➺ मूत्राशय शोथ, यकृत की संवेदनशीलता, मुँह में कड़वा स्वाद – CARDUUS MARIANUS-6 हर छह घंटे पर ।
➺ रात्रिकालीन स्वतः मूत्र त्याग, पहली नींद के दौरान, दुर्गंधयुक्त पीला मूत्र, दंतक्षय KREOSOTUM- 30 दिन में तीन बार
➺ तेज नेफराइटिस (गुरदों में सूजन), लाल बुखार, बहुत कम मूत्र निकलना, बार-बार मरोड़, बेचैनी, ठंडा शरीर, गुदा का तापमान अधिक CUPRUM ARSENICOSUM-6 दिन में तीन बार
➺ शरीर के किसी अंग में जलन (जलन गुरदे से गर्भाशय तक बढ़े), मूत्र में तेज गंध, लाल जीभ – TEREBINTHINA 200 सप्ताह में एक खुराक
➺ रात में स्वतः मूत्र त्याग, भयभीत बच्चों में CINA 200 दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ स्वतः मूत्र त्याग, मूत्राशय पर नियंत्रण खोने के कारण – THYROIDINUM-30 दिन में तीन बार
➺ स्वतः मूत्र त्याग, नमी वाले घरों में रहने या नम मौसम से – TEREBINTHINA 200 की साप्ताहिक खुराक।
➺ स्वतः मूत्रस्त्राव, वृद्धों में, पीला मूत्र, पानीदार या रक्तिम Secale cornutum-30 दिन में तीन बार
➺ स्वतः मूत्र त्याग, पहली नींद के दौरान स्वतः मूत्र निकल जाना— CAUSTICUM-30 दिन में तीन बार
➺ स्वतः मूत्र त्याग, मूत्र में तेज गंध होती है- NITRICUM ACIDUMम-30 दिन में दो बार।
➺ स्वतः मूत्र-त्याग, मूत्र-त्याग की उत्कट इच्छा तथा प्यास, दुर्गंधित पसीना – APOCYNUM CANNABINUM दिन में तीन बार
➺ रक्तस्त्राव तथा मूत्राशय की समस्याएँ-Aegle Marmelos-Q दिन में दो बार दो से पाँच बूँदें |
➺ शरीर के विभिन्न हिस्सों से रक्तस्राव – MILLEFOLIUM-Q या 3, दिन में दो बार ।
➺ सूजाक, मूत्र का धीमा या रुक-रुककर आना- CLEMATIS ERECTA-1M यदि जरूरत हो तो इसे दुहराएँ ।
➺ सूजाक, जब बाकी ओषधियाँ विफल हो जाएँ तो PSORINUM M की सप्ताह में एक खुराक लें।
➺ सूजाक, स्थायी परेशानियों का कारण बनता है – SULPHUR-30 दिन में तीन बार ।
➺ सूजाक- SEPIA-30 दिन में तीन बार ।
➺ सूजाक, मूत्र त्याग के बाद मूत्राशय में जलन, गाढ़ा पीला या पस जैसा स्राव – CUBEBA OFFICINALIS 6 दिन में दो बार
➺ सूजाक, पहला चरण, तेज अनियंत्रित यौनेच्छा – Acid Fluoric 30 हर छह घंटे पर
➺ सूजाक, मूत्राशय तथा ब्लेडर की ग्रीवा में तेज खुजली, पतला तथा दूधिया स्राव, मूत्र में बलगम- COPAVA-6 दिन में तीन बार ।
➺ सूजाक, हरा पीला, दर्द रहित गाढ़ा स्राव – Natrum sulph-30 दिन में दो बार ।
➺ सूजाक, पहला चरण, जल्दी-जल्दी मूत्र त्याग और जलनकारी पीड़ा, दर्द भरा उत्थान CANNABIS INDICA -30 दिन में तीन बार
➺ सूजाक, दूसरा चरण, हरा स्राव, मूत्र-त्याग के बाद भी लगातार जलन तथा दर्द – MERCURIUS SOLUBILIS-200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ सूजाक, अर्बुद तथा गाँठों के साथ, जब अन्य उपचार काम न करें- Natrum Sulphuricum- 200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ सूजाक, ऑरकाइटिस, मूत्र मार्ग से पीला-हरा स्राव – ARGENTUM METALLICUM 30 दिन में दो बार
