बैराइटा कार्बोनिका BARYTA CARBONICA (Carbonate Of Baryta)

परिचय-

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग बचपन और बुढ़ापे के समय उत्पन्न होने वाले रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। बैराइटा कार्बोनिका औषधि बच्चों में होने वाले कंठमाला रोग को ठीक करता है। बैराइटा कार्बोनिका औषधि विशेष रूप से उन बच्चों में लाभकारी होती है जिन बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास सही से न हो रहा हो।

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग कण्डमालापरक रोग तथा नेत्राभिश्यन्द (स्क्रोफ्युलोस ओप्रथाल्मिया) आदि से ग्रस्त होने पर किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग पेट की सूजन, अकारण उत्पन्न होने वाली सर्दी-जुकाम के कारण गलतुण्डिकायें (टोन्सिलस) हमेशा सूजा हुआ रहने पर किया जाता है। बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग बुढ़ापे के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों में तथा अपजननात्मक परिवर्तन (डीजेनरेटीव चैन्ज) शुरू होने पर किया जाता है, चाहे यह परिवर्तन हृदय संबन्धी हो या बाहिकाओं संबन्धी अथवा मस्तिष्क संबन्धी सभी में लाभकारी होता है।

          पुर:स्थ ग्रन्थियां बढ़ने अथवा अण्डकोष का कठोर होना, रोगी को ठण्ड अधिक लगना, पैरों में तेज बदबूदार पसीना आना तथा रोगी में कमजोरी एवं शारीरिक थकान रहना आदि रोगों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है। जिन रोगियों को खड़ा होने तथा झुकने में कठिनाई होती है। रोगी अधिक देर तक लेटे रहता है और बिना सहारे के उठ भी नहीं सकता। रोगी को किसी दूसरे से मिलने में घबराहट महसूस होती है तो ऐसे लक्षण वाले रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देना लाभकारी होता है। नाक के पिछले छिद्र से नजला निकलना तथा बार-बार नाक से खून का आना आदि में भी यह औषधि लाभकारी है।

       नवयुवकों में होने वाले मन्दाग्नि (पांचन तंत्र का खराब होना) में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन अधिक लाभकारी होता है। ऐसे युवक जिन्हें हस्तमैथुन करने की आदत पड़ गई हो तथा वीर्यपात (सेमीनल इमेशन) होने की शिकायत रहती हो साथ ही हृदय क्षोभ (कारकीएक एरीटेबीलिटी) और धड़कन बढ़ने जैसी अवस्था बनी रहती हो तो बैराइटा कार्बोनिका का प्रयोग करने से इस तरह के रोग ठीक हो जाते हैं।

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि ग्रन्थियों की बनावट को प्रभावित करती है और सर्वांगीण अपजननात्मक परिवर्तनों विशेष रूप से धमनी की झिल्लियों, धमनी विस्फर (एन्युरीज्म) तथा बुढ़ापे में लाभकारी होता है।

शरीर के विभिन्न अंगों के लक्षणों के आधार पर बैराइटा कार्बोनिका औषधि का उपयोग :-

1. मन से सम्बंधित लक्षण :

       रोगियों की स्मरण शक्ति समाप्त होने लगती है, सोचने व समझने की शक्ति खत्म होने लगती है तथा रोगी में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। ऐसे मानसिक लक्षण वाले रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देना चाहिए।

       इसके अतिरिक्त बुढ़ापे के समय उत्पन्न होने वाली मानसिक कमजोरी। मन भ्रमित रहना। घबराना तथा अधिक लज्जाशील (बेसफुल)। दूसरों से मिलने में परेशानी। बच्चों की तरह व्यवहार करना। छोटी-छोटी बातों पर उदास रहने लगना आदि मानसिक लक्षणों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करना चाहिए। इससे मानसिक विचारों में परिवर्तन होता है और रोग ठीक होते हैं।

2. सिर से सम्बंधित लक्षण :

