सिफिलीनम  Syphilinum  

परिचय-
सिफिलम औषधि त्वचा के रोगों के लिए बहुत ही उपयोगी मानी जाती है। अक्सर गर्मी के कारण होने वाले जख्म और फोड़े-फुंसियां किसी दवा के लेने के कारण दब जाते है। ऐसा रोगियों को सिफिलम औषधि देने से ये औषधि उन दबे हुए जख्मों और फोड़े-फुंसियों को बाहर निकाल देती है और ठीक कर देती है। इन फोड़े-फुसियों का बाहर दुबारा निकलकर ठीक होना रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इन दबे हुए फोड़े-फुंसियों और जख्मों को बाहर निकालकर ठीक करने के बाद रोगी के शरीर में ताकत बढ़ जाती है, उसे भूख भी खुलकर लगने लगती है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर सिफिलीनम औषधि का उपयोग-
मन से सम्बंधित लक्षण- याददाश्त का कमजोर होना जैसे किसी भी बात को या काम को तुरंत ही भूल जाना, रोगी को कोई रोग होने से पहले की सारी बाते याद रहती है, रोगी ये महसूस करता है कि वो कभी भी ठीक नही हो पाएगा, हर समय उदास सा बैठा रहता है, इस तरह के मानसिक रोग के लक्षणों में रोगी को सिफिलीनम औषधि देने से लाभ होता है।
सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर में दर्द होना जैसे कि वो बेहोश होकर गिर पड़ेगा, सिर की हडि्डयों में दर्द होना, बालों का झड़ जाना, कनपटियों के आरपार बहुत तेज दर्द का होना, रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसके माथे के ऊपर का भाग निकलकर बाहर आ रहा हो, आंखों से पीछे की ओर दर्द का होना जिसके कारण रोगी को रात में नींद नही आती। इन लक्षणों में अगर रोगी को सिफिलीनम औषधि दी जाए तो उसके लिए काफी लाभकारी साबित होता है।
आंखों से सम्बंधित लक्षण- आंखों की कनीनिका पर पुराना छाला जो बार-बार हो जाता है और उसमे जलन भी काफी होती है, कनीनिका में फफोलों के झुण्ड और कनीनिका के उपकला तलों के छिले हुए जख्म, आंखों से हर समय आंसुओं का निकलते रहना, पलकों में सूजन आना, पलकों का पक्षाघात, आंखों से हर चीज दो-दो दिखाई देना, क्षयप्रकृतिक परितारिकाशोथ (ट्युबेरकुलर इरिटीस), आंखों पर ऐसा महसूस होना जैसे कि ठंडी हवा बह रही हो आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को सिफिलीनम औषधि देने से लाभ होता है।
नाक से सम्बंधित लक्षण- नासास्थ्यों का क्षय (नाक की हडि्डयों में टी.बी का रोग हो जाना), इसके साथ ही उनमे छेद हो जाना, पुराना जुकाम, मुंह के तालु का कठोर हो जाना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को सिफिलीनम औषधि देना बहुत लाभकारी होता है।
मुंह से सम्बंधित लक्षण- मसूढ़ों से लेकर दांतों तक की टी.बी, जीभ पर मोटी सी मैल की परत का जम जाना, जीभ के ऊपर दांतों से निशान का बन जाना, दांतों के किनारे टेढ़े-मेड़े हो जाना, मुंह से बहुत ज्यादा लार का आना, सोते समय रोगी के मुंह से लार बाहर बहती रहती है, इस तरह के लक्षणों में रोगी को सिफिलीनम औषधि का सेवन कराना काफी लाभदायक साबित होता है।
स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- स्त्री के योनि वाले भाग पर जख्म सा होना, प्रदर-स्राव अर्थात योनि में से बहुत ज्यादा मात्रा में पतला सा, तीखा स्राव का आना और इसके साथ ही डिम्बग्रन्थियों में बहुत तेजी से दर्द का होना जैसे किसी ने किसी पैने हथियार से काट दिया हो। इस तरह के लक्षणों में अगर रोगी को सिफिलम औषधि दी जाए तो उसके लिए काफी लाभदायक साबित होता है।
सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आवाज का बिल्कुल बंद हो जाना, गर्मी के मौसम में होने वाला और लंबे समय तक चलने वाला दमा रोग, सूखी खांसी जो रात के समय ज्यादा होती है, सांस की नली को छूते ही परेशानी पैदा होना, रात के समय दिल के भाग से अग्रकोण तक किसी चीज के द्वारा काट दिये जाने जैसा दर्द होने आदि में सिफिलम औषधि लेने से लाभ होता है।
मलान्त्र से सम्बंधित लक्षण- रोगी का मलान्त्र संकीर्णताओं से जकड़ा हुआ सा महसूस होता है, रोगी को एनिमा लेते समय बहुत दर्द होना, मलान्त्र का चिर सा जाना, मलान्त्र में दरार पड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को सिफिलम औषधि देने से लाभ मिलता है।
बाहरीय अंग से सम्बंधित लक्षण- रोगी को गृध्रसी (साइटिका) का दर्द होना जो रात को बढ़ता है और सुबह कम हो जाता है, स्कंधसंधि का गठिया हो जाना, त्रिकोणपेशी के जोड़ पर, अंगुलबेढ़ा, दीर्घास्थियों में तेज दर्द, पैरों की उंगलियों के बीच में घाव और लालपन आना, गठिया का रोग होना, रोगी हमेशा हाथ धोता रहता है। इन सारे लक्षणों में रोगी को सिफिलम औषधि का प्रयोग कराने से लाभ मिलता है।
चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- रोगी की त्वचा पर लाल या रंग की फुंसियां निकलना और इसके साथ ही बहुत ज्यादा बदबू आना, बहुत ज्यादा शीर्णता आने जैसे रोगों के लक्षणों में रोगी को सिफिलम औषधि देने से लाभ होता है।
वृद्धि-
रात को, रात को सूरज ढलने से लेकर सुबह सूरज उगने तक, समुद्र के किनारे, गर्मी के मौसम में रोग बढ़ जाता है।
शमन-
समुद्र से दूर, पहाड़ों पर, दिन के समय, धीरे-धीरे घूमते रहने से रोग कम हो जाता है।
तुलना-
सिफिलम औषधि की तुलना मर्क्यू,, काली-हाइड्रा, नाइट्रि-ए, औरम, एलूमि से की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को सिफिलम औषधि की ऊंची शक्तियां देने से रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है।
सावधानी-
सिफिलम औषधि को दूसरी बार इस्तेमाल करने में काफी समय का अंतर होना चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *