➺ टखनों की कमजोरी, कमजोरी से पैर आगे की ओर झुके हुए, हलकी सी थकान से भी टखना काम करने में असमर्थ हो जाता है-NATRIUM CARBONICUM-30 दिन में दो बार।
➺ टखनों की कमजोरी (बच्चों में)-CARBO ANIMALIS-30 दिन में दो बार।
➺ पुरानी आर्थराइटिस, गठिया प्रकृति के साथ-फॉरमिक एसिड-6X (यदि गठिया की विकृति प्रक्रिया विकसित हो गई हो तो इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए)।
➺ आर्थराइटिस, जोड़ों में दर्द और अंगों का वास्तविक संकुचन-CIMEX LECTULARIUS-30, दिन में दो बार। इससे लाभ न होने पर CAUSTICUM-200 की साप्ताहिक खुराक को आजमाना चाहिए। आर्थराइटिस-BRYONIA-30 दिन में दो बार एक सप्ताह तक। यदि लाभ न हो तो RHUS TOXICODENDRON.-30, दिन में दो बार या कॉलचीकम-30 दिन में दो बार। यदि इनसे भी कोई लाभ न हो तो आर्टिका यूरेंस-30 दिन में दो बार। यदि इससे भी लाभ न हो तो LEDUM PALUSTRE-30 दिन में दो बार। आर्थराइटिस, जोड़ों की गरम तथा दर्दयुक्त सूजन, कंडरा तथा अंगों में तीव्र पीड़ा-RHUS TOXICODENDRON.-6 दिन में दो बार।
➺ अस्थिक्षय, नाक, तालु व नथनों का चिपकना, उनमें घाव होना तथा नाक बंद होना और उनमें पपड़ी जम जाना; रोगी अत्यंत हताश होता है। उसके मन में आत्महत्या के विचार आते हैं-AURUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ सिफलिस से होनेवाले अस्थि रोग, रात में स्थिति बदतर, स्पर्श में अतिसंवेदनशील-ASA FOETIDA-30 दिन में दो बार।
➺ टूटी हड्डियों को जल्दी जोड़ने के लिए-SYMPHYTUM OFFICINALE-Q की पानी में पाँच बूंदें सुबह-शाम या SYMPHYTUM OFFICINALE-30 हर चार घंटे पर।
➺ हड्डियों में दर्द, रात में ज्यादा-MERCURIUS SOLUBILIS-200 की एक खुराक रोजाना।
➺ शरीर की बड़ी हड्डियाँ झुक जाती हैं–CALCAREA CARBONICA-200 दो सप्ताह में एक खुराक।
➺ टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए SYMPHYTUM OFFICINALE-एम सप्ताह में दो/तीन बार।
➺ टायफाइड ज्वर के बाद हड्डियों में दर्द तथा अत्यंत संवेदनशीलता -MANGANUM ACETICU-200 की एक खुराक। इसे जल्दी-जल्दी नहीं दुहराया जाना चाहिए।
➺ हड्डियों का न जुड़ना, रात में हड्डियों में दर्द CALCAREA PHOSPHORICA-6 दिन में चार बार।
➺ तालु तथा कान के पीछे की हड्डी का क्षरण, हड्डियों के सिफलिस या पारे संबंधी समस्या के कारण, रात में बदतर-AURUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ रीढ़, दाँत तथा लंबी हड्डियों का अस्थिक्षय-Acid Fluoric-6 दिन में दो बार।
➺ रीढ़ की हड्डी का क्षरण-SYPHILINUM-CM की एक खुराक।
➺ उपास्थि (कॉर्टिलेज) वर्धनतथा दर्द-ARGENTUM METALLICUM-30 की एक खुराक रोजाना।
➺ गर्भावस्था के दौरान मरोड़ तथा दर्द-VIBURNUM OPULUS आधा कप पानी में दो से पाँच बूंदें, दिन में तीन बार।
➺ पिंडलियों में मरोड़ तथा रात में तलवों में मरोड़-SULPHUR-30 सुबह तथा दोपहर।
➺ पैरों, पिंडलियों या जाँघ में मरोड़, सामान्यतः दाईं ओर, अवसाद के साथ-PODOPHYLLINUM-30 दिन में तीन बार।
➺ कुहनियों के जोड़ों में मरोड़-RHUS TOXICODENDRON-30 दिन में तीन बार।
➺ मांसपेशियों के समूह में मरोड़, कभी-कभी उभरता है, लार बहना, मीठा धातु जैसा स्वाद-CUPRUM METALLICUM-200 की एक खुराक रोज।