       अचानक सिर चकराना। अधिक गर्मी के कारण या धूप में निकलने से सिर में दर्द तेज सुई चुभन की तरह उत्पन्न होने के साथ ही दर्द सिर के आर-पार फैलता हुआ महसूस होना। मस्तिष्क में ढीलापन महसूस होना। बालों का झड़ना। भ्रमित होना तथा मांस की गांठें बनना। इस तरह के सिर रोग के लक्षणों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करने से रोग ठीक होते हैं।

3. आंखों से सम्बंधित लक्षण :

       जिन रोगी के आंखों की पुतली अधिक फैल गई हो या सिकुड़न हो गई हो तो उसे यह औषधि देने से लाभ होता है। प्रकाश भीति (फोटोफोबिया) अर्थात तेज रोशनी बर्दाश्त न कर पाना। आंखों के आगे जालीदार झिल्ली छाना तथा मोतियाबिन्दु का रोग होना। इन लक्षणों में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देना चाहिए। इससे रोग ठीक होते हैं।

4. कान :

       कान से संबन्धित रोग जैसे- ऊंचा सुनाई देना या बहरापन। आवाज खराब व कड़ा हो जाना। कान के आस-पास वाली ग्रन्थियों में दर्द और सूजन आ जाना। नाक साफ करने से कानों के अन्दर थरथराहट होना आदि में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करने से रोग ठीक होता है।

5. नाक :

       सर्दी-जुकाम होना, नाक में खुश्की होना, छींके अधिक आना, ऊपर होंठ और नाक की सूजन आदि में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करना चाहिए।

       इसके अतिरिक्त नाक के अन्दर धुंएं जैसा अनुभव होना, नाक से गाढ़े पीला बलगम निकलना, नाक से बार-बार खून आना तथा नथुनों के आस-पास पपड़ीदार फुंसियां होना आदि लक्षणों में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।

6. चेहरे :

       रोग के कारण चेहरा पीला तथा फूला हुआ रहना। चेहरे पर मकड़ी का जाला अनुभव होना तथा ऊपर के होंठ में सूजन आ जाना आदि चेहरे के रोग को दूर करने के लिए बैराइटा कार्बोनिका का सेवन करना चाहिए। इससे रोग ठीक होते है और चेहरे की चमक बनी रहती है।

7. मुंख :

       मुंह रोगग्रस्त होने पर रोगी में कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे- सोकर उठने पर मुंह सूखा होना तथा मसूड़ों से खून का आना। दांतों का अलग-अलग हो जाना आदि में बैराइटा कार्बोनिका का सेवन करने से लाभ मिलता है। मुंह जलने से मुंह में फफोलें पड़ना तथा मुंह का स्वाद खराब होना। जीभ का सुन्न पड़ जाना। नाक के अगले भाग पर टीस मारता हुआ तथा जलनयुक्त दर्द। सुबह सोकर उठने पर मुंह से लार टपकना। भोजन करने पर ग्रासनली में ऐंठन वाला दर्द होना। स्त्री के मासिक धर्म से पहले दांतों में दर्द होना। इस तरह मुंह रोगग्रस्त होने पर उत्पन्न लक्षणों में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन कराएं।

8. गले का रोग :

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग अधोहनुगन्थियां (सबमेक्सीलंरी ग्लैंडस) और गले की ग्रन्थियां की सूजन को दूर करने के लिए किया जा सकता है। यदि किसी रोगी को बराबर सर्दी-जुकाम होने के साथ चुभन व चीस मारता हुआ दर्द होता है तो उसे बैराइटा कार्बोनिका का सेवन करना चाहिए।