➺ सूजाक, फिमोसिस/पाराफिमोसिस, पतला तथा खूनी स्राव, बाद में हरे या पीले स्राव में बदल जाता है – NITRICUM ACIDUM 200 की प्रतिदिन एक खुराक ।
➺ सूजाक, लगातार दर्द के साथ दूसरा चरण, रात में हरा स्राव, तेज जलन तथा पीड़ा – MERCURIUS SOLUBILIS 200 की प्रतिदिन एक खुराक
➺ सूजाक, दमित या अंतर्निहित शिकायतें, जैसे सूजाक संबंधी संधिवात, न्यूरेलिज्या, साइटिका, न्यूरेसिस, ओवरी ट्यूमर, गर्भपात, बाँझपन, ऑरकाइटिस, गाँठ, ग्लीट, नपुंसकता, त्वचा रोग रोगी तुरंत रोने लगता है, अँधेरे से डरता है, ठीक होने की आशा नहीं होती, रोग के बारे में सोचने से हालत और खराब होती है, सुबह से शाम तक बदतर स्थिति । पेट के बल लेटने पर, समुद्र के किनारे या नम मौसम में बेहतर महसूस करना – Medorrhinum 200 की सप्ताह में एक खुराक ।
➺ सूजाक THUJA-Q की पाँच बूँदें पानी में सुबह शाम |
➺ सूजाक, मूत्र मार्ग अत्यंत संवेदनशील, पैरों को नजदीक रखकर नहीं चल सकते, यदि रोग मूत्राशय तक या ब्लेडर तक पहुँच गया है तो ह कुछ मिनटों पर पीठ में तेज दर्द, मूत्र के साथ रक्त आना Cannabis sativa-Q की दो बूँदें दिन में तीन बार । यदि इसके बाद जलन जारी रहे और गाढ़ा व हरा स्त्राव हो तो MERCURIUS SOLUBILIS-1M की महीने में एक खुराक ।
➺ सूजाक, मवादयुक्त स्राव, फिमोसिस और मूत्र में जलन, मूत्र मार्ग इतना संवेदनशील कि उसे स्पर्श करना या दबाव देना कठिन, पाँवों को नजदीक रखकर चलने से मूत्राशय में दर्द Cannabis sativa 3X दिन में तीन बार ।
➺ सूजाक का पहला चरण, निरंतर मूत्र त्याग की इच्छा, लेकिन एक समय में कुछ बूँदें निकलना, मूत्र के साथ रक्त आना तथा मूत्राशय में असहनीय जलन CANTHARIS VESICATORIA-6 दिन में तीन बार ।
➺ सूजाक संबंधी ऑरकाइटिस, मूत्र बूँदों के रूप में निकलता है, मूत्राशय का सख्त होना- PULSATILLA 200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ सूजाक संबंधी कंजेक्टिवाइटिस । MERCURIUS CORROSIVUS-6 हर तीन घंटे पर
➺ मूत्रवाहिनी नलिका में पत्थर के टुकड़े-Thlaspi Bursa.पी.-Q पानी में पाँच बूँदें, दिन में तीन बार मूत्र में रक्त, मूत्र कॉफी की तरह धुँधला, प्रचुर मूत्र, गहरे रंग का या काला, परंतु दर्द रहित – TEREBINTHINA 200 की साप्ताहिक खुराक ।
➺ मूत्र में रक्त BELLADONNA-30 दिन में तीन बार और चौथे दिन CANTHARIS VESICATORIA 200 की एक खुराक, इस दिन और कोई ओषधि नहीं । राहत मिलने तक इस उपचार को जारी रखें ।
➺ स्वतः मल-मूत्र निकल जाना, गंभीर संक्रामक रोग के कारण BAPTISIA TINCTORIA 30 दिन में तीन बार ।
➺ गुरदे की समस्या, तेज दर्द, सुन्नता के साथ, गुरदे के क्षेत्र में सख्ती और कमजोरी महसूस करना, सोते समय और सुबह के समय अधिक तकलीफ – Berberis Vulgaris Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार
➺ गुरदे या पित्त की पथरी का दर्द – CALCAREA CARBONICA-30 केवल दो खुराक (यह पथरी का बनना भी रोकता है)।