➺ गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को, पियानो तथा वायलिन वादकों में और लेखकों के हाथ-पैरों में मरोड़-MAGNESIUM PHOSPHORICUM-30 दिन में तीन बार लें।
➺ शरीर के किसी भाग में मरोड़-CICUTA VIROSA-Q पाँच बूंदें रोजाना या LITHIUM CARBONICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ लंबे (लगातार) कार्य के कारण मरोड़-MAGNESIUM PHOSPHORICUM-200 दिन में दो बार।
➺ खासकर बाँहों तथा पैरों में मरोड़-CUPRUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ मरोड़,हिस्टीरिया संबंधी वात के कारण Valeriana-3X दिन में तीन बार।
➺ शरीर के किसी भी अंग में मरोड़-BELLADONNA-6 दिन में तीन बार।
➺ पिंडली की मांसपेशियों तथा जाँघों में मरोड़-VERATRUM ALBUM-6 दिन में तीन बार।
➺ मरोड़, पानी, किसी तरल पदार्थ या चमकीली वस्तु की ओर देखने पर-STRAMONIUM-30 दिन में दो बार।
➺ रीढ़ की हड्डी का गोल होना, बढ़ते वयस्कों में THERIDION-200 सप्ताह में एक बार।
➺ हड्डियों का फ्रैक्चर-SYMPHYTUM OFFICINALE-Q पानी में पाँच बूंदें सुबह-शाम।
➺ अस्थि फ्रैक्चर-ARNICA-30 फैक्चर के तुरंत बाद दिए जाने पर वह तत्काल मांसपेशियों की जकड़न में राहत देती है।
➺ गठिया, दर्द का स्थान बदलता है-KALIUM BICHROMICUM-30 दिन में तीन बार।
➺ गठिया तथा अन्य परेशानियाँ, दुर्गंधयुक्त मूत्र, रात में अधिक बुरी स्थिति–BENZOICUM ACIDUM-30 दिन में दो बार।
➺ गठिया, ठंडे तथा नम मौसम में अधिक परेशानी, जोड़ों में दर्द, तंत्रिका- शूल, रात में बदतर-PHYTOLACCA-200 दिन में दो बार।
➺ स्थायी गठिया, जोड़ों में कड़ापन और आर्टिकुलेटर रूमेटिज्म-FORMICA RUFA-6 दिन में तीन बार।
➺ अंगूठे का गठिया, पास आ रहे व्यक्ति द्वारा छुए जाने या चोट लगने का भय-ARNICA MONTANA-200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ गठिया का दर्द, अत्यधिक मूत्र-त्याग होने पर कुछ आराम–BENZOICUM ACIDUM-6, दिन में तीन बार (दर्द का स्थान बदलता है)।
➺ गठिया का दर्द, जब मूत्र में लाल सेडिमेंटेशन हो तो अच्छा महसूस करना और जब सेडिमेंटेशन न हो तो गठिया का दर्द फिर उभर आता है- LYCOPODIUM-200 की एक खुराक।
➺ गठिया का दर्द, यूरिक एसिड की उपस्थिति के कारण-URTICA URENS-Q की पाँच बूँदें हलके गरम पानी में मिलाकर, चार घंटों के अंतराल पर।
➺ गठिया का दर्द, कंधों के जोड़ में KALIUM BICHROMICUM-30 दिन में दो बार या SYPHILINUM-1M की एक खुराक।
➺ गठिया का दर्द, जब रक्तस्राव न हो तो दर्द होता है, जबकि रक्तस्राव होने पर दर्द गायब हो जाता है-SABINA-30 दिन में तीन बार।
➺ गठिया, तलवे पर कॉर्न के साथ-ANTIMONIUM CRUDUM-एम की एक साप्ताहिक खुराक।
➺ गठिया, पैरों को ठंडे पानी में रखने पर राहत-LEDUM PALUSTRE-200 की रोजाना एक खुराक।
➺ गठिया, वर्षा तथा नम मौसम में-DULCAMARA-200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ गठिया, सर्दियों में कोई समस्या नहीं-CAUSTICUM-200 की एक खुराका
➺ गठिया, गले में कड़ापन-LACHNANTHES TINCTORIA-30 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ गठिया, कंधों के जोड़ों में SYPHILINUM-1M की एक खुराक।
