परिचय-
एपिस मेलीफिका औषधि का प्रभाव शरीर के कोशिका ऊतकों (सेल्लुलर टीस्सु) पर पड़ता है जिसके फलस्वरूप त्वचा तथा श्लेष्म कलाओं की सूजन ठीक हो जाती है।
शरीर के बाहरी अंगों, त्वचा, शरीर के अन्दरूनी भाग की ऊपरी परत तथा सीरम कलाओं (सीरस मम्ब्रेंस), मस्तिष्क, हृदय की झििल्लयों का सद्रव सीरमी की जलन (सीरियस इंफ्लामेशन वीथ एफ्युशन) आदि शरीर के अंगों पर एपिस मेलीफिका औषधि की क्रिया होती है।
रोगी के शरीर के अन्दर स्पर्श करने की संवेदनशीलता, तथा शरीर के कई भागों में सूजन होने के कारण दर्द तथा जलन होना, ऐसा महसूस हो रहा हो कि शरीर के अन्दर सिकुड़न तथा अकड़न हो रही हो, शरीर का कोई अंग चोट के कारण अकड़ कर नष्ट हो गया हो तथा रोगी को भारीपन महसूस हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
एपिस मेलीफिका औषधि मधुमक्खी के विष के द्वारा बनाई जाती है। शरीर के किसी भी भाग में सूजन होने पर इस औषधि का उपयोग लाभदायक है। एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करने से यह पता चलता है कि गुर्दे पर एपिस का प्रभाव अधिक पड़ने के कारण ही इसकी क्रिया से सेल्यूलर टिशु श्लैष्मिक झिल्ली, त्वचा, फाइब्रस टिशु, जीभ, मुंह, गला आदि में सूजन होने पर लाभदायक है।
रोगी के आंखें तथा चेहरे पर सूजन आ जाती है और सूजन नीचे की ओर लटक जाते हैं, गले में सूजन आ जाती है। हाथ, पांव फूल जाते हैं, पेट का चमड़ा मोटा पड़ जाता है, सूजन वाले भाग पर अंगुली से दबाव देने पर गाढ़ा पड़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
रोगी के शरीर के कई अंगों में सूजन आ जाती है। गर्म कमरे के अन्दर, पीने की गर्म वस्तु से, गर्म कपड़ों से, आग की गर्मी, गर्म कपड़े पहनने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इसलिए इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
रोगी के शरीर की सूजन में इस प्रकार का दर्द तथा जलन होती है जैसे कि यदि कोई मधुमक्खी का डंक लग जाता है तो डंक वाले जगह पर सूजन और जलन होती है। जलन वाले स्थान पर ठण्डा पानी या ठण्डी चीज रखने से रोगी को कुछ आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
ऐसे रोग जो दब जाने वाले होते हैं और बार-बार होते रहते हैं और इस प्रकार से पीड़ित रोगी को बुखार अधिकतर बार-बार होता रहता है, खसरा रोग भी हो जाता है, शीतपित्त तथा लाल ज्वर आदि रोग भी हो जाता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि उपयोग लाभदायक है।
जब किसी भी रोगी की त्वचा पारदर्शी और मोम जैसी लगने लगती है तो उसका उपचार करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
विभिन्न लक्षणों में मेलीफिका औषधि का उपयोग-
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी अपने आप को थका हुआ महसूस करता है, सिर में चक्कर आने लगते है तथा इसके साथ ही छीकें आने लगती हैं, जब रोगी लेटता है या आंखें बंद करता है तो उसे अधिक परेशानी होने लगती है, गर्मी से ताप से दर्द वाले जगह पर दबाव देने से तथा हिलने-डुलने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। सिर के पिछले भाग में दर्द होता है तथा भारीपन महसूस होता है, कभी-कभी तो रोगी को ऐसा महसूस होता है कि कोई उसके सिर में छुरा घोंप रहा है, दर्द का असर गर्दन तक फैल जाता है तथा इसके साथ ही रोगी को संभोग करने की इच्छा होने लगती है, इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेलीफिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
मन से सम्बन्धित लक्षण :-