➺ गुरदे में पथरी – LYCOPODIUM – 1M की एक खुराक से आरंभ करें, इसके बाद छह दिनों तक Berberis Vulgaris 30 दिन में तीन बार लें। आठवें दिन LYCOPODIUM 1M दुहराएँ । पथरी को हटाने के लिए यह प्रक्रिया तीन-चार महीनों तक जारी रहनी चाहिए। रोगी को प्रचुर मात्रा में पानी और नीबू का रस दें। गुरदे की पथरी की स्थिति में Berberis Vulgaris-30 की अपेक्षा CALCAREA CARBONICA-30 दिन में तीन बार . गुरदे में पथरी, उसे घुलाने के लिए-SARSAPARILLA OFFICINALIS-30 दिन में तीन बार।
➺ पथरी, मूत्र त्याग समाप्त होने के समय तेज दर्द, छोटी पथरियाँ निकलना या मूत्राशय से बलुआ पत्थर निकलना । खड़े होने के दौरान मूत्र अच्छी तरह निकलता है, लेकिन बैठकर मूत्र त्याग करते समय बूँद बूँद निकलता है। बच्चा मूत्र त्याग करने से पहले और करने के दौरान चिल्लाता है – SARSAPARILLA OFFICINALIS 6 दिन में तीन बार
➺ अपने आप मूत्र विसर्जन, चलते, खाँसते या हँसते समय NATRIUM MURIATICUM-200 दो सप्ताह में एक बार
➺ गंभीर नेफ्राइटिस (गुरदे की सूजन), लाल बुखार के बाद, मूत्र कम मात्रा में और एल्बुमिनवाला, निरंतर मरोड़, अधिक बेचैनी, बर्फ जैसा ठंडा शरीर, गुदा का तापमान अधिक- CUPRUM ARSENICOSUM 6 दिन में तीन बार।
➺ गुरदे की सूजन – CUPRUM ARSENICOSUM 3 हर छह घंटे पर ।
➺ गुरदे की सूजन-KALIUM SULPHURICUM-30 हर छह घंटे पर। .
➺ गुरदे की सूजन, अत्यंत कमजोरी और ठंड लगना, दर्द के साथ मूत्र त्याग, एल्बुमिन का जमाव, मूत्र कम मात्रा में और दबा हुआ होना, हिचकी, मिचली और वमन – MERCURIUS CYANATUS 30 हर छह घंटे पर।
➺ गुरदे की सूजन, मूत्र त्याग से पहले, उसके दौरान और बाद में तेज दर्द – CANTHARIS VESICATORIA-6 दिन में तीन बार यह मूत्र प्रवाह को बढ़ाता है)।
➺ गुरदे की सूजन, तेज बुखार के साथ, अधिक बेचैनी, उन्माद, प्यास अधिक, वमन, मूत्र त्याग की इच्छा, मूत्र में रक्त, गुरदे क्षेत्र दबाव के प्रति संवेदनशील – Calcarea Arsenica-6 दिन में दो बार
➺ मूत्र त्याग के बाद दर्द, वृद्धों में अंडकोष की समस्याओं के कारण Staphysagria 30 दिन में तीन बार
➺ गुरदे में पथरी के कारण दर्द – Berberis Vulgaris Q की दो से पाँच बूँदें पानी में, कम अंतराल पर
➺ यकृत में दर्द, रात में दर्द की ओर करवट करके सोने पर अधिक पीड़ा, चलने पर राहत – CALCAREA FLUORICA-6 दिन में तीन बार
➺ पेडू में दर्द – FORMICA RUFA-6 दिन में तीन बार सेवन करें।
➺ नाभि में दर्द, जो शरीर के सभी अंगों में फैलता है – DIOSCOREA VILLOSA 30 दिन में दो बार ।
➺ मूत्र त्याग से पहले और उसके दौरान दर्द MERCURIUS SOLUBILIS-30 या BORAX-6 दोनों हर छह घंटे के अंतराल पर।
➺ मूत्र मार्ग में दर्द, मूत्र त्याग की निरंतर इच्छा, मूत्राशय में भारीपन महसूस होना, अधिक मात्रा में मूत्र त्याग – EQUISETUM HYEMALE-30 हर छह घंटे पर।
