परिचय :
बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का प्रयोग चतुर्थक ज्वर में विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। चतुर्थक ज्वर हर चार दिन बाद रोगी में उत्पन्न होता है। रोगी के शरीर पर हल्का पसीना आने के बाद भी रोगी का बुखार खत्म न हो रहा हो तो बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का सेवन करना चाहिए। फेफड़े के यक्ष्मा (टी.बी) में रात के समय पसीना आता हो तो बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का सेवन करें।
बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधर पर किया जाता है :-
1. सिर से संबन्धित लक्षण :
कभी-कभी रोग में रोगी को अपना सिर हल्का और खोखला महसूस होता है, साथ ही सिर के गहराई में तेज दर्द होता रहता है। ऐसे लक्षण वाले सिर रोग को ठीक करने के लिए बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का सेवन करना चाहिए। जीभ पर पीले रंग का मैल जम जाना और जीभ पर दांतों के निशान पड़ जाना तथा हर समय जी मिचलाना आदि सिर रोगग्रस्त होने पर इस तरह के लक्षण उत्पन्न होने पर बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का प्रयोग करें।
2. बुखार से संबन्धित लक्षण :
बुखार में रोगी को रीढ़ की हड्डी में ठण्डक के साथ बराबर गर्मी की तमतमाहट महसूस होने जैसे लक्षण उत्पन्न होने पर बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का प्रयोग करें। सर्दी लगने पर रोगी में अंगड़ाई जैसे लक्षण उत्पन्न होने के साथ पूरा शरीर टूटता हुआ महसूस होता है। कन्धों के जोड़ों और कमर के निचले भाग में तेज दर्द होता है। यक्ष्मा बुखार के साथ ठण्ड लगना और रात को बहुत अधिक पसीना होने जैसे लक्षण। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
3. त्वचा से संबन्धित लक्षण :
त्वचा गर्म और खुश्क होने पर विशेषकर हथेलियों पर अधिक खुश्की उत्पन्न होने पर इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। कंधों तथा बाजुओं पर अधिक खुजली होने पर बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
तुलना :
बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि की तुलना एगारिसीन, पोलीपोरस , बोलेटस ल्यूराडस तथा बोलेटस सैटेनस औषधि आदि से की जाती है।
मात्रा :
बोलेटस लैरीसिस-पोलीपरस आफिसिनेल औषधि की 1 शक्ति का तनूकरण का प्रयोग करें।