रुमेक्स क्रिस्पस (Rumex Crispus)

परिचय-
शरीर के कई अंगों में दर्द होता है तथा दर्द न तो स्थिर रहता है और न लगातार बना रहता है। गले में लगातार गुदगुदी होती रहती है और खांसी होती रहती है। गुदगुदी नीचे की श्वास नली से होते हुए ऊपरी की नली तक होती है। गले को छूने पर खांसी उत्पन्न होती है, हल्की सी हवा लगने पर लक्षणों में वृद्धि होती है। चादर से सारा शरीर और सिर ढक लेने से खांसी बंद हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का उपयोग किया जाता है।
रुमेक्स क्रिस्पस औषधि श्लैष्मिक झिल्लियों के स्राव को घटाती है और साथ ही स्वरनली और श्वासप्रणाली की श्लैष्मिक झिल्लियों की बोधगम्यता को बढ़ाती है। त्वचा पर रुमेक्स क्रिस्पस औषधि की विशिश्ट क्रिया होती है, जिसके फलस्वरूप तेज खुजली उत्पन्न होती है। लसीकावाहिनियां बढ़ जाती हैं और स्रावों की प्रतिकूलता पाई जाती है।
विभिन्न लक्षणों में रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का उपयोग-
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- जीभ के किनारे पर लेप जैसी परत जम जाती है, पेट के अन्दरूनी भागों में कठोर पदार्थ महसूस होता है, हिचकी आती है, जी मिचलाने लगती है, मांस नहीं खा सकता, मांस खाने से डकारें आना और तेज खुजली उत्पन्न होना। अधिक शराब पीने के कारण होने वाला पीलिया रोग तथा जिसके कारण पाचनतंत्र में सूजन हो जाती है और पेट के अंदर हल्का-हल्का दर्द होता रहता है और छाती में गोली लगने जैसा तेज दर्द होता है, दर्द का असर गले तक फैल जाता है, किसी प्रकार की गति करने या बात-चीत करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। खाना खाने के बाद बायें स्तन में दर्द होता है तथा पेट फूलने लगता है। इस प्रकार के आमाशय से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
खांसी से सम्बन्धित लक्षण :- खांसी से पीड़ित रोगी को गले में सूखापन महसूस होता है। जरा सा भी कफ निकलने पर बेहोशी छा जाती है। ठण्डी हवा मुंह में जाने से या सांस लेने से खांसी तेज हो जाती है। बायीं करवट लेटने से खांसी और भी तेज हो जाती है। खंखारने पर कफ निकलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का सेवन करना चाहिए।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का गला बैठ जाता है और शाम के समय में ठण्ड लग जाने से रोगी की अवस्था और भी गम्भीर हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ऐसा महसूस होता है कि गले में कुछ अटका हुआ है और जो निगलने की क्रिया करने से ऊपर से नीचे उतर जाता है लेकिन बाद में तुरन्त ऊपर आ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
छाती से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को छाती के पिछले भाग में खुरचने जैसी अनुभूति होती है और बायीं ओर के फेफड़ों में दर्द होता है। बार-बार सर्दी लगने पर रोगी की अवस्था और भी गम्भीर हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- नाक सूखी रहती है और गले के अन्दरूनी भागों में गुदगुदी होने के कारण खांसी होती है। नाक तथा श्वासप्रणाली से अधिक मात्रा में कफ जैसा पदार्थ का स्राव होता रहता है। सूखी खांसी या परेशानी पैदा करने वाली खांसी होती है जो नींद नहीं आने देती। जोर से बातें करने से और श्वास के साथ ठण्डी हवा लेने से और रात के समय में लक्षणों में वृद्धि होती है। मुंह पतला, पनीला और झागदार बलगम से भरा रहता है, बाद में रेशेदार तथा कठोर बलगम आता है। श्वास लेने में भी परेशानी होती है। उरोस्थि के पीछे वात के कारण घाव हो जाता है, विशेषकर बायी ओर, बाएं कंधे के आस-पास होता है। गले के आस-पास के भाग में वात के कारण घाव हो जाता है और इसके कारण दर्द भी होता है। गले के अंदर कोई ढेला होने की अनुभूति होती है। रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का प्रयोग इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं और रोगी को आराम मिलता है।
मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का मल कत्थई रंग का और पानी की तरह होता है, सुबह के समय में खांसी तेज होती है और खांसी इतनी तेज होती है कि बिस्तर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। टी.बी. रोग। मलद्वार में खुजली होती है और ऐसा महसूस होता है कि जैसे मलद्वार में कोई ढेला अटका पड़ा है। बवासीर रोग। इस प्रकार के मल से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।
चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- त्वचा पर तेज खुजली होती है तथा विशेषकर कमर से नीचे के अंगों में। कपड़े उतारते समय ठण्डी हवा लगने से लक्षणों में वृद्धि होती है। त्वचा पर जुलपित्ती होती है तथा खुजली मचने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
शरीर के विभिन्न अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के कई अंगों में खुजली होती है, जो ठण्ड लगने से और गर्मी के मौसम में और भी अधिक बढ़ने लगती है। योनि में जब तेज खुजली होती है, उस समय जरा सी भी खुली हवा या मलत्याग करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। खांसते समय अपने आप पेशाब निकल जाता है। सुबह के समय में दस्त होता है जो पांच से दस बजे के बीच में होता है, रोगी को दस्त इतना तेज होता है कि बिस्तर छोड़ कर भागना पड़ता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए रुमेक्स क्रिस्पस औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- शाम के समय में, ठण्डी हवा में, सांस लेने से, बाई छाती में, नंगे रहने पर लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :- लेटने से तथा ठण्डी हवा से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :- कास्टि, ड्रास, हायोस, फास, सैंग्वि, सल्फर तथा बेल औषधियों के कुछ गुणों की तुलना रुमेक्स क्रिस्पस औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज):- रुमेक्स क्रिस्पस औषधि 3 से 6 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।

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