A – Medicines

एलूमिना सिलिकैटा (ALUMINA SILICATA)

परिचय-      एलूमिना सिलिकैटा औषधि का प्रयोग कई प्रकार के पुराने रोग जो मस्तिष्क, मेरूदण्ड तथा स्नायुजाल से सम्बन्धित होते हैं, को ठीक करने के लिए किया जाता है।      शरीर के किसी भी भाग में सिकुड़न हो रही हो, शिराओं से सम्बन्धित रोग, रीढ़ की हड्डी में अधिक कमजोरी आने, रीढ़ की हड्डी में …

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ऐलूमिना (Alumina)

परिचय-      ऐलूमिना औषधि का उपयोग अधिकतर पुराने रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। शरीर के किसी भी लकवा रोग के कारण आई कमजोरी को दूर करने के लिए ऐलूमिना औषधि का प्रयोग करना चाहिए, इससे रोगी की कमजोरी दूर होती है तथा रोगी के शरीर को ताकत मिलती है।         हाथी पांव …

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एलूमेन (Alumen)

परिचय-        एलूमेन औषधि का प्रयोग होम्योपैथिक चिकित्सा में आंत्र से संबन्धित रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है जो इस प्रकार है- असाध्य कब्ज (ओबसीनेट कोंस्टीपेशन), आंतों के ज्वर (टाइफाइड), आन्तों से होने वाला रक्तस्राव (खून का बहना) जो शरीर के कई भागों की पेशियों की लकवा से सम्बन्धित कमजोरी होती है …

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ऐलो साकोट्रिना (ALOE SOCOTRINA)

परिचय-        ऐलो साकोट्रिना कई प्रकार के बीमारियों को ठीक करने में बहुत ही उत्तम (अच्छा) औषधि है जो इस प्रकार है- पेचिश, बवासीर तथा दस्त। यदि रोगी किसी भी प्रकार से शारीरिक तथा मानसिक कार्यों को करने से थक जाता हो और मानसिक परिश्रम करने की इच्छा न हो और रोगी को कब्ज की …

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ऐलनस (ALNUS)

परिचय-      ऐलनस औषधि कई प्रकार के चर्म रोगों (ग्रेनडुलर एंलार्जमेंट) को ठीक करने तथा पाचक रस के अधिक स्राव होने से होने वाले अजीर्ण रोग को ठीक करने के काम आता है।        ऐलनस औषधि शरीर की पोषण क्रिया को तेज करती है तथा गण्डमाला से सम्बन्धित रोगों को ठीक करती है और ग्रन्थियों …

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एलियम सैटाइवम (ALLIUM SATIVUM)

परिचय-        एलियम सैटाइवम औषधि की आंतों की श्लैष्मिक झिल्लियों पर प्रत्यक्ष रूप से क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप आन्तों की कार्य करने की शक्ति बढ़ जाती है।      यदि किसी व्यक्ति को बृहदान्त्रशोथ (बड़ी आंत में सूजन होना) की बीमारी है और इसके साथ ही रोग की अवस्था विस्फोटक हो तो एलियम सैटाइवम …

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एलियम सेपा Allium capa

परिचय-        एलियम सेपा औषधि प्याज के रस से बनाई जाती है। प्याज का रस आंख और मुंह में लगने से जुकाम के सारे लक्षण पैदा हो जाते हैं, ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए इसका प्रयोग लाभकारी है।        एलियम सेपा औषधि में एक प्रकार की ऐसी उत्तेजना होती है जो आंख तथा …

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अल्फाल्फा (ALFALAFA)

परिचय-      अल्फाल्फा औषधि का प्रभाव शरीर की संवेदी तंत्रिका पर विशिष्ट क्रिया के रूप में होता है तथा यह भूख और पाचन शक्ति को नियमित करता है, जिसके फलस्वरूप मानसिक व शारीरिक रोगों में बहुत अधिक सुधार हो जाता है। यह कई प्रकार के रोगों में उपयोगी है जो इस प्रकार हैं- स्नायु विकार, …

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आलेट्रिस फैरीनोसा (ALETRIS FARINOSA)

परिचय-      आलेट्रिस फैरीनोसा औषधि का प्रयोग अधिकतर स्त्रियों के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस औषधि का उपयोग विशेषकर मासिकधर्म के समय रक्तस्राव (योनि से रक्त की कुछ मात्रा निकलना) के रोगों को ठीक करने के लिए जैसे- मासिकधर्म में अधिक रक्त का स्राव होना, गर्भपात होने के साथ रक्त …

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एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा (AILANTHUS GLANDULOSA)

परिचय-      एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि एक ऐसी वृक्ष से बनायी जाती है जो चीन, जापान आदि देशों में होता हैं। यह वृक्ष देखने में बहुत अधिक सुन्दर होता है लेकिन जब उसमें फूल आते हैं, तब उनमें से इतनी तेज बदबू आती है कि उस वृक्ष के पास कोई नहीं जा सकता।      एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा …

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एग्राफिस नूटैन्स (AGRAPHIS NUTANS)