➺ गठिया, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द तथा गरदन में दर्द-EUPATORIUM PERFOLIATUM-30 दिन में तीन बार।
➺ गठिया, जोड़ों में सूजन, दबाने पर एक गहरा धब्बा बनता है, गरमी से
➺ जोड़ों में राहत-COLCHICUM AUTUMNALE-30 दिन में तीन बार।
➺ गठिया-संबंधी परेशानियाँ, गुरदे के क्षेत्र में जलन तथा पीड़ा, सुन्नपन, सख्ती तथा लँगड़ापन–Berberis Vulgaris Q की पाँच बूँदें दिन में तीन बार।
➺ आर्थराइटिस, ठंडे, नम मौसम में स्थिति बदतर-ANTIMONIUM TARTARICUM-30 दिन में दो बार।
➺ गठिया रोगियों में अधिक चिड़चिड़ाहट, भोजन के विचार या गंध से मिचली आती है, ठंड से खराब स्थिति और गरमी में आराम, चलने-फिरने, नम और ठंडे मौसम से बदतर-COLCHICUM AUTUMNALE (COLCHICUM)-12 दिन में दो बार।
➺ उँगलियों के जोड़ों का बढ़ना-CALCAREA FLUORICA-6 दिन में तीन बार।
➺ एड़ी में दर्द (स्थायी)- Valeriana-30 दिन में दो बार।
➺ एड़ी में दर्द-AGARICUS MUSCARIUS-200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ एडियों में सूजन, तलवे में दर्द, दबाव के साथ नहीं चल सकते-LEDUM PALUSTRE-30 दिन में दो बार।
➺ एड़ी और तलवे में दर्द, जोड़ों में सूजन के साथ दर्द, जोड़ लाल, तलवे का गठिया-MANGANUM ACETICUM-30 दिन में दो बार।
➺ शुष्कता से एडियों का फटना-ALUMINA-30 दिन में दो बार।
➺ जूते या किसी अन्य चीज की रगड़ से एड़ी में दर्द-ALLIUM CEPA-30 की एक खुराक रोजाना।
➺ हड्डियों में सूजन, स्क्रोफोलस, सिफलिस तथा मानसिक रोगग्रस्त व्यक्तियों में-PHOSPHORICUM ACIDUM-12 दिन में तीन बार।
➺ जोड़ों का चटकना, चलने के दौरान-CALCAREA FLUORICA-200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ कुरसी से उठने पर खड़ा होना मुश्किल हो जाता है, उठने के लिए कई प्रयास करने पड़ते हैं-RUTA GRAVEOLENS-200 की एक खुराक रोजाना।
➺ चलने के दौरान पैरों का मुड़ जाना-NATRIUM CARBONICUM-30 दिन में दो बार।
➺ अस्थिशोथ (माइलाइटिस) मरोड़ और थकान के साथ-PICRIC ACID-30 दिन में तीन बार।
➺ नाखूनों का भुरभुराना-SILICEA-30 या GRAPHITES-30, दिन में दो बार।
➺ नाखूनों का तेजी से बढ़ना, लेकिन विकृत होना-Acid Fluoric-30 हर छह घंटे पर।
➺ नाखूनों का टूटना, अनियमित आकार के होना, अँगूठे का नाखून मांस में घुस जाना-THUJA-30 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ नाखूनों का मोटा होना और आकार विकृत होना-GRAPHITES-200 की सप्ताह में एक खुराक।
➺ नाखूनों का पीला पड़ना-Ammonium Carbonicum-30 दिन में दो बार।
➺ पिंडलियों में दर्द-CALCAREA FLUORICA-200 सुबह के समय और NATRIUM MURIATICUM-200 शाम के समय, एक सप्ताह तक।
➺ गठिया के कारण दर्द, गुरदे में, गॉल ब्लेडर तथा पीठ में दर्द-Berberis Vulgaris Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार।
➺ बाएँ कॉलर बोन के नीचे दर्द, जो दाईं ओर जाता है-AURUM METALLICUM-30 दिन में दो बार।
➺ बाएँ कॉलर बोन के नीचे दर्द-Sumbul-30 दिन में दो बार।
➺ मांसपेशियों, हड्डियों, रीढ़ की हड्डी, घुटनों, जाँघों आदि में दर्द-CINA-Q की दो से तीन बूंदें, दिन में दो बार।
