सैंग्वीनेरिया Sanguinaria (Blood-Root) 

परिचय-
सैंग्वीनेरिया औषधि स्त्रियों के मासिकधर्म के बंद होने के बाद के रोगों में बहुत लाभकारी मानी जाती है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर सैंग्वीनेरिया औषधि से होने वाले लाभ-
सिर सें सम्बंधित लक्षण- रोगी जब धूप में जाता है तो उसके सिर की दाईं तरफ बहुत तेजी से दर्द होने लगता है, उल्टी होने के कारण सिर में दर्द होना जो रोजाना एक ही समय पर होता है ये दर्द माथे से शुरू होता है और सिर में ऊपर की ओर फैल जाता है तथा अन्त में आंखों के ऊपर जाकर रुक जाता है खास करके दाईं ओर, दर्द आराम करने से या सोने से कम हो जाता है, स्त्री के मासिकधर्म के बंद होने पर सिर का दर्द लौट आता है, हर सातवें दिन, आंखों में जलन महसूस होना, रोगी के सिर के पीछे के भाग में इस तरह का दर्द होना जैसे कि बिजली चमकती है आदि लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि देने से लाभ मिलता है।
चेहरे सें सम्बंधित लक्षण- रोगी का चेहरा गुस्से के मारे लाल होना, स्नायु का दर्द जो ऊपर वाले जबड़े से चारों ओर फैल जाता है, गालों के लाल होने के साथ जलन होना, रोगी को अपने जबड़ों के कानों के बीच पूर्णता महसूस होना और स्पर्शकातरता (छूने से दर्द होना) जैसे लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि का सेवन कराना लाभदायक रहता है।
नाक सें सम्बंधित लक्षण- रोगी को काफी समय से चलने वाला जुकाम और इसी के साथ ही बहुत ज्यादा मात्रा में, बदबूदार, पीले रंग का स्राव आना। नासाबुर्द (नाक में फोड़ा होना)। रोगी को सर्दी-जुकाम होना तथा इसी के साथ ही दस्त लगना। चिर नासाशोथ (क्रोनिक रीनिटीस), नाक की झिल्ली का सूख जाना और उसमें खून जम जाना आदि लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि का सेवन कराना लाभदायक रहता है।
कान से सम्बंधित लक्षण- रोगी की कानों में बहुत तेजी से जलन होना, रोगी के कान में दर्द होने के साथ ही सिर में भी दर्द होना, रोगी के कानों में अजीब-अजीब सी आवाजों का गूंजना और आवाजें आना, रोगी के कान में किसी तरह का फोड़ा होना जैसे लक्षणों में अगर रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि दी जाए तो रोगी कुछ ही दिनों में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है।
गले से सम्बंधित लक्षण- रोगी के गले में सूजन जो दाईं ओर ज्यादा होती है, रोगी के गले के सूख जाने के साथ सिकुड़ा हुआ सा महसूस होना, रोगी की जीभ सफेद होने के साथ ऐसी महसूस होती है जैसे कि वह जल गई हो, गले की दोनों ओर की ग्रंथियों में सूजन आ जाना आदि लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि देने से लाभ मिलता है।
आमाशय सें सम्बंधित लक्षण- रोगी को बहुत ज्यादा प्यास लगती है। रोगी को जी मिचलाने के साथ ही मुंह से बहुत ज्यादा लार आती रहती है। रोगी जैसे ही मक्खन को देखता है उसका जी खराब हो जाता है उसका मन हमेशा चटपटी चीजें खाने का करता रहता है। रोगी के आमाशय में जलन होने के साथ ही उल्टी होने लगती है। रोगी को अपना आमाशय बिल्कुल खाली और अंदर की ओर घुसा हुआ महसूस होता है, जठर-ग्रहणी का प्रतिश्याय आदि लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि का सेवन कराना उपयोगी साबित होता है।
पेट सें सम्बंधित लक्षण- रोगी को सर्दी-जुकाम होना और जैसे ही सर्दी-जुकाम समाप्त होता है दस्त चालू हो जाते है। रोगी के जिगर में दर्द सा होना। दस्तों का पानी जैसा और बहुत तेजी से आना। रोगी को मलान्त्र में कैंसर होना जैसे लक्षणों के आधार पर सैंग्वीनेरिया औषधि का उपयोग करना काफी लाभकारी रहता है।
