होमियोपैथिक चिकित्सा
चिकित्सा प्रकरण- (रोगों का वर्गीकरण, कारण, लक्षण एवं उपचार सम्बन्धी विवरण)
1. बुढ़ापे में होमियोपैथी चिकित्सा
2. पेट सम्बन्धी रोग तथा उपचार
3. मुख, गले, नाक, कान, दाँत, आँखों तथा सिर के रोग
बुढ़ापे में वरदान होमियोपैथिक चिकित्सा होमियोपैथिक चिकित्सा वृद्धवस्था में तो वरदान के समान है। बुढ़ापे में तमाम प्रकार की समस्यायें आने लगती है जैसे पाचन शक्ति का अभाव, शारीरिक अंगों में शिथिलता, आँखों की समस्या प्रोस्टेट की समस्या आदि। होमियोपैथिक चिकित्सा से इनका भलीभाँति निराकरण संभव हो सकता है। वृद्धावस्था में तमाम समस्याएँ जैसे शारीरिक समस्यायें, मानसिक समस्यायें अपने को शिथिल और बूढ़ा अनुभव करने लगना, अपने को अकेला अनुभव करना, बाल-बच्चों में एकात्मता का अनुभव न करना आदि। बढ़ती आयु में मानसिक शक्तियों का भी ह्रास होने लगता है। धमनी काठिन्य (आटीरियो स्क्लेरोसिस) भी बुढ़ापे की प्रमुख समस्या होती है। इन सबका निराकरण होमियोपैथिक दवाओं के माध्यम से भलीभाँति किया जा सकता है। वृद्धावस्था में कमजोरी की समस्या प्रमुख है। इसके लिए निम्न होमियोपैथिक दवाओं की अनुशंसा की जाती है।
1.AVENA SETIVA यह दवा जई का मदर टिचर है इससे स्नायुमण्डल सशक्त होता है तथा मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है। नींद का न आना भी प्रमुख समस्या होती है। अतः इन सबके लिए 3-4 बार 10-12 बूँद दवा लेने से बहुत लाभ होगा।
2. चायना 3X तथा फेरम फास 3x- इन दोनों को या तो अलग-अलग अथवा मिलाकर लेना चाहिए। इससे कमजोरी दूर होने में सहायता मिलेगी।
3. कोका मदर टिंचर 2 या 3 शक्ति हृदय की धड़कन तथा शारीरिक या मानसिक थकावट दूर करने की उत्तम दवा है।
4. अलफालफा टॉनिक- यह होमियोपैथिक का प्रमुख टॉनिक है। बुढ़ापे में इसे लेना बड़ा ही लाभप्रद होता है।
5. थियोसिनेमाइन 2X – यह शरीर में कड़ापन को दूर करती है। यह बुढ़ापा को आने से रोकती है। यह पाउडर के रूप में आती हैं। दो ग्रेन दिन में दो बार दें।
6. आर्निका 30- यदि शरीर थका-थका रहता हो तो इसे देना चाहिए। एक बार में 4-5 गोलियाँ लें तथा इसे दिन में 3-4 बार लेना चाहिए।
7. आरममेट 30 यह धमनी काठिन्य की लाभप्रद दवा है। इसे पहले एक या दो मात्रा में देकर देखना चाहिए। यदि अनुकूल हो तो आगे देना उपयुक्त होगा अन्थया नहीं, क्योंकि यह गम्भीर क्रिया करने वाली दवा है। इसे 200 शक्ति में भी ले सकते हैं।
8. वैराइटा म्यूर 6X – यह भी धमनी काठिन्य की तथा ब्लड प्रेशर की प्रमुख औषधि है। इसे 6X शक्ति का देना ठीक होता है।
9. VERATRUM VIRIDE 6X तथा क्रेटेगर बरेट्रम वीर 6X तथा क्रेटेगस का मदर टिंचर 10 बूँद दिन में देने से डायस्टोलिक तथा सिस्टोलिक दोनों प्रकार के प्रेशर नीचे आ जाते हैं।
10. त्वचा के रोगों में ग्रेफाइटिस 200 लेने से त्वचा के रोगों में लाभ होता है। खुश्क एग्जिमा में रस टाक्स 200 विशेष उपयोगी होता है। II. सीपिया 30- 200 त्वचा पर भूरे धब्बे पड़ जाने पर उपयोगी है। 12. क्रोटन टिग 30, 200 अण्डकोशा की खुजली के लिए बहुत उपयोगी दवा है।
13. शरीर पर सफेद दाग (Leucoderma) में आर्सेनिक सल्फ रूम 3 विचूर्ण को दिन में 2 ग्रेन मात्रा लेने से रोग में बहुत लाभ होता है।
14. गठिया (सन्धिवात Gout) सन्धिवात (Rheumatism) बुढापे की प्रमुख समस्या है। इसकी मुख्य औषधि अटिका यूरेन्स (मदर टिचर) हैं। दिन में 15 बार इसके चंद गर्म पानी के साथ पीने से यूरिक एसिड बाहर निकलने लगता है और रोग में बहुत लाभ होता है।