➺ मूत्र मार्ग में दर्द, मूत्र त्याग से पहले, दौरान और बाद में, लगातार मूत्र त्याग की इच्छा, मूत्र अत्यंत पीड़ा के साथ बूँद-बूँद करके निकलता है CANTHARIS VESICATORIA- 200 की कुछ खुराकें।
➺ पेट और पेडू में दर्द, तीव्र, चुभनेवाला तेज दर्द, अकसर तेजी से स्थान बदलता है, मरोड़, गरम सिंकाई और दबाव से राहत – MAGNESIUM PHOSPHORICUM M की एक खुराक, यदि लक्षण बरकरार रहें तो दुहराया जा सकता है।
➺ ऑपरेशन के बाद मूत्र मार्ग का संक्रमण- POPULUS TREMULOIDES-3 दिन में तीन बार
➺ प्रोस्टेट ग्रंथियों की अतिवृद्धि, वृद्ध व्यक्तियों में, मूत्र त्याग करने में अत्यंत कठिनाई, रुक-रुककर होनेवाला प्रवाह, रुकता है, फिर आरंभ होता है – CONIUM MACULATUM 30 हर छह घंटे पर ।
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की समस्या, पेरिनियम या गुदा के निकट सूजन महसूस होना, जैसे किसी बॉल पर बैठे हों, अधिक मात्रा में मूत्र त्याग – Chimaphila Umbellata-Q की दो से तीन बूँदें, दिन में दो बार
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि, वृद्धों में, मूत्र में तेज गंध, मूत्र में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड, मूत्र का बूँद-बूँदकर टपकना- – BENZOICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार |
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि – POPULUS TREMULOIDES-Q की पानी में पाँच बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ प्रोस्टेट द्रव का टपकना, बैठने, सोने, चलने या मल-त्याग के समय। चेहरे, हाथों और जाँघ में अत्यंत कमजोरी-SELENIUM METALLICUM 200 की कुछ खुराक।
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि, हृदय समस्या से संबंधित DIGITALIS PURPUREA – 30 दिन में दो बार ।
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि – नेट्रम कारर्ब 200 हर पंद्रह दिनों पर या BENZOICUM ACIDUM 30 दिन में दो बार, एक सप्ताह तक इसके बाद BENZOICUM ACIDUM- 200 की दो या तीन खुराक हर पंद्रह दिनों पर ।
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि, मूत्र त्याग के बाद भी मूत्र बूँदों में निरंतर टपकता रहता है— Staphysagria 30 दिन में तीन बार
➺ प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि, मूत्र त्याग के दौरान जलन CANTHARIS VESICATORIA-30 हर छह घंटे पर ।
➺ मूत्र बूँदों में निकलता है, मूत्र मार्ग में जलन और तीव्र पीड़ा, लिंग को खींचने की निरंतर इच्छा- CANTHARIS VESICATORIA-6 दिन में तीन बार
➺ मूत्र नहीं निकलना, जबकि मूत्राशय मूत्र से भरा होता है – ZINCUM METALLICUM 200 की दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ यूरीमिया (रक्त में मूत्र का मिश्रित हो जाना ) – OPIUM 6 हर दो या तीन घंटे के अंतराल पर ।
➺ यूरीमिया या नम स्थान पर खड़े होने या ठंडे पानी में खड़े होकर काम करने से विकसित होनेवाले अन्य रोग, जैसे धोबी आदि की-CALCAREA CARBONICA 6 दिन में तीन बार
