्द, ठंडा पानी पीने पर खाँसी में आराम, खाँसी के दौरान स्वतः मूत्र विसर्जन – CAUSTICUM – 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, केवल दिन में – THUJA 6 दिन में तीन बार या EUPHRASIA OFFICINALIS – 200 एक खुराक ।

➺ खाँसी, केवल रात में – PETROLEUM 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, खासकर रात के अंतिम प्रहर में – SPONGIA TOSTA-30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, लेटने पर परेशानी अधिक, बैठने पर आराम (खासकर वृद्ध व्यक्तियों में) – HYOSCYAMUS NIGER 6 दिन में तीन बार । खाँसी, प्रचुर, गाढ़ा तथा हरा कफ, उरोस्थि (ब्रेस्ट बोन) से कफ निकलता प्रतीत होता है। वहाँ से पीठ तक दर्द, काफी कमजोरी महसूस होना तथा रात में पसीना आना-KALIUM IODATUM 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ खाँसी, मवाद भरा, दुर्गंधयुक्त, सीने में दर्द, नमकीन कफ- PHOSPHORICUM ACIDUM 6 दिन में दो बार |

➺ खाँसी, फ्लू के बाद ऐंठनयुक्त, रात में बदतर, गाल लाल, रात में पसीना, डकार पर समाप्त होती है- SANGUINARIA CANADENSIS – 30 दिन में तीन बार ।

➺ खाँसी, ऐंठनयुक्त या दमा की तरह, अत्यंत अवसाद तथा साँस में घरघराहट, बच्चा सख्त हो जाता है और नीला पड़ जाता है— IPECACUANHA 3 दिन में दो बार

➺ खाँसी, गोली चलने की आवाज जैसा खँखारना, रात में अधिक – CORALLIUM RUBRUM 30 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, ऐंठन के साथ, खाँसते समय कफ की निकलती है–CHELIDONIUM MAJUS 6 हर चार घंटे पर छोटी गाँठ मुँह से

➺ खाँसी, ऐंठनयुक्त, भोजन का वमन KALIUM CARBONICUM 30 सप्ताह में एक खुराक ।

➺ खाँसी, ऐंठन के साथ, चिपचिपा बलगम निकलता है – BADIAGA 6 दिन में तीन बार ।

➺  खाँसी, हृदय संबंधी समस्या के साथ- Laurocerasus 200 की एक खुराक रोजाना ।

➺ खाँसी, रात में ग्यारह बजे आरंभ होती है, गरम स्थान से ठंडे स्थान पर जाने के कारण-RUMEX CRISPUS-30 दिन में तीन बार |

➺ खाँसी, गले को ढकने से आरंभ होती है- AMBRA GRISEA -30 दिन में दो बार।

➺ खाँसी, शाम को आरंभ होती है, पूरी रात रहती है, सुबह पूरी तरह चली जाती है – SYPHILINUM M सप्ताह में एक खुराक ।

 ➺ खाँसी, त्वचा समस्याओं के साथ- CROTON TIGLIUM 30 दिन में दो बार । 

➺ खाँसी, नम तथा गीली, केवल सुबह जगने के बाद – HEPAR SULPHUR-30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, नम, खाँसी के दौरान सीने में दर्द, दर्द बाएँ फेफड़े के निचले भाग . में स्थित होता है – Natrum sulph 30 दिन में दो बार

➺ खाँसी, सफेद, चिपचिपा कफ- KALIUM MURIATICUM-30 हर छह घंटे पर।

➺ खाँसी, काली खाँसी, काफी बलगम निकलता है, रेशेदार सफेद कफ, जो बड़ी मात्रा में निकलता है, वमन- COCCUS CACTI–Q की पानी में दो बूँदें, दिन में दो बार

➺ खाँसी, भूरा चिपचिपा बलगम, हँसने से परेशानी बढ़ती है – ARGENTUM METALLICUM 30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, दुर्गंधयुक्त बलगम के साथ, सीने की दाईं ओर पीड़ा – BORAX VENETA-30 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, छाती में बलगम का संचय अधिक हो जाता है, खड़खड़ाहट, साँस लेने में कठिनाई, घरघराहट – SENEGA Q, तब तक हर दो घंटे पर जब तक राहत न मिले ।

➺ खाँसी, प्रचुर मात्रा में कफ निकलना, बैठने के लिए विवश करता है – Phellandrium 30 दिन में तीन बार

➺ खाँसी, छींक के साथ, आँखों से पानी बहना तथा अनैच्छिक मूत्र विसर्जन, गीली खाँसी तथा खड़खड़ाहट, काफी बलगम निकलना, सुबह के समय गीली खाँसी, शाम की सूखी खाँसी के कारण अधिक थकान SQUILLA MARITIMA-6 दिन में दो बार ।

➺ खाँसी, खाँसने के साथ रोगी बेहतर महसूस करता है टेरेंटुला या अरेनिया डाइडिमा दोनों दिन में दो दो बार थूक या बलगम में खून आना, प्रचुर मवादयुक्त बलगम और पीड़ायुक्त खाँसी – TRILLIUM PENDULUM 6 दिन में तीन बार ।