15. एमेटिम्स- जोड़ों में दर्द की प्रभावकारी की शक्ति की औषधियों में रस-टॉक्स 200 शक्ति की 4-5 गोलियाँ एक बार ले सकते हैं। 16. पीठ के दर्द में यूपैटोरियम 1X की 4-5 बूँदें दिन में 4-5 बार ले सकते हैं।
17. कन्धे के दर्द में सिफिलीनम् 1X- सिर्फ एक मात्रा की 4 गोलियाँ लेकर देखें। दायें कन्धे के दर्द में सेंग्यूनेरिया 6 तथा बायें कन्धे के दर्द में स्पाइजेलिया 30 फायदेमन्द दवायें हैं।
18. प्रोस्टेट ग्रन्थि में सैवल सेरुलेटा के मदर टिचर की 5 बूँद दिन में पानी से 3-4 बार लें।
19. नक्स वोमिका 30- बुढ़ापे में पेट के रोगों की प्रमुख दवा है। इसकी 30 शक्ति की एक मात्रा शाम को सोने से दो-तीन घंटा पहले लेना चाहिए।
20. लाइकोपोडियम 3- पेट के ऊपरी हिस्से में गैस हो तो कार्बो, सारे पेट में गैस घूमती हो तो चायना, आँतों में गैस की शिकायत हो तो लाइको उपयोगी दवा है।
21. पल्साटिला 30 से गरिष्ठ भोजन के बाद के कष्ट दूर हो जाते हैं।
22. बुढ़ापे में जिगर रोग- चेलीडोनियम मदर टिंचर जिगर रोग की प्रमुख औषधि है। टिंचर की 10 बूँद दिन में दो बार गुनगुने चम्मच पानी में 2-3 बार दें। यह पित्त की पथरी को भी निकाल देती है।
23 ब्रायोनिया 30 जब पेट के दायें भाग में सुई बेधने का सा दर्द हो तथा चलने-फिरने में दायीं तरफ का दर्द हो, दायीं तरफ लेटने से आराम हो तब यह दवा विशेष उपयोगी होती है। यह मुख्य तौर पर पेट और जिगर की दवा मानी जाती है।
23. नक्स वोमिका 30 200 शराब पीने या मसालेदार भोजन से जिगर का रोग होने पर उपयोगी। लाइकोपोडियम 30-200, आर्सेनिक एलवम 30. सल्फर 30 आदि दवायें इस रोग में उपयोगी होती है।
24. बुढ़ापे में प्रायः कब्ज बना रहता है। इसके लिए नक्स वोमिका 30. हाइक्रैस्टिस मदर टिंचर एनाकार्डियम 30. एलूमीना 30 व्रायोनिया 30. साइलेशिया-30. नैटूम मून 30 प्रमुख दवायें हैं। बवासीर में हैमेमेलिस टिंचर 6 शक्ति प्रमुख दवा है।
25. बुढ़ापे में बालों का झड़ना थूजा मदर टिचर 30. एक प्याला पानी में इसके 10-15 बूँद डालकर बालों की जड़ों में मलें।
बुढ़ापे में आँखों की समस्या
बुढ़ापे में मोतियाबिन्द प्रमुख बीमारी है। सिनेटोरिया मैस्टिीमा काक्कस मटर टिंचर मोतियाबिन्द रोकने की प्रमुख दवा है। कैटेलाइन (Kataline) भी मोतियाबिन्द के लिए उपयोगी है, यद्यपि यह होमियोपैथिक औषधि नहीं है।
बुढ़ापे में प्रोस्टेट की समस्या होमियोपैथिक औषधियों में सैबल सैरूलेटा मदर टिंचर की 5-9 बूँद गरम पानी में दिन में 3 बार लेना चाहिए। पेरीरा ब्रेवा 4X भी पेशाब एकदम रूक जाने पर या प्रोस्टेट दर्द में दी जानी चाहिए। फेरम पिक्रेटम 3X की प्रोस्टेट बढ़ जाने पर अत्युत्तम औषधि मानी गयी है। प्रूनस स्पाइवोजा 6 प्रोस्टेट शिकायत में लाभदायी है।
बुढ़ापे में डायबिटीज की समस्या नैटम सल्फ 6X बायो कैमिस्ट्री इस रोग की प्रमुख दवा है। दवा की 4-5 टिकिया 3-4 बार लें। फॉस्फोरिक एसिड 1X मधुमेह तथा मूत्र में दोनों में लाभप्रद होता है।
इस प्रकार बुढ़ापे में स्वस्थ रखने के लिए होमियोपैथिक दवाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। प्रायः बूढ़े लोगों को अगर इन दवाओं की जानकारी दे दी जाये तो वे अपने को स्वस्थ रखने में सफल हो सकते हैं और वृद्धावस्था में भी स्वस्थ और सुखी जीवन जीने में सफल हो सकते हैं। अत: होमियोपैथिक दवायें उनके लिए वरदान स्वरूप ही है।