➺ यूरीमिया, एल्बुमिनस मूत्र, कम मात्रा में, हठी खाँसी, लगातार दौरे, अत्यंत बेचैनी और प्यास, मांसपेशियों में ऐंठन, बर्फीला शरीर-CUPRUM ARSENICOSUM 6 हर छह घंटे पर ।
➺ यूरीमिया, दमित मूत्र – PICRIC ACID-30 दिन में तीन बार
➺ यूरीमिया, उनींदापन, मूर्च्छा या कोमा, मूत्र जमा हो जाना और रक्त में मूत्र का मिल जाना- TEREBINTHINA 200 की साप्ताहिक खुराक।
➺ सोडा के यूरेट, गुरदे या जोड़ों में जमाव- SILICEA 200 की दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ मूत्रवाहिनी नली में दर्द, मूत्र के साथ लाल रेतनुमा पदार्थ आते हैं, जो तल में जमा हो जाते हैं – OCIMUM CANUM-Q की दो से तीन बूँदें, दिन में दो बार ।
➺ मूत्र मार्ग में जलन, जब मूत्र त्याग न कर रहे हों, मूत्र त्याग करते समय जलन समाप्त हो जाती है, हलके से मानसिक अवसाद के प्रति अत्यंत संवेदनशील, कोई भी छोटी सी बात चोट पहुँचाती है – Staphysagria-30 दिन में दो बार
➺ यूरेथ्राइटिस (मूत्र मार्ग में शोथ) और मूत्राशय शोथ, जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, कम मात्रा में और गहरे रंग का, मूत्र त्यागते समय दर्द, चटख रक्तिम रंग का BELLADONNA 30 दिन में दो बार
➺ यूरेथ्राइटिस संक्रमण, दुर्गंधित मूत्र, जलन- Chimaphila Umbellata 6 दिन में तीन बार ।
➺ यूरेथ्राइटिस, साइकोटिक रोगी में, मूत्र की धाराएँ अलग हो जाती हैं, मूत्र-त्याग के बाद तीव्र पीड़ा, गाढ़ा स्राव THUJA 30 दिन में दो बार
➺ मूत्र त्याग की तीव्र इच्छा, मूत्र त्याग के लिए काफी देर बैठना पड़ता है (युवा विवाहित महिलाओं में ) – Staphysagria 6 पानी में दो से चार बूँदें, दिन में तीन बार
➺ मूत्राशय में खुजली, रात में जल्दी जल्दी मूत्र त्याग की इच्छा, वृद्ध लोगों में प्रोस्टेट समस्याओं के कारण-CARBOLICUM ACIDUM-1X की पानी में दो से पाँच बूँदें।
➺ ऐसा लगना मानो मूत्र त्याग के बाद भी मूत्राशय भरा हुआ है RUTA GRAVEOLENS 30 दिन में तीन बार
➺ मूत्र संबंधी विकार, मूत्राशय में तेज जलन और चुभन – TEREBINTHINA 200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ मूत्र संबंधी समस्या, मूत्राशय में दर्द, ऐसा लगना मानो मूत्राशय मूत्र से भरा हुआ हो, बार-बार मूत्र के लिए जाकर उसे खाली करने की इच्छा, मूत्र सामान्य मात्रा में निकलता है – EQUISETUM HYEMALE –Q की दो से तीन बूँदें, दिन में दो बार |
➺ मूत्र संबंधी समस्याएँ, महिलाओं में EUPATORIUM PURPUREUM 30 दिन में दो बार।
➺ मूत्र संबंधी समस्याएँ, नॉक्टरनल न्यूरेसिस, एल्बुमिन के साथ मूत्र, जलन, गहरे पीले रंग का दुर्गंधयुक्त मूत्र, बलगम और फॉस्फेट के साथ – NATRIUM ARSENICOSUM 30 सुबह-शाम लें |
➺ मूत्र विकार – THLASPI BURSA PASTORIS-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार लें।
