ऐंथ्राकोकाली (ANTHRAKOKALI)

परिचय-

       हाथ-पैरों के फटने (क्रेक्स), तेज खुजली होने और जीर्ण परिसर्प (क्रोनिक हर्पेस) रोग को ठीक करने के लिए ऐंथ्राकोकाली औषधि का प्रयोग करना लाभदायक है।

       अण्डकोष, टांगों की लम्बी हड्डी, हाथों तथा पैरों के पिछले भागों पर दाने निकल आते हैं तथा उनमें पीब भर जाती है और रोगी को प्यास बहुत लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐंथ्राकोकाली औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

       पुराने आमवात का रोग (क्रोनिक रीयुमेटिज्म), पित्त से संबन्धित रोग, पित्त-उल्टी (वोमिटिंग ऑफ बाइल), पेट फूलना और अफारा (पेट का फूलना)। ऐसे रोगों को ठीक करने के लिए ऐंथ्राकोकाली औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मात्रा (डोज) :-

       ऐंथ्राकोकाली औषधि की निम्न शक्ति वाले विचूर्ण का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।

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