ऐंगुस्टुरा वेरा (Angustura vera)

परिचय-

           जोड़ों का दर्द जिसके कारण रोगी को चलने-फिरने में बहुत अधिक परेशानी महसूस होती है तथा लकवा का प्रभाव अधिक होता है, रोगी को कॉफी पीने की अधिक इच्छा होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

       श्लेष्मकलाओं तथा मेरू-प्ररेक तन्त्रिकाओं पर ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है।

विभिन्न लक्षणों में ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का उपयोग-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होता है, गालों में तेज दर्द होता है, शरीर के कई अंगों में खिंचाव, शंख-पेशियों में तथा जबड़ा खोलते समय दर्द होता है, हनु-संधियों, चर्वणिका पेशियों में एक प्रकार का ऐसा दर्द होता है जैसे कि वे अधिक थक गई हो, गाल की हडि्डयों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

आमाशय  से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के जीभ का स्वाद कड़वा हो जाता है, कॉफी पीने की अधिक इच्छा होती है, नाभी से लेकर छाती तक के भाग में दर्द होता है, रोगी को उबकाई आती है जिसके साथ-साथ रोगी को खांसी भी हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :-

  • रोगी के पेट के नीचे के भाग में खुजली होती है, गर्दन की कशेरुकाओं में दर्द होता है तथा उसमें खिंचाव होता है।
  • रीढ़ की हड्डी के पिछले भाग में दर्द होता है जो दबाव देने से बढ़ जाती है।
  • गर्दन के पिछले भाग में तथा त्रिकास्थि में दर्द होना और इसके साथ-साथ रोगी के पीठ के निचले भाग में दर्द होता है और झटके लगते है, रोगी की पीठ पीछे की ओर झुक जाती है।
  • इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के मांसपेशियों तथा जोड़ों में अकड़न और तनाव होता है तथा शरीर के कई अंगों में चलते समय दर्द होता है, बाहें थकी हुई और भारी महसूस होती हैं, कभी-कभी तो कई अंगों में लकवा रोग का प्रभाव देखने को मिलता है, हाथ की अंगुलियां ठण्डी पड़ जाती है, घुटनों में दर्द होने लगता है, हडि्डयों के जोड़ों पर कड़कड़ाहट महसूस होती है।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को टी.बी. रोग हो जाता है तथा इसके साथ ही शरीर के कई अंगों पर घाव हो जाते हैं जिसके कारण दर्द बहुत अधिक होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सम्बन्ध (रिलेशन) :- नक्स, मर्क्यूरियस, ब्रूसिया-कुचला, रूटा औषधि से ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि की तुलना कर सकते हैं।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- शोरगुल स्थान तथा तरल पदार्थों का सेवन करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

मात्रा (डोज) :- ऐँगुस्टुरा वेरा औषधि की छठी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।

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