फाइटोलक्का डिकेण्ड्र 

परिचय :-

       फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। मुंह के अन्दर का ऊपरी जबड़ा लाल होकर फूल जाना अर्थात तालु का लाल होकर फूल जाना, तालु में सफेद दाग जगह-जगह बन जाना, तेज दर्द होने के साथ दर्द धीरे-धीरे बढ़कर कान, सिर, पीठ तथा शरीर के सभी अंगों तक पहुचने के साथ कुचलन जैसा दर्द महसूस होना तथा हिलने-डुलने की तीव्र इच्छा करना तथा हिलने-डुलने पर दर्द का बढ़ जाना आदि रोगी में उत्पन्न होने वाले लक्षणों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न होने वाले लक्ष्णों के आधार पर फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का उपयोग-

दांतों से संबन्धित लक्षण :- बच्चे में दांत निकलते समय दांत या मसूढ़ों में मिसलने होने के साथ दांत काटने या दांतों किटकिटाने की इच्छा होना आदि लक्षण उत्पन्न होने पर बच्चे को फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का सेवन कराने से दांत काटने व दांत किटकिटाने की आदत छूटती है और दांत आसानी से निकल आते हैं। इस औषधि के प्रयोग से दांत निकलते समय उत्पन्न होने वाली सभी बीमारियों को ठीक करती है।

       बच्चों में होने वाली विसूचिका (हैजा) रोग के कारण बच्चे को भूरे रंग का दस्त बार-बार आने के साथ दस्त में आंव (सफेद रंग का पदार्थ) आना तथा विसूचिका में उत्पन्न कुछ अन्य लक्षण जैसे- कोई भी चीज मुंह में देने से उसे काटने लगना, मसूढ़ों में मिसलन होने के साथ अपने मसूढ़ों व दांतों को चबाने की कोशिश करना आदि। इस तरह बच्चे में उत्पन्न विसूचिका (हैजा) के साथ अन्य लक्षणों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का सेवन कराए। इससे विसूचिका के सभी लक्षण समाप्त होते हैं।

स्तन रोग से संबन्धित लक्षण :- स्तन का फूलकर कठोर होना तथा स्तनों का गर्म हो जाने के साथ उसमें दर्द होना। बच्चे को दूध पिलाते समय स्तनों का दर्द फैलकर पीठ तक पहुंच जाना आदि स्तनों रोग के लक्षणों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

       प्रसव के बाद पहली बार स्त्री के स्तनों में दूध उतरने पर स्त्री में दुग्ध ज्वर के कारण स्तन फूलने का विकार उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में स्त्री को फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का सेवन करना चाहिए।

       यह औषधि स्तन में मवाद बनने, घाव बनने तथा मुंख खुले रह जाने के कारण जलन युक्त घाव बन जाने के साथ घाव से बदबूदार स्राव होना आदि स्तन रोग के लक्षणों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग लाभकारी है।

       स्तन के फोड़े तथा स्तन में पड़ने वाली गांठों को समाप्त करने के लिए फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

गले से संबन्धित लक्षण :-

  • गले में जलन होना, तालु का फूलकर लाल होना, लाली के बाद जगह-जगह सफेद धब्बे उत्पन्न होना, तेज दर्द होने के साथ दर्द कानों तक फैल जाना आदि गले के रोगों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि प्रयोग लाभकारी होता है।
  • यह औषधि गलगण्ड (गले की गांठ) को समाप्त करने में लाभकारी होता है। अधिक बोलने के कारण यदि गले में जलन महसूस हो तो रोगी को फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि के उच्च शक्ति का सेवन कराए। इससे गले की जलन आदि दूर होती है।

सिर से संबन्धित लक्षण :- सिर और पीठ में तेज दर्द होने के साथ पूरे शरीर में कुचलन जैसा दर्द महसूस होना, हिलने-डुलने की इच्छा करने के बाद भी हिल-डुल न सकना, हिलने-डुलने से दर्द का बढ़ जाना, रोगी के अन्दर सुस्ती पैदा होना, रोगी को सीधा बैठने से सिर चकराने लगना तथा थकान महसूस होना आदि रोगों में उत्पन्न ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

बुखार से संबन्धित लक्षण :- तेज बुखार के कारण नाड़ी की गति तेज हो जाना तथा गर्मी मुख्य रूप से चेहरे तथा माथे पर महसूस होना आदि में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। इस औषधि के मूलार्क के 20 बूंदें बुखार में देने से बुखार जल्दी समाप्त होता है।

अन्य रोगों में उत्पन्न लक्षण :- यदि रोगी को साइटिका रोग हो और रोगी के कूल्हो में कुचलन जैसा दर्द महसूस हो रहा हो तो रोगी को फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का सेवन कराए।

       यह औषधि अस्थि-वेस्ट के वात रोग जिसमें दर्द सर्दी के मौसम में खासतौर से बढ़ जाता है ऐसे लक्षणों में फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि हडडियों, शरीर के त्वचा और अस्थि वेष्ट की ग्रन्थियों पर लाभकारी प्रभाव डालती है।

विशेष :- कभी-कभी कुछ विशेष लक्षणों के कारण फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि के स्थान पर अन्य औषधि का भी प्रयोग किया जा सकता है।

फलैण्ड्रियम- दूध पिलाने के दौरान दुग्धवाही नली में दर्द होने पर फाइटोलक्का डिकेण्ड्रा औषधि के स्थान पर फलैण्ड्रियम का प्रयोग किया जा सकता है।

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