➺ चलने के दौरान पैरों की एडियों और उँगलियों में दर्द-LEDUM PALUSTRE-30 दिन में दो बार।
➺ जोड़ों में दर्द, गठिया के कारण-ARGENTUM METALLICUM-30 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ छोटे जोड़ों में दर्द, जो हिलने-डुलने से बढ़ जाता है—ACTAEA RACEMOSA-Q की पानी में दो बूंदें, दिन में दो बार।
➺ तलवे और एड़ी में दर्द-Natrum sulph-200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ चलने और खड़े होने के दौरान पैरों में दर्द, लेकिन एड़ी पर वजन देने से कोई दर्द नहीं, चुभनेवाला और जलन भरा दर्द-BERBERIS VULGARIS-Q की पाँच बूंदें दिन में तीन बार।
➺ पैरों, जोड़ों और हड्डियों में पीड़ा-MAGNESIUM MURIATICUM-200 की एक खुराक रोजाना।
➺ टिबिया (पैर की मोटी नली) की हड्डी में दर्द-Magnesium oxydatum-200 की एक खुराक रोजाना।
➺ दर्द बाएँ सीने से शुरू होता है, फिर बाएँ कंधे तक और फिर बाईं बाँह तक जाता है-OXALICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार।
➺ हड्डियों में तेज दर्द, पूरे शरीर में दर्द के साथ ज्वर-EUPATORIUM PERFOLIATUM-30 दिन में तीन बार।
➺ सभी उँगलियों के जोड़ों में दर्द और सूजन-CAULOPHYLLUM-200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ दाँत और जबड़े की हड्डियों में दर्द, मानो वे टूट जाएँगे-Ammonium Carbonicum-30 दिन में दो बार।
➺ परिश्रम से दर्द; पेट, नितंबों और हाथ-पैरों में तनाव, भय, दर्द महसूस होता है-CALCAREA CARBONICA-6 दिन में तीन बार।
➺ दर्दधीरे-धीरे चरम स्थिति तक पहुँचता है और धीरे-धीरे कम होता है-STANNUM METALLICUM-30 की कुछ खुराकें।
➺ एडियों में दर्द मानो घाव हो-MAGNESIUM MURIATICUM-200 की एक खुराका लंबी हड्डियों, खासकर टिबिया में दर्द-MEZEREUM-200 की एक खुराक, यदि दर्द बरकरार रहे तो दुहराया जा सकता है।
➺ पोलियो-CAUSTICUM-1M की एक खुराक, उस दिन कोई अन्य ओषधि नहीं और बाद के सात दिनों तक CALCAREA CARBONICA-30 दिन में तीन बार और आठवें दिन CAUSTICUM-1M की एक खुराक दुहराएँ। एक माह तक यही दुहराएँ। इसके बाद कुछ प्रतिक्रिया होगी। साथ-साथ पैरों में नीचे से ऊपर की ओर मालिश भी करें।
➺ गठिया संबंधी रोग, नम मौसम में स्थिति बदतर, रोगी को बिस्तर से उठने पर मजबूर करता है, उन्माद से पीड़ित होता है-VERATRUM ALBUM-30 दिन में दो बार ।
➺ गठिया संबंधी रोग और आर्थराइटिस, जोड़ों में सूजन CAUSTICUM-200 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ गठिया संबंधी शिकायतें, खासकर कंधों में, घुमंतू दर्द, जोड़ सख्त, लेकिन ज्वर नहीं-CARBONEUM SULPHURATUM 200 की एक खुराक रोजाना लें।
➺ गठिया संबंधी संकुचन और मांसपेशियों का खिंचना CAUSTICUM-200 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ गठिया ज्वर, हर हड्डी में दर्द और अधिक थकान – EUPATORIUM PERFOLIATUM-30 हर छह घंटे पर ।
➺ गठिया, जोड़ों में दर्द, दर्द एक केंद्र से फैलता है – Berberis Vulgaris-Q की दो-तीन बूँदें, दिन में दो बार लें । गठिया, शरीर के ऊपरी भाग से नीचे की ओर जाता है – KALIUM MURIATICUM 30 दिन में दो बार