परिचय-        पूरे शरीर में आलस्यपन उत्पन्न होना तथा शरीर ढीला-ढीला रहना और ठण्डी हवा के लगने से सर्दी तथा जुकाम हो जाने के कारण उत्पन्न रोगों को ठीक करने के लिए एग्राफिस नूटैन्स औषधि का उपयोग लाभकारी है।          नाक बंद होना, गलतुण्डिका का अधिक बढ़ जाना, कंठशालूक रोग (गले की गिल्टी के कारण) (ऐडनोइस) …

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ऐग्नस कैस्टस AGNUS CASTUS

परिचय-        ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रभाव जननेन्द्रियों पर बहुत अधिक पड़ता है। यह औषधि उत्तेजना की शक्ति को घटाने के साथ मन में उदासी लाती है, लेकिन यदि स्नायु-ऊर्जा (नर्वस एंर्जी) नष्ट हो गई हो तो ऐसी अवस्था में इसका प्रयोग लाभदायक है। ऐग्नस कैस्टस औषधि का विशेष प्रभाव स्त्री तथा पुरुषों दोनों के …

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आगेव अमेरिकाना (AGAVE AMERICANA)

परिचय-        आगेव अमेरिकाना औषधि का प्रयोग आमाशय तथा सूजाक रोगों को ठीक करने के लिए तब किया जाता है जब उत्तेजना के समय में लिंग में दर्द अधिक हो रहा हो। कई प्रकार के और भी रोग जो आगेव अमेरिकाना औषधि से ठीक होते हैं वे इस प्रकार हैं-मुंह का पीला पड़ जाना, पेशाब …

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ऐगारिकस मस्केरियस (AGARICUS MUSCARIUS)

परिचय-      जिन वृद्ध (बूढ़े) व्यक्तियों के शरीर में खून संचारण की गति कम हो गई हो, शराब पीने या अधिक नशीले पदार्थो के सेवन करने से स्वास्थ्य बिगड़ गया हो तथा उसके बच्चों में भी कुछ ऐसे ही लक्षण हो तो इस प्रकार के लक्षणों में ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग लाभदायक है।         …

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एगारिकस Agaricus 

परिचय:        रोगी के शरीर की त्वचा पर लाली पड़ गई हो तथा पूरे शरीर पर खुजली के साथ जलन हो रही हो और ऐसा महसूस हो रहा हो कि बर्फ के ठण्डे पानी में पूरा शरीर चला गया है, इस प्रकार के लक्षण यदि किसी व्यक्ति में हो तो उसका उपचार करने के लिए …

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एस्पिडोस्पर्मा (Aspidosperma) क्यूब्रेको (Quebrecho)-एस्पि

परिचय-        एस्पिडोस्पर्मा औषधि का प्रभाव रोगों को ठीक करने में डिजिटैलिस औषधि के समान है। यह औषधि श्वास नलियों के केन्द्रों को उत्तेजित करके उसकी रुकावट को स्थाई रूप से दूर कर देती है जिसके कारण खून का आवासीकरण (ऑक्सीडेशन) रुक जाता है। इस प्रकार से ऑक्सीकरण में वृद्धि करती है तथा कार्बोनिक एसिड …

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ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस (Aspargus officinalis)

परिचय-        ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि की मूत्रस्राव पर तथा द्रुतगामी क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। यह औषधि शरीर में कमजोरी लाती है तथा हृदय की गति को कम करके सूजन उत्पन्न करती है।        मेरुदण्ड के स्नायुमण्डल के माध्यम से ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि अपनी मूल क्रिया गुर्दे पर करती है और इस औषधि का सीधा …

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आर्टिमिसिया वल्गैरिस Artemisia Vulgaris

[ एक तरह के पौधे की ताजी जड़ या सोर से टिंचर तैयार होता है ] – साधारणतः मिर्गी के समान आक्षेप, बचपन में किसी बीमारी के साथ आक्षेप या चिहुकबाई ( convulsion ), युवती स्त्रियों की मिर्गी, डर से या अन्य किसी तरह की प्रबल उत्तेजना अथवा हस्तमैथुन आदि के द्वारा शुक्रक्षय होने से …

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आर्सेनिकम सल्फ्यूरेटम फ्लैवम ( Arsenicum Sulphuratum Flavum

धवल या श्वेत कुष्ट ( leucoderma ) और उपदंश रोग में शरीर के चमड़े से मछली के चोयटें जैसे दरोरे या चकत्ते निकलने पर कुछ दिनों तक इसका सेवन कराया जाय तो – इस दवा से लाभ होगा। घुटनों के जोड़ों में दर्द, प्रत्यंग आदि का पक्षाघात की तरह सुन्न पड़ जाना, श्वास-प्रश्वास में कष्ट, …

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आर्सेनिकम हाइड्रोजेनिसेटम  Arsenicum Hydrogenisatum

इस दवा में शरीर ठण्डा, हिमांग, उद्वेग, बेचैनी, सुस्ती, कमजोरी इत्यादि बहुत से आर्सेनिक के लक्षण पाये जाते हैं ; किन्तु सम्भवतः निम्नलिखित दो बीमारियों में इससे ज्यादा लाभ होता है। घाव – लिंगाग्र-चर्म ( prepuce ) और लिंगमुण्ड में पीब भरा, गोल उठा हुआ ( superficial ) घाव ; उपदंश रोग में लिंग पर …

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