- रोगी का स्वभाव उदासीपन हो तथा वह दूसरे व्यक्तियों से घृणा करता हो, कभी-कभी वह बेहोश भी हो जाता हो। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
- हाथ-पैर तथा शरीर के अन्य अंगों में सूजन आ जाती है, शरीर में अकड़न भी हो जाती है, रोगी कभी-कभी चीखने लगता है, कभी तो वह चौंक भी जाता है, कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि मृत्यु होने वाली है, वह किसी भी चीजों के बारे में ठीक तरह से सोच नहीं पाता है, रोगी को किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति चिढ़ होने लगती है और वह किसी भी कार्य को करने से पहले ठीक रूप से उसके बारे में सोच नहीं पाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की पलकें सूजकर लाल हो जाती हैं, आंखों के आस-पास सूजन आ जाती है तथा उसमें जलन होने लगती है, आंखों से आंसू निकलने लगता है।
- रोगी को रोशनी अच्छी नहीं लगती है, आंखों में अचानक तेज दर्द होने लगता है, नेत्र कोटरों के चारों ओर दर्द होने लगता है, पानी निकलने लगती है तथा जलन के साथ दर्द होने लगता है।
- इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- कान के बाहरी भागों पर सूजन आ जाती है तथा लाली पड़ जाती है, उसमें तेज जलन तथा दर्द होने लगता है, कभी-कभी सूजन न होकर खाली लाली पड़ जाती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के नाक के नथुने पर लाली छा जाती है तथा उसमें सूजन भी आ जाती है और उसमें जलन के साथ दर्द होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के चेहरे पर सूजन, लाली आ जाती है तथा इसके साथ ही उस भाग में जलन तथा दर्द होने लगता है। कभी-कभी तो चेहरे के किसी भाग में मोम जैसी पीली सूजन आ जाती है और उस भाग में दर्द तथा जलन होने लगती है। रोगी का रोग दायीं चेहरे से बायीं चेहरे की तरफ फैलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
मुंह तथा गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की जीभ लाल, सूजन तथा जलन युक्त हो जाता है, जीभ पर खुरदरी फफोलेदार सूजन हो जाती है तथा गले के अन्दर जलन होने लगती है।
- रोगी के गले में जलन होने लगती है तथा उसे ऐसा महसूस होता है कि उसके गले के अन्दर कोई आग की तरह गर्म वाली चीज फंसी हुई है, गले में अधिक गर्मी महसूस होती है, रोगी को कंपकंपी होने लगती है, मसूढ़ों में सूजन हो जाती है, होंठ सूज जाते हैं तथा अधिकतर ऊपर के होंठ पर सूजन आ जाती है।
- रोगी के मुंह तथा गले के अन्दर झिल्लियां ऐसी चमकती है जैसे उनमें कोई रोग हो गया हो, मुंह तथा गले के अन्दर लाली आ जाती है और उसमें सूजन आ जाती है, रोगी के जीभ के अन्दर कैंसर हो जाता है।
- इस प्रकार मुंह तथा गले के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को आमाशय में दर्द महसूस होता है, उसे प्यास नहीं लगती है। रोगी को उल्टी भी हो जाती है जिससे खाया हुआ भोजन बाहर निकलता है, दूध पीने की इच्छा बहुत अधिक होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
जलोदर रोग (पेट में पानी भर जाना) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पेट में पानी भर जाता है जिसके कारण पेट भारी हो जाता है तथा उसमें सूजन आ जाती है, रोगी को पेशाब बहुत कम मात्रा में होती है तथा उसके पेशाब का रंग गहरा होता है, इसके साथ ही पेट के कई भागों में दर्द होता है तथा रोगी को दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे किसी मधुमक्खी का डंक पेट के उस भाग में लग गया है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