➺ केवल खड़ी स्थिति में मूत्र त्याग कर पाना – SARSAPARILLA OFFICINALIS-30 दिन में तीन बार या CONIUM MACULATUM 200 दो सप्ताह में एक बार या HYPERICUM PERFORATUM 30 दिन में तीन बार ।
➺ बूँद-बूँद में मूत्र त्याग – Natrum sulph-30 दिन में दो बार लें।
➺ मूत्र त्याग के बाद तेज दर्द – THUJA 30 दिन में तीन बार खाएँ ।
➺ मूत्र त्याग की निरंतर इच्छा, मूत्राशय के भरे होने के कारण, यदि किसी कारण से मूत्र त्याग नहीं कर सकते तो मूत्र अत्यंत कठिनाई से निकलता , मूत्राशय में दर्द-RUTA GRAVEOLENS-30 दिन में तीन बार ।
➺ जल्दी-जल्दी मूत्र त्याग, एल्बुमिनेरिया के कारण – Calcarea Arsenica 6 दिन में दो बार
➺ मूत्र संबंधी समस्याएँ, मूत्राशय में अधिक दबाव और दर्द, उससे राहत पाने के लिए मूत्र त्याग की अत्यधिक इच्छा, लेकिन मूत्र त्याग से इसमें से राहत नहीं। इसलिए बार-बार जाने की इच्छा, मूत्र त्याग के दौरान मूत्र मार्ग में जलन, कभी कभी मूत्र त्याग करने के बाद तेज पीड़ा – EQUISETUM HYEMALE-Q की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार ।
➺ असहनीय दर्द के साथ मूत्र त्याग के समय या मूत्र त्याग की समाप्ति पर – SARSAPARILLA OFFICINALIS 6 दिन में तीन बार
➺ मूत्र त्याग न करने के दौरान मूत्र मार्ग में जलन, लेकिन दौरान कोई जलन नहीं – Staphysagria-30 दिन में दो बार मूत्र त्याग के
➺ केवल बैठी और पीछे की ओर झुकी अवस्था में मूत्र त्याग कर सकना – ZINCUM METALLICUM 30 दिन में दो बार ।
➺ मूत्र त्याग की निरंतर इच्छा, लेकिन बहुत कम मूत्र निकल पाना, मूत्र त्याग शुरू करते समय मूत्र मार्ग में जलन, मूत्र त्याग के लिए न जाने पर स्वतः मूत्र त्याग – Mercurius Vivus 200 और MERCURIUS SOLUBILIS- 200 दोनों एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ निरंतर मूत्र-त्याग की इच्छा जोर लगाकर मूत्र त्याग का प्रयास, दर्द जाँघों तक जाता है— PAREIRA BRAVA-Q की पानी में दो-तीन बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ मूत्र त्याग के लिए गुदा पर दबाव देना जरूरी, मूत्र बूँदों में निकलता है। – ALUMINA 30 दिन में तीन बार
➺ जल्दी-जल्दी मूत्र त्याग की इच्छा, जलन और चुभनयुक्त पीड़ा के साथ – CANTHARIS VESICATORIA 6 दिन में तीन बार
➺ रात में जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, पानी पीने के बाद भी प्यास लगना, मुँह सूखना, गंदी जीभ, कब्ज, मसूड़ों में सूजन, पतला, कमजोर और शुष्क शरीर – ARSENICUM BROMATUM –Q की तीस बूँदें चौथाई कप पानी में दिन में तीन बार ।
➺ अत्यधिक मूत्र-त्याग–EQUISETUM HYEMALE-Q पानी में कुछ बूँदें, दिन में तीन बार
➺ जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, मूत्र त्याग के दौरान किसी प्रकार का दर्द बढ़ता है – THUJA-30 दिन में तीन बार
➺ मूत्र-त्याग की आकस्मिक इच्छा, मूत्र मार्ग में खुजली, ऐसा लगना मानो अंदर कोई वस्तु है; जलन, चुभन-PETROSELINUM SATIVUM 6 दिन में तीन बार।