       सर्दी के कारण गलतुण्डिका के सूजन में पीब का भर जाना तथा गलतुण्डिका में जलन होने के साथ ही शिराओं का सूज जाना। भोजन आदि करते समय भोजन निगलने पर टीस मारता हुआ दर्द होना तथा ग्रासनली में भोजन पहुंचने पर ऐंठन सा दर्द होना जिससे घुटन जैसा महसूस होना।  तथा ग्रसनी (फैरींक्स) के अन्दर डाट लग जाने जैसा दर्द होना। अधिक बोलने से गले में दर्द होना। गलतुण्डिका, ग्रसनी या स्वरयन्त्र में डंक लगने जैसा दर्द होना। गले रोग से संबन्धित ऐसे लक्षणों वाले रोगियों को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देने से रोग ठीक होता है।

9. आमाशय रोग :

       आमाशय रोगग्रस्त होने पर रोगी को ऐसा महसूस होना मानो पेट में कोई पत्थर रखा हो, रोगी को मुंखप्रेशक (वाटरब्रस), हिचकी डकारें आने पर रोग में आराम व हल्कापन महसूस होता है आदि लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि सेवन कराना चाहिए।

       आमाशय रोग में कभी-कभी रोगी में ऐसे लक्षण उत्पन्न होते है जिसमें रोगी को भूख तो लगती है परन्तु रोगी भोजन नहीं कर पाता क्योंकि भोजन करने के तुरन्त बाद ही दर्द होने लगता है। इस तरह के आमाशय के रोग में बैराइटा कार्बोनिका का सेवन करना चाहिए। रोगी को अधजठरीय स्पर्शकतार (एपीगैस्टीक टेंडेर्नेस) होना तथा गर्म भोजन करने पर दर्द होना। बूढ़े व्यक्ति में यह रोग होने पर पाचन दुर्बलता के साथ होने वाले रोग क्रियाशील रहता है। ऐसे में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देना चाहिए।

10. पेट रोग :

       इस रोग में स्पर्शकतार कठोर और फूला हुआ। बिजली की तरह तेज दर्द होना। आंत्र योजनी ग्रन्थियां (मेसेन्टरीक ग्लैंडस) बढ़ी हुई। भोजन निगलने में परेशानी होना तथा भोजन करने के तुरन्त बाद ही तेज दर्द होना भूख लगने पर भी भोजन न करना आदि पेट रोग के लक्षणों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि लाभकारी होती है।

11. मल से सम्बंधित लक्षण :

       कभी-कभी मल सूखकर कठोर हो जाता है जिसके कारण मल त्याग करने में परेशानी होती है। मल त्याग पूर्ण रूप से न होने पर धीरे-धीरे कब्ज बनने लगता है। कब्ज के कारण पेट में गैस बनने लगती है जिसके कारण बवासीर रोग उत्पन्न होता है। बवासीर रोग में गुदाद्वार पर मस्से निकल आते हैं जो मल त्याग करते समय फूट जाता है और उससे खून निकलने लगता है। इस रोग के कारण मल त्याग करने में और अधिक परेशानी होती है। मल रोग में पेट में सुरसुराहट जैसी आवाज आती है और हल्की गुदगुदी होती रहती है। मलद्वार से रिसव होता रहता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को बैराइटा कार्बोनिका औषधि देना चाहिए।

12. मूत्र रोग से सम्बंधित लक्षण :

       मूत्र रोग के कारण पेशाब में जलन होना और पेशाब का बार-बार आने पर बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करने से लाभ होता है।

13. पुरुष रोग से सम्बंधित लक्षण :

          सम्भोग करते समय जल्दी वीर्यपात होना। नपुंसकता। सम्भोग की इच्छा न होना। पुर:स्थ ग्रन्थि का बढ़ जाना तथा अण्डकोष कठोर हो जाना आदि पुरुष रोग में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करने से नपुंसकता व अन्य रोग समाप्त होता है।

14. स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण :

       मासिक धर्म आने से पहले पेट में और कमर में दर्द होने तथा मासिक धर्म कम मात्रा में आने पर बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करें। इससे मासिक धर्म बिना किसी परेशानी के सही समय पर तथा उचित मात्रा में आता है।

15. सांस रोग :