➺ गठिया, छोटे जोड़ों में, जोड़ों में दर्द और सख्ती – CAULOPHYLLUM-30 हर छह घंटे पर दोहराएँ।
➺ गठिया, सूजाक संबंधी, ठंडे मौसम में स्थिति बदतर- -CALCAREA SULPHURICA-200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ गठिया, मांसपेशी संबंधी, सख्त गरदन, सिर को घुमा नहीं सकते – ACTAEA RACEMOSA-30 दिन में तीन बार गठिया, गैस्ट्रिक समस्याओं और अतिसार के साथ KALIUM BICHROMICUM 200 की एक खुराक प्रतिदिन लें ।
➺ गठिया, सूजाक संबंधी, दर्दयुक्त और सख्त टखने, तलवे संवेदनशील, जिसके कारण चलने में परेशानी, दिन में दर्द- Medorrhinum- सीएम की एक खुराक ।
➺ गठिया, केवल रात के समय दर्द – SYPHILINUM – सीएम की एक खुराक।
➺ गठिया, किसी दमित बीमारी के कारण-ABROTANUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ गठिया, जोड़ों से हृदय तक जाता है-KALMIA LATIFOLIA-6 हर छह घंटे पर।
➺ गठिया, ऊपर से निचले अंगों तक जाता है, अचानक स्थान बदलता है, हलकी सी गति से बदतर–KALMIA LATIFOLIA – 6 हर छह घंटे पर । पसीने या ठंडे नम मौसम से – DULCAMARA 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ गठिया, दाएँ जोड़ों में, हृदय समस्या के साथ – CACTUS GRANDIFLORUS Q की दो से पाँच बूँदें पानी में रोजाना ।
➺ गठिया, अस्थिर दर्द, निरंतर एक अंग से दूसरे अंग में जाते हुए, हृदय को प्रभावित करना, दर्द का नीचे से ऊपर जाना-LAC CANINUM 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ गठिया, हृदय संबंधी समस्याओं के साथ हड्डियों में दर्द – KALIUM SULPHURICUM-30 दिन में दो बार लें।
➺ गठिया, शरीर के किसी अंग के जोड़ में दर्द, परिवर्तनशील और घुमंतू प्रवृत्ति का दर्द – KALIUM SULPHURICUM-30 दिन में दो बार ।
➺ गठिया, असहनीय दर्द, घुमंतू और एक जोड़ से दूसरे जोड़ में जाने की प्रवृत्ति, ऊपर नीचे और नीचे से ऊपर की ओर, सूजन के साथ या बिना सूजन के स्थान का परिवर्तन, अधिक कमजोरी, शक्तिहीनता और अंगों की सख्ती, हृदय संबंधी समस्याओं को जन्म-COLCHICUM AUTUMNALE (COLCHICUM)-30 हर छह घंटे पर दोहराएँ ।
➺ गठिया, शरीर के निचले भाग से आरंभ होता है और ऊपर की ओर अन्य . अंगों की ओर जाता है; गठिया से पीड़ित अंग दुबला हो जाता है; तलवों पर दबाव के कारण ठीक से चलने में परेशानी, तलवों और पैरों को ठंडे पानी में रखना जरूरी, पसीना नहीं खुराक प्रतिदिन लें। LEDUM PALUSTRE 200 की एक
➺ गठिया, जोड़ों में सूजन, दबाने पर गड्ढा बन जाता है, अधिक नम और ठंडे तथा गरम और शुष्क मौसम में बढ़ जाता है – COLCHICUM AUTUMNALE-Q की पानी में कुछ बूँदें, दिन में तीन बार लें।
➺ गठिया, ठंडी हवा का असहनीय होना और चलने-फिरने पर अधिक दर्द – RHUS TOXICODENDRON-6 और BRYONIA – 6 एक-एक करके हर तीन घंटे पर। यदि इससे लाभ न हो तो पोटेंसी बढ़ाई जा सकती है। अगर गठिया सूजाक के कारण है तो SARSAPARILLA OFFICINALIS-30 लाभदायक है। अगर गठियाएक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है तो PULSATILLA-6 या 30 दिन में दो बार लें। गठिया के आरंभ होने पर ACONITUM NAPELLUS 6 दिन में तीन बार या