➺ मूत्र त्याग के लिए काफी देर तक प्रतीक्षा करना जरूरी-NATRIUM MURIATICUM 30 सुबह-शाम ।
➺ बैठी अवस्था में मूत्र उतरने में परेशानी, खड़ी अवस्था में ही मूत्र त्याग कर सकते हैं – SARSAPARILLA OFFICINALIS-6 दिन में तीन बार ।
➺ मूत्र पर नियंत्रण नहीं, पिलटर की कमजोरी के कारण, मूत्र त्याग की आकस्मिक इच्छा, जिसपर नियंत्रण करना कठिन – FERRUM PHOSPHORICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ मूत्र पर नियंत्रण नहीं, श्वेत प्रदर से प्रभावित युवा में, मूत्र त्याग की आकस्मिक इच्छा, जिसपर नियंत्रण नहीं कर सकते और अपने कपड़ों या बिस्तर को गीला कर देते हैं- PULSATILLA 200 सुबह-शाम
➺ अनैच्छिक मूत्र और बूँद-बूँद टपकना, चलने के दौरान – SELENIUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार ।
➺ स्वतः मूत्र त्याग हो जाना—SQUILLA-30 दिन में तीन बार
➺ मूत्र में फॉस्फेट की मात्रा – PHOSPHORICUM ACIDUM-12 दिन में दो बार
➺ मूत्र का जमा होना, धीरे-धीरे निकलना और स्वतः बूँद-बूँद टपकना ALUMINA-30 दिन में तीन बार
➺ मूत्र का जमा होना / दबा होना, हृदय रोगों से संबंधित – Laurocerasus-30 दिन में दो बार ।
➺ श्रम के बाद मूत्र का जमा होना, महिलाओं में Secale cornutum-30 दिन में दो बार |
➺ मूत्र का जमा होना, वृद्धों द्वारा बिना जोर लगाए मूत्र त्याग नहीं, धीरे धीरे निकलता है- STRAMONIUM 6 दिन में तीन बार
➺ मूत्र का जमा होना, चोट के कारण-ARNICA MONTANA 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ मूत्र का जमा होना, आघात से – ACONITUM NAPELLUS 6 दिन में तीन बार
➺ मूत्र का दब जाना, टायफाइड ज्वर तथा रक्त में मूत्र के मिश्रित होने के कारण, अत्यंत थकान-COLCHICUM AUTUMNALE (COLCHICUM) 12 हर छह घंटे पर।
➺ मूत्र का दब जाना, जलोदर के साथ Aurum Muriaticum Natronatum-3X दिन में तीन बार
➺ मूत्र का दब जाना, अचेतनता के साथ-PLUMBUM METALLICUM 30 दिन में दो बार
➺ मूत्र की मात्रा को कम करने के लिए PHOSPHORICUM ACIDUM-6 दिन में तीन बार
➺ प्रचुर मात्रा में पानीदार या दूधिया मूत्र-PHOSPHORICUM ACIDUM 6 दिन में दो बार ।
➺ कम या पूरी तरह दमित मूत्र, कॉफी की तरह तलछट – HELLEBORUS NIGER 200 की सप्ताह में एक खुराक ।
➺ एल्बुमिनयुक्त मूत्र, पस के साथ – Medorrhinum 200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ एल्बुमिनयुक्त मूत्र, रात में अत्यधिक, शर्करा के साथ – CHININUM ARSENICOSUM 6 चार घंटे के अंतराल पर ।
➺ मूत्र त्यागते समय जलन और चुभन; लाल, भूरा, काला या धुएँ जैसा मूत्र – TEREBINTHINA-30 दिन में तीन बार
➺ ठंडा मूत्र, बूँदों में निकलता है, मूत्र मार्ग में चुभन, मूत्र की अंतिम बूँद काफी देर से और धीरे-धीरे निकलती है – AGARICUS MUSCARIUS 200 की एक खुराक प्रतिदिन या PETROLEUM 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ कई चरणों में मूत्र त्याग – CONIUM MACULATUM मैक-30 दिन में दो बार