       सूखी खांसी आने तथा घुटन सा महसूस होना। छाती में कफ का भरना। कफ को निकालने में परेशानी। मौसम परिवर्तन के कारण खांसी का बढ़ जाना। स्वरयन्त्र में ऐसी अनुभूति होना जैसे धुएं में सांस ले रहा हो। आवाज का खराब हो जाना। छाती में सुई चुभन जैसा दर्द होना तथा सांस लेने पर दर्द का बढ़ जाना। फेफड़े जैसे धुएं से भरे हुए हो। इस तरह के सांस संबन्धी रोगों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि को सेवन करने से अत्यन्त लाभ होता है। यह सांस संबन्धी रोगों को दूर करते हैं।

16. हृदय रोग :

       धड़कन और हृदय में बेचैनी वाला दर्द होना। धमनी विस्फार। हृदय की धड़कन का बढ़ जाना तथा खून के दबाव में वृद्धि होना। रक्तवाहिनियों का सिकुड़ जाना। बांई करवट लेटते ही धड़कन की गति बढ़ जाना। नाड़ी भरी हुई और कठोर तथा पैरों का पसीना रुकने से उत्पन्न होने वाले हृदय रोग। हृदय रोग से संबन्धित इन लक्षणों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।

17. पीठ रोग :

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि का प्रयोग पीठ रोग जैसे- गर्दन की ग्रन्थियां फूल जाना है और गर्दन के आस-पास वसार्बुद (फैट्टीमोरस) होना है। कंधों के बीच दर्द होना और त्रिकास्थि में अकड़न होना, मेरुदण्ड में कमजोरी आ जाना आदि लक्षणों में यह औषधि लाभकारी होती है।

18. शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित रोग :

          पैरों से पसीना आना तथा पैर हमेशा ठण्डे व चिपचिपे रहना। कक्षा की ग्रन्थियों (एक्सील्लरी ग्लैण्डस) में दर्द होना। हाथ-पैरों में सुन्नता और घुटनों से अण्डकोष तक सुन्नता का अनुभव होना तथा बैठने पर सुन्नपन समाप्त होना। पैरों की उंगुलियों और तलुवों में दर्द होना। चलते समय तलुवों में दर्द होना। निचले अंगों के जोड़ों में दर्द होना और जलन होना आदि शरीर के बाहरी लक्षणों में बैराइटा कार्बोनिका औषधि का सेवन करना चाहिए। इससे रोग ठीक होता है।

19. नींद :

       नींद में बड़बड़ाना। सोते-सोते अचानक जाग उठना। अधिक गर्मी महसूस करना तथा नींद में ही स्फुरण (टेइचिंग) होना आदि लक्षणों में  बैराइटा कार्बोनिका औषधि का करना चाहिए।

वृद्धि :

      औषधि के गुणों के बारे में सोचते समय, मुंह-हाथ धोने से तथा करवट लेने से रोग बढता है।

शमन :

       खुली हवा में टहलने से रोग में आराम मिलता है।

तुलना :

      बैराइटा कार्बोनिका औषधि की तुलना डिजिटैलिस, रेडियम, ऐरागैलस, आक्सीट्रापिस और ऐस्ट्रागैलस से किया जाता है।

पूरक :

          डल्कामारा, सिलीका और सोराइनम औषधि बैराइटा कार्बोनिका औषधि का पूरक है।

शक्तिनाशक :

       कल्के औषधि के सेवन करने से हानि होने पर उसके विष को काटने के लिए इप्सम साल्ट औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।

मात्रा :

       बैराइटा कार्बोनिका औषधि के 3 से 30 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। 30 शक्ति बार-बार उत्पन्न होने वाले गलतुण्डिकाशोथ में लाभकारी होता है। बैराइटा कार्बोनिका औषधि को रोगों पर धीरे-धीरे प्रभाव पड़ता है। अत: इसकी मात्रा को दोहराया जा सकता है।

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