स्त्री रोग सें सम्बंधित लक्षण- स्त्री की योनि में से बदबूदार पानी का आना (प्रदरस्राव)। स्त्री का मासिकस्राव बहुत ज्यादा मात्रा में और बदबू के साथ आना। स्त्री के गर्भाशय में फोड़ा होना। स्त्री के स्तनों में किसी जख्म होने के कारण परेशानी होना। मासिकस्राव के आने से पहले स्त्री की कांखों में खुजली होना। स्त्री का मासिकस्राव बंद होने के बाद होने वाले रोग आदि लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि देना काफी अच्छा रहता है।
सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आवाज की नली की सूजन। गले की नली में बहुत तेज दर्द होना। रोगी की उरोस्थि के पीछे गर्मी और सिकुड़न सी महसूस होना। आवाज का बिल्कुल बंद हो जाना। जठरमूल की खांसी जिनमें रोगी को डकार आने से आराम आता है, रोगी को खांसी होने के साथ ही छाती में जलन होने के साथ-साथ दर्द का होना जो दाईं ओर ज्यादा होता है, रोगी को इंफ्लुएंजा तथा काली खांसी होने के बाद बेहोशी लाने वाली खांसी, रोगी को हर बार सर्दी लगने पर खांसी उठ जाती है। रोगी की छाती में दाईं तरफ जलन के साथ दर्द होना जो दाएं कंधे तक फैल जाती है। रोगी स्त्री के स्तनों में दाईं तरफ के स्तन के निप्पल में दर्द होना, मासिकस्राव रुक जाने के कारण रक्तनिष्ठीवन, रोगी को सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होना और छाती का सिकुड़ा हुआ महसूस होना। रोगी की छाती में जलन जैसे कि गर्म भाप छाती से पेट में जा रही हो। निमोनिया जो पीठ के बल लेटने पर ज्यादा हो जाता है। आमाशय के रोगों से पैदा हुआ दमा। फेफड़ों का विकार, पेशाब में फास्फेट जाना और मांसक्षय होना, वायुपथों की सर्दी अचानक रुक जाने पर दस्त चालू हो जाते हैं। इस तरह के लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी के दाएं कंधे, बाएं नितंब के जोड़ और गर्दन के जोड़ का गठिया का रोग, रोगी के तलुवों में जलन होना, रोगी के शरीर के सबसे कम मांस वाले स्थान पर आमवाती दर्द लेकिन जो जोड़ों में नहीं होता, रोगी के पैर के अंगूठें और तलुवों में जलन होती रहती है, दक्षिण पाश्र्वी तंत्रिकाशोथ, अगर शरीर के अंगों को छू लिया जाए तो रोगी को आराम मिलता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि का प्रयोग कराना लाभदायक रहता है।
चर्म (त्वचा) सें सम्बंधित लक्षण- रोगी की त्वचा पर लाल रंग के छोटे दानों का निकलना जो बसंत के मौसम में और ज्यादा हो जाते हैं। रोगी की त्वचा पर जलन और खुजली जो गर्मी से तेज हो जाती है। रोगी के चेहरे पर मुहांसे निकलने के साथ ही कम मात्रा में स्राव का आना। गण्डास्थियों में लाल, गोल से धब्बों का होना जैसे लक्षणों में रोगी को सैंग्वीनेरिया औषधि देने से लाभ मिलता है।
वृद्धि-
मिठाई खाने से, दाईं ओर तथा गति और किसी के छूने से रोग बढ़ जाता है।
शमन-
खट्टे पदार्थों से तथा नींद और अंधेरे में रोग कम हो जाता है।
पूरक-
टार्टा-इमे।
तुलना-
सैंग्वीनेरिया औषधि की तुलना जस्टीशिया, डिजिटैलिस, बेला, आइरिस, मेलीलो, लैके, फेरम और ओपि से की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को सिर में दर्द होने पर सैंग्वीनेरिया औषधि का मूलार्क और गठिया के रोग में 6 शक्ति तक देने से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

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