➺ मूत्र त्याग की निरंतर और अप्रभावी इच्छा, कुछ बूँदें निकलती हैं, गुदा में ऐंठन और कब्ज-CAUSTICUM – 200 की सप्ताह में एक खुराक ।
➺ निरंतर मूत्र स्राव – ARGENTUM METALLICUM 30 या CAUSTICUM -30 दिन में तीन बार ।
➺ वृद्धों का मूत्र लगातार बूँद-बूँद कर टपकना – COPAIVA OFFICINALIS –Q की दो से तीन बूँदें, दिन में दो बार लें।
➺ मूत्र का प्रवाह रुककर फिर शुरू होता है, प्रोस्टेट ग्रंथियों के बढ़ जाने के कारण – CONIUM MACULATUM 30 दिन में तीन बार
➺ जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, लेकिन फिर भी लगातार इच्छा बने रहना, कम मात्रा में, कभी कभी गाढ़ा, कफयुक्त और जेली जैसा- COLOCYNTHIS 6 दिन में तीन बार ।
➺ मूत्र में एल्बुमिन, अधिक कमजोरी – HELONIAS DIOICA-30 दिन में तीन बार ।
➺ गरम मूत्र, मूत्र त्यागते समय बच्चा चिल्लाता है – BORAX 30 दिन में तीन बार ।
➺ मूत्र में यूरिक एसिड का बढ़ जाना-BARYTA MURIATICA-3 दिन में तीन बार।
➺ मूत्र का अपने आप निकल जाना, उसके बाद मूत्र मार्ग में जलन और पीड़ा – NATRIUM MURIATICUM – 200 की एक खुराक रोजाना लें।
➺ काले रंग का मूत्र – CARBOLICUM ACIDUM-1X या 6, दिन में दो बार लें।
➺ पीला मूत्र, केवल झुकने पर ही मूत्र त्याग, मूत्राशय कमजोर MAGNESIUM MURIATICUM की एक खुराक । खाँसने, छींकने तथा नाक साफ करने पर स्वतः मूत्र निकल जाना – CAUSTICUM – 30 हर छह घंटे पर।
➺ मूत्र का धीरे-धीरे निकलना CLEMATIS ERECTA-30 दिन में दो बार खाएँ ।
➺ मवाद के साथ मूत्र निकलना, गुरदे के क्षेत्र में दिन-रात दर्द -CALCAREA SULPHURICA-12 दिन में दो बार ।
➺ मूत्राशय पर दबाव और जल्दी जल्दी मूत्र विसर्जन, पेट के निचले हिस्से में तनाव, लाल या रक्तिम जमाव के साथ अधिक दुर्गंधित मूत्र, लाल रेतकण सबसे नीचे बैठ जाते हैं- SEPIA 200 की कुछ खुराकें ।
➺ मूत्र का जमा होना या दमन, हृदय समस्याओं के साथ – Laurocerasus- 30 हर छह घंटे पर।
➺ कम मात्रा में मूत्र आना, गहरा भूरा, घोड़े के मूत्र की तरह गंध, निकलते समय ठंडा, उसमें OXALICUM ACIDUM, यूरिक एसिड और PHOSPHORUS की मात्रा- NITRICUM ACIDUM 30 दिन में दो बार लें।
➺ कम मात्रा में गहरे रंग का मूत्र, प्रोस्टेट ग्रंथियों के बढ़ जाने के कारण बूँदों में टपकता है। तेज गंध, जो देर तक रहती है – BENZOICUM ACIDUM- 30 दिन में दो बार ।
➺ कुछ दुर्गंधयुक्त मूत्र – TEREBINTHINA – 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ मूत्र का कभी निकलना और कभी रुक जाना- LEDUM PALUSTRE-30 दिन में दो बार ।
➺ मूत्राशय की सुस्ती के कारण मूत्र का रुक जाना- PLUMBUM METALLICUM 30 हर छह घंटे पर।
➺ खड़े होने पर मूत्र का दूधिया हो जाना CINA 200 की एक खुराक, जल्दी-जल्दी न दुहराएँ।
➺ मूत्र का जमा होना – BELLADONNA-200 एक-एक घंटे के अंतराल पर चार खुराक ।