अन्य विभिन्न रोगों में सहायक होमियोपैथी दवायें
1. पसीना आना
(a) पसीना अगर बहुत अधिक आता हो तो काली कार्ब 30 प्रति चार घंटे पर देना चाहिए।
(b) पसीना अगर ज्यादा दुर्गन्ध भरा हो तो नाइट्रिक एसिड प्रति चार घंटे पर
2. रंग रूप
सौन्दर्य को बढ़ाने में आयोडियम 1000 पन्द्रह दिन के अन्तराल पर दो खुराक दें। कीले मुहाँसे के लिए सोरीनम M की दो बूँद हफ्ते में एक बार लें।
3. थकान
(a) यदि शारीरिक रूप से थके हो तो आर्निका 2001
(b) मानसिक थकान में एनाकार्डियम 30-2001
(c) सामान्य शारीरिक थकान में जिन्सेन (OT
4. एड़ी का दर्द (Heal pain) आर्निका 200, रूटा 30, थूजा 2001
5. वृद्धावस्था के कम्पन में जिकम् लोलियम टेम्युलेटम |
6. शल्यक्रिया (Operation) में होमियोपैथी
(a) आप्रेशन के पहले फॉस्फोरस भय को समाप्त कर देता है। फॉस्फोरस 200 की एक खुराक ।
(b) आप्रेशन के दौरान रक्तस्राव के नियन्त्रण हेतु हेमामालिस 30 तथा केलेडुला 30 दें।
7. जल जाना (Burning) कैथारिस 30 प्रति आधे घंटे में लें।
8. अनिद्रा
(a) काफिया 200 स्नायविक उत्तेजना के कारण औषधि लेने पर नींद न आना। (b) बेलडोना 30 निद्रा आती लगती है तो फिर भी नींद नहीं आती।
(c) इग्नेशिया 200, IM पेट खराबी से अनिद्रा, काफी ज्यादा पीना।
(d) कैलकेरिया कार्ब 200 अधिक विचारों के कारण (c) एकोनाइट नेपल्स 200- बूढ़े लोगों की अनिद्रा हेतु । अनिद्रा
(1) लेकेसिस 200 रोगों के कारण अनिद्रा
(g) नींद में बातें करना वेराइटा कार्ब 200, कोमोमिला सल्फर 200,
ब्रायोनिया एल्वा 30 (h) फॉस्फोरस 30 की केवल 3 मात्रा 5 मिनट के अन्तर से लें और दूसरे दिन से पैसीफ्लोरा क्यू की 20 बूँद सोने से पहले लें, अनिद्रा की समस्या हल करने में बड़ी सहायता मिलेगी।
(i) नक्सवोमिका पहले 30 शक्ति की तत्पश्चात् 200 शक्ति में सेवन करें। सल्फर 30 एवं 200 शक्ति की कुछ खुराक लेना इस समस्या में बहुत सहायक सिद्ध होगा।
9. गाड़ी चलाने में उल्टी
(a) कोकुलस इण्डिका 30- बस या गाड़ी में सफर करने में अगर मितली आती हो तो इसे यात्रा के पहले लेना चाहिए।
(b) बोरेक्स 30- यदि हवाई जहाज में बैठने में भय लगता हो।
10. लू लगना
नेट्रम कार्ब, लेकेसिस, नेटमम्यूर इसके लिए उपयोगी दवायें हैं। बेलाडोना 30. ग्लोनाइन 6 तथा एकोनाइट का भी प्रयोग कर सकते हैं।
11. लतों से छुटकारा
(a) तम्बाकू सेवन की लत- कैलेडियम 30 शक्ति की 10 गोलियों की एक-एक खुराक दिन में 3 बार चूसे। (b) सिगरेट पीना- इस लत से छुटकारा पाने हेतु टेबेकम 200 की 10
गोली प्रातः और 10 गोली रात में लें। (c) शराब की लत नक्सवामिका 200 शक्ति की 10 गोली मुख में रखकर चुसे। इसके अलावा इसमें सल्फर 200 शक्ति भी उपयोगी है।
12. चेहरे पर झुर्रियाँ
कैली एनाकार्डियम 30 लाइकोपोडियम 30 समो फास 6X, चक्रिक से दिन में 3 बार दें।
13. शीघ्रपतन की समस्या
सल्फर 200 की 4-5 बूँद खाली पेट दिन में एक बार तथा नक्स वोमिका की 4-5 बूँदें सोते समय लें। इस मामले में एसिडफास 30 एवं कैलेजियम भी उपयोगी है।
14. लिंगोत्थान में कमी
लाइको 200 की 4 बूँद हफ्ते में 3 बार तथा डमियाना क्यू की 10 बूँद प्रातः सायं लें।
15. पैरों में सूजन
हाइपर सल्फा (Heaper Sulfa) बहुत प्रभावी दवा है। नोट- पुराने रोगों के शुरू में तथा नये रोगों के अन्त में सल्फर देना चाहिए।
16. विवाई फटना एगारिस 60, आर्सेनिक 30, सल्फर 30