श्वास संस्थान से सम्बंधित लक्षण :- रोगी के गर्दन में सूजन आ जाती है तथा इस भाग पर कोई चीज छू जाती है तो उसे यह सहन नहीं हो पाता है तथा तेज दर्द होता है तथा इसके साथ उसे सांस लेने में परेशानी होने लगती है, उसका दम घुटने लगता है, रोगी मुश्किल से सांस ले पाता है, उसे कंपकंपी होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
हृदय रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को हृदय रोग होने पर दम घुटने लगता है और उसे ऐसा महसूस होता है कि वह अब दुबारा सांस नहीं ले सकेगा। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
गर्भाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी स्त्री के गर्भाशय के मुंह पर घाव हो जाता है, गर्भाशय से रक्त की कुछ मात्रा स्राव होने लगता है तथा रोगी स्त्री का मासिकधर्म शुरु होने पर बहुत कम स्राव होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
डिम्बाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी स्त्री के डिम्बाशय में फोड़ा-फुंसियां हो जाती है तथा उसमें ऐसा दर्द महसूस होता है जैसे की मधुमिक्खयों के डंक मारने पर दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्रियों के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पेट में दर्द होता है तथा जब पेट पर दबाव देते है या रोगी जब छींकता है तो उसके पेट में मरोड़ के साथ दर्द उत्पन्न होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
मल तथा मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :-
- रोगी को मल कभी कभी अपने आप ही हो जाता है तथा उसका मलद्वार खुला रहता है।
- रोगी के मलद्वार से रक्त की कुछ मात्रा का स्राव होने लगता है तथा मलद्वार में जलन महसूस होती है।
- बवासीर रोग से पीड़ित स्त्री और इस रोग के साथ ही जब वह बच्चे को जन्म देती है तो उसके बाद उसे तेज दर्द होता है, उसे दस्त हो जाता है, मल से पीला पानी की तरह तरल पदार्थ निकलता है।
- रोगी जब तक मलत्याग नहीं कर लेता तब उसे पेशाब नहीं आता है, पेशाब का रंग गाढ़ा होता है तथा उसमें से बदबू आती है, जब रोगी खाना खा लेता है तो उसे अधिक परेशानी होने लगती है, कब्ज की शिकायत भी हो जाती है तथा उसे ऐसा महसूस होता है कि जैसे यदि उसने मलत्याग करने में अधिक जोर लगाया तो उसका मल टूटकर अन्दर ही रह जायेगा।
- रोगी को पेशाब करते समय जलन होने लगती है तथा दर्द भी महसूस होता है, पेशाब बहुत ही कम मात्रा में होता है, जब पेशाब की अंतिम बूंद निकलती है तो और भी तेज जलन महसूस होती है तथा रोगी को चीस मारता हुआ दर्द होता है।
- इस प्रकार मल तथा मूत्र से संबन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :-
- रोगी स्त्री के दाहिनी डिम्बकोष में सूजन हो जाती है तथा इसके साथ इस भाग में जलन तथा दर्द होने लगती है।
- रोगी स्त्री को मासिकधर्म शुरु होने के दिनों में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
- रोगी स्त्री को गर्भावस्था के शुरू-शुरू के पहले दो से तीन महीने के अन्दर यदि गर्भपात होने की आशंका हो।
- रोगी स्त्री को सांस लेने में परेशानी होने लगती है, दम घुटने लगता है, गले में कोई चीज छू जाना महसूस होता है।
- इस प्रकार के स्त्री रोग के इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
चर्म (स्कीन) से सम्बन्धित लक्षण :- एपिस मेलीफिका औषधि बहुत से चर्म रोगों को ठीक करने में उपयोगी है, जब रोग का प्रकोप बहुत अधिक हो जाता है तथा त्वचा पर सूजन हो जाती है, उसमें जलन तथा डंक मारता दर्द होता है, गर्मी होने के कारण रोग के लक्षणों में वृद्धि हो जाती है, ठण्ड से रोगी को आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को शाम के समय में तेज बुखार हो जाता है। इस प्रकार के बुखार को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
