पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा (Passiflora Incarnata)

परिचय-
पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि बेहोशी को दूर करने वाली लाभदायक औषधि है। काली-खांसी को भी यह औषधि ठीक कर देता है। इसकी क्रिया स्नायु केन्द्र पर होती है जिसके फलस्वरूप यह कई प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं, जो इस प्रकार हैं- बेहोश होना, धनुष के आकार की तरह शरीर का अकड़ना, प्रसव के बाद बेहोश होना, पेट में कीड़ें होने के कारण बुखार होना, ठण्ड लगकर बेहोशी होना, बच्चे को दांत निकलते समय में होने वाले रोग और बेहोशी, हैजा, बेचैनी तथा ऐंठन आदि।
अधिक परेशान करने वाले दमा रोग को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना चाहिए लेकिन इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की मूलार्क की दस से पन्द्रह बूंद पन्द्रह मिनट के अन्दर से कई मात्रा में शीघ्र ही रोगी आरोग्य हो जाता है।
पेट फूलना, सिर में तेज दर्द होना, आंखों में दर्द होना तथा खट्टी डकारें आना आदि लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
बच्चों और वृद्धों को नींद न आने वाली बीमारी को दूर करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
विभिन्न लक्षणों में पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का उपयोग-
सिर से सम्बन्धित लक्षण:- सिर में तेज दर्द होता है और ऐसा महसूस होता है कि सिर का ऊपरी भाग उड़ जाएगा और आंखें बाहर की ओर धकेल दी गई हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- पेट फूलने लगता है और खट्टी डकारें आती हैं, आमाशय शीशा जैसा भारी महसूस होता है और खाना खाने के बाद ऐसा अधिक महसूस होता है। बच्चों के स्नायु में उत्तेजना अधिक होती है और मांसपेशियों में अकड़न होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बेचैनी अधिक होती है और इसके कारण शरीर में थकावट अधिक होती है, ऐसा कमजोर व्यक्ति को अधिक महसूस होता है, बच्चों और वृद्धों में इस प्रकार के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं, इसके साथ ही रोगी को अनिद्रा (नींद न आना) भी हो जाता है। रात के समय में खांसी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को बेहोशीपन महसूस होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि उपयोग लाभदायक है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण:- शरीर के कई अंगों में रोग पैदा करने वाले लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं, सारा शरीर कमान की तरह अकड़ जाता है, पेट में वायु बनने लगती है, इस प्रकार के लक्षण होने के साथ ही बेहोशी की समस्या भी होने लगती है, शरीर में थकान भी महसूस होती है, बच्चों को ठीक प्रकार से नींद नहीं आती है, अतिसार भी हो जाता है जिसके साथ ही पेट में दर्द भी होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- दमा रोग हो जाता है जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है, कुकुर खांसी हो जाती हैं, रात के समय में अधिक खांसी होती है, नाड़ियों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
मानसिक परेशानियां होने के समय में, अधिक परिश्रम करने के समय में, पूरी तरह थक जाने से, मानसिक उत्तेजना अधिक होने से, भोजन के बाद तथा नाड़ियों में दोष उत्पन्न होने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
चुप रहने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
बेल, कैमो, ड्रासेरा, फेरम-फा, हायपेरिकम, इग्न, काली-का, लैके, मर्क, नक्स-वो, ओपि, पल्स, सल्फ, वेरेटम, जिंक तथा एको औषधियों के कुछ गुणों की तुलना पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज) :-
पैसीफ्लोरा इन्कार्नैटा औषधि की मूलार्क की बड़ी मात्राओं का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। इसकी 30 से 60 बूंदों का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए कई बार करना चाहिए।

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