➺ थूक या बलगम में खून आना, खाँसी, आसानी से खून निकलना, खाँसी वर्षों तक बने रहना- – HAMAMELIS VIRGINIANA-क्यू, पानी में दो पाँच बूँदें, दिन में चार बार

➺ श्वासनली में बलगम का जमाव, रूखी खड़खड़ाहट, बलगम निकालने में असमर्थता, फेफड़ों का संभावित पक्षाघात – ANTIMONIUM TARTARICUM 30 दिन में दो बार

➺ नाक का नजला, गाढ़ा पीला स्राव, हरापन लिये हुए और दुर्गंधयुक्त Theridion Curassavicum 30 दिन में तीन बार ।

➺ नजला, आँखों से पानी निकलने के साथ- – EUPHRASIA OFFICINALIS – 6 हर छह घंटे पर।

➺ नेफोफेरिंक्स, ठंड और नजला होने की संभावना – CISTUS CANADENSIS 30 हर छह घंटे पर।

➺ कफ, भूरे रंग का – ARGENTUM METALLICUM-30 दिन में दो बार लें। 

➺ कफ, कड़वा स्वाद – PULSATILLA-30 दिन में दो बार खाएँ ।

➺ कफ, नमकीन स्वादवाला- SEPIA 200 की एक खुराक प्रतिदिन या KALIUM IODATUM-30 दिन में दो बार लें।

➺ कफ, मीठे स्वाद का, अंडे की सफेदी जैसे सफेद या पीले रंग का STANNUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार लें।

➺ ठंड से काँपना, लेकिन कभी ठंड, कभी गरमी लगना GELSEMIUM SEMPERVIRENS 30 दिन में तीन बार या NUX VOMICA-30 दिन में तीन बार ( हलकी सी हरकत से ठंड महसूस होना और आग के पास बैठने की इच्छा) या ARSENICUM ALBUM-30 दिन में तीन बार (कभी ठंड, कभी गरमी लगना; थोड़ी मात्रा में पानी पीने की इच्छा ) या MERCURIUS SOLUBILIS-30 (अधिक मात्रा में पानी पीने की इच्छा, अत्यधिक लार) ।

➺ छींक और नजला, ठंडे पानी में हाथ डालने से-PHOSPHORUS-30 की एक खुराक प्रतिदिन ।

➺ निरंतर छींकें- SQUILLA MARITIMA-30 दिन में तीन बार लें।

➺ सुबह में छींक, आँख और नाक से पानी आना- AMMONIUM PHOSPHORICUM-3X दिन में तीन बार

➺ शिशुओं में सूखा नजला, नाक पूरी तरह बंद, साँस लेने या दूध पीने में कठिनाई LYSSINUMSAMBUCUS NIGRA 6 दिन में तीन बार

➺ अनियमित खाँसी, बलगम की गाँठ, जो खाँसने पर मुँह से उड़ती है – CHELIDONIUM MAJUS-6 हर छह घंटे पर।

➺ बलगम, भूरे रंग का – ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार ठंड के प्रति संवेदनशील, जो लोग ठंडे और नम मौसम के प्रति संवेदनशील होते हैं, तंत्रिका शूल संबंधी, ठंड से बदतर, ढकने और गरमी में राहत – KALIUM CARBONICUM-30 की एक खुराक रोजाना ।

➺ ठंड के प्रति संवेदनशील – SULPHUR 200 पहले सप्ताह में, CALCAREA CARBONICA- 200 दूसरे सप्ताह में और TUBERCULINUM – 200 तीसरे सप्ताह में। सब साप्ताहिक खुराक ।

➺ ठंड के प्रति संवेदनशील – BACILLINUM BURNETT 200 की एक खुराक रोजाना ।

➺ ठंड के प्रति संवेदनशील – PSORINUM 200 की सप्ताह में एक खुराक 

➺ गरम और नम मौसम के प्रति संवेदनशील, शाम और नम वायु में स्थिति बदतर Carbo Vegetabilis 200 की एक खुराक रोजाना।

➺ काली खाँसी, ऐंठन संबंधी, मिचली और वमन, नाक और मुँह से – IPECACUANHA – 200 दिन में दो बार रक्तस्त्राव -. काली खाँसी-क्रोकस कैकटाई-6 दिन में तीन बार दें।

➺ काली खाँसी, जागने के बाद स्थिति बदतर- – DROSERA ROTUNDIFOLIA दिन में तीन बार, एक सप्ताह तक। पहली खुराक के तुरंत बाद दूसरी खुराक न दें; दोनों में कम-से-कम चार घंटे का अंतर होना चाहिए ।

➺ काली खाँसी, खाँसी के दौरान अनैच्छिक मूत्र त्याग हो जाना, वमन और दस्त – VERATRUM ALBUM – 30 दिन में तीन बार |

➺ काली खाँसी, मुँह से चमकीले धागे जैसी लार- COCCINELLA-30 दिन में तीन बार ।

➺ काली खाँसी, दम घुटना, ऐंठन, बोलने में असमर्थता, साँस फूल जाना, . नीला चेहरा, शरीर का सख्त हो जाना, एक के बाद एक तीन दौरों से मूर्च्छित हो जाना, चेतनता प्राप्त करने के लिए भोजन का वमन हो जाना – CUPRUM METALLICUM-6 दिन में तीन बार ।

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