- रोगी को ठण्ड के समय में प्यास लगती है तथा बुखार चढ़ने लगता है या फिर पसीने के समय में प्यास लगती है, जब रोगी गर्म कमरे में रहता है या बाहर की गर्मी अधिक होती है तो उसे अधिक परेशानी होती है, ठण्ड के समय में रोगी के हाथ-पांव गर्म रहते हैं।
- रोगी को बुखार रहता है तथा ठण्ड के समय में उसके शरीर में जलन होती है और उसका दम घुटने लगता है।
- रोगी के शरीर में जलन होती है तथा जलन उसे मधुमक्खी के डंक लगने के समान लगता है और उसे प्यास नहीं लगती है, आंख के नीचे की त्वचा फूलकर थैले की तरह लटक जाती है, इसे छूने पर दर्द होता है, चमड़ा मोम की तरह सफेद हो जाता है, गर्मी के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, ठण्डा पानी का उपयोग करने से तथा खुली हवा में रहने से रोग के लक्षणों से कुछ आराम मिलता है।
- इस प्रकार के बुखार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
दस्त से सम्बन्धित लक्षण :- ऐसा रोगी जिसे अतिसार बार-बार हो रहा हो तथा उसे ऐसा महसूस होता हो कि गुदाद्वार में मल रोकने की क्षमता (शक्ति) नहीं रह गई है या मलद्वार का मुंह खुला हुआ सा लगता हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर के बाहरी अंगों में कई जगह पर सूजन आ जाती है, तथा इसके साथ-साथ रोगी को घुटन होने लगती है, उसका सूजा हुआ भाग लाल हो जाता है, सूजन वाले भाग में दर्द होने लगता है, रोगी के शरीर में अकड़न होने लगती है और सूजन वाले भाग में रोगी को ऐसा दर्द होता है जैसे कि उस भाग में मधुमक्खी का डंक लग गया हो। रोगी के पीठ और कई अंगों के जोड़ों में दर्द होने लगता है, पैरों में सूजन तथा अकड़न हो जाती है, हाथ-पैरों की अंगुलियों के पोरों में सुन्नपन आ जाता है, शरीर के कई अंगों में खुजली होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कोई रोग हो जाने के कारण नींद सही से नहीं आती है, चिन्ता होने लगती है, रात को नींद में कार्य करने के सपने आते हैं और वह एका-एक चीखकर उठ जाता है तथा वह अचिम्भत (हैरान हो जाना) सा हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
- नेट्रम-म्यूर औषधि के साथ एपिस मेलीफिका औषधि की समान तुलना कर सकते हैं।
- स्कालैटिना, ऐल्बयूमिन्यूरिया (स्कारलेटिना, एल्ब्युमीनिरिया. सफेद दाग, चोट लगे निशान, कटे-फटे निशान आदि ) रोग को ठीक करने में कैन्थ, डिजि-टेलिस, हेल औषधि का उपयोग करने से यदि रोग ठीक न हो तो इसके बदले एपिस मेलीफिका औषधि का उपयोग करने से रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है और रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
नींद टूटने पर, भीगने से, सोने के बाद तथा गर्म करे के अन्दर रहने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन. ह्रास) :-
रोग ग्रस्त स्थान को पानी से धोने से या ठण्डे जल से नहाने से, खुली हवा में रहने, चलने, खांसने या करवट बदलने से दर्द में कमी होती है, ठण्डी वस्तुओं का लेप करने से, सीधे होकर बैठने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
मात्रा (डोज) :-
एपिस मेलीफिका औषधि की मूलार्क से तीसवी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। कभी-कभी एपिस मेलीफिका औषधि की धीमी क्रिया होती है, सुबह के समय में इसका प्रभाव कई दिनों के बाद नज़र आता है और इसके बाद मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।