क्रैटिगिस Craraegus

परिचय-

          सिर का घूमना, नाड़ी का रुक-रुककर चलना, खून का दबाव कम होना आदि लक्षणों में क्रैटिगिस औषधि बहुत लाभकारी होती है। इसके अलावा, दिल की पेशियों की जलन, दिल का सही तरीके से काम न करना, नींद न आना, खून की कमी होना, त्वचा का ठण्डा होना आदि लक्षणों में भी यह औषधि अच्छा काम करती है।

       दिल के पुराने रोग जिसमें रोगी बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है, दिल का रुक-रुककर धड़कना, सिर के पीछे के हिस्से में दर्द होना, आंतों से खून आना, हाथ-पैर ठण्डे होना, शरीर का पीला होना, सांस और नाड़ी का सामान्य तरीके से न चलना, कंधे के नीचे, छाती के बायें हिस्से में दर्द होना आदि के लक्षणों में ये औषधि सही तरीके से काम करती है।

विभिन्न रोगों के लक्षणों में क्रैटिगिस औषधि का उपयोग-

सिर से सम्बंधित लक्षण- सिर के पीछे के हिस्से और गर्दन में दर्द होना, याददाश्त का कमजोर होना, बहुत ज्यादा स्नायविक और चिड़चिड़ा होना आदि सिर के रोगों के लक्षणों में रोगी को क्रैटिगिस औषधि का सेवन कराने से आराम आता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- बच्चों को होने वाले मधुमेह, पसीना ज्यादा आना आदि लक्षणों में क्रैटिगिस औषधि का नियमित रूप से सेवन कराने से बच्चों का मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।

हृदय (दिल) से सम्बंधित लक्षण- दिल में पानी भरना, महाधमनी के रोग, थोड़ा सा दूर चलते ही या थोड़ा सा वजन उठाते ही सांस का फूल जाना, खांसी होना, दिल का फैला हुआ लगना, नाड़ी का तेज चलना, कमजोरी, त्वचा ठण्डी होना, हाथ-पैरों की उंगलियों का रंग पीला पड़ जाना आदि लक्षणों में रोगी को क्रैटिगिस औषधि देने से लाभ होता है।

चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- त्वचा पर पसीना ज्यादा आना, छोटे-छोटे से दाने होना आदि चर्मरोगों में रोगी को क्रैटिगिस औषधि का सेवन कराने से आराम आता है।

वृद्धि-

       गर्म घर में रहने से रोग बढ़ जाता है।

शमन-

       ताजी हवा में, शांति में, आराम करने से रोग कम हो जाता है।

तुलना-

       क्रैटिगिस औषधि की तुलना स्ट्रोफैन्थस, डिजिटै, आइबेरिस, नैजा, कैक्टस आदि से की जाती है।

मात्रा-

       मूलार्क 1 से 15 बूंद।

जानकारी-

      अगर अच्छा परिणाम पाना हो तो कुछ समय तक लगातार इस औषधि को लेते रहना चाहिए।

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