➺ डिप्लोपिया (एक वस्तु के दो प्रतिबिंब दिखाई देना) – STRAMONIUM 30
➺ मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद परेशानी–RHUS TOXICODENDRON.-30 दिन में तीन बार ।
➺ आँखों में चोट लगने से आँख काली होना LEDUM PALUSTRE-30 दिन में दो बार ।
➺ कोयले के धुएँ से कष्ट-OPIUM 30 दिन में दो बार
➺ ब्लेफेरिटिस (पलकों की सूजन), पलकों के किनारों में दर्द, सोने के बाद पलकों का चिपकना – BORAX-3 दिन में तीन बार ।
➺ दृष्टि तंत्रिका की क्षीणता के कारण अंधापन-TABACUM-30 दिन में दो बार ।
➺ प्रसव के समय महिलाओं में दृष्टिहीनता- CUPRUM METALLICUM 6 दिन में तीन बार (ठीक होने तक) ।
➺ पैरों का स्वेदन रुकने के कारण दृष्टिहीनता-SILICEA -30 दिन में दो बार।
➺ दिन में दृष्टिहीनता, आँखों के आगे धुंध, आँखों के वॉल्व में दबाव तथा टीस – Ranunculus Bulbosus – 30 दिन में दो बार.
➺ आँखों के चारों ओर नीले घेरे- PHOSPHORUS – 200 दो सप्ताह में एक बार ।
➺ मोतियाबिंद (कैप्सुलर) – COLCHICUM AUTUMNALE-30 दिन में तीन बार ।
➺ मोतियाबिंद (कैप्सुलर), आँखों के आगे चिंगारियाँ तथा दृष्टिभ्रम Ammonium Muriaticum-30 दिन में तीन बार
➺ मोतियाबिंद (त्वचा संबंधी), क्षीण दृष्टि- SULPHUR 1M की एक खुराक, उसके बाद CALCAREA CARBONICA 200 की एक खुराक रोज ।
➺ मोतियाबिंद (लोशन) – EUPHRASIA OFFICINALIS-Q एक आउंस डिस्टिल्ड वाटर में दस बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ मोतियाबिंद (लोशन) – JABORANDI-Q पाँच भाग डिस्टिल्ड वाटर में एक भाग, यह दूरदृष्टि दोष को भी ठीक करती है (यह ध्यान रखें कि होम्योपैथी दवा का प्रभाव मधुमेह-जनित मोतियाबिंद में कम होता है, हालाँकि यह मोतियाबिंद की आरंभिक अवस्था में अत्यंत लाभदायक होती है)। मोतियाबिंद,
➺ गठिया रोग में CALCAREA FLUORICA 200 की एक खुराक रोज।
➺ मोतियाबिंद (प्रारंभिक), आँखों के आगे जाली, धुंध या बादलों का आभास होना-CAUSTICUM-200 की सप्ताह में एक खुराक ।
➺ मोतियाबिंद, देखने में जोर लगाने पर आँखों के आगे धुँधलापन CALCAREA FLUORICA 30 दिन में दो बार
➺ मोतियाबिंद, पारदर्शी लेंस की अपारदर्शिता के कारण NATRIUM MURIATICUM 30 दिन में तीन बार
➺ मोतियाबिंद, सबकुछ धुंध की चादर या धूल से ढका जैसा दिखता है, रोगी रोशनी की ओर नहीं देख सकता, परंतु अपने हाथों से आँखों पर छाया करके बेहतर देख सकता है-PHOSPHORUS 6 दिन में तीन बार ।
➺ मोतियाबिंद-BARYTA CARBONICA -30 दिन में तीन बार ।
➺ मोतियाबिंद, टीकाकरण तथा पैरों का पसीना दबने के दुष्प्रभावों से . गुजरनेवाले, ऑफिस में काम करनेवाले लोगों में SILICEA 200 की एक खुराक रोज ।
➺ मोतियाबिंद, उन वृद्धों में, जो अधिक मीठा खाते हैं, परंतु मधुमेह से पीड़ित नहीं हैं – SACCHARUM OFFICINALE-30 दिन में तीन बार लें।
➺ को मलने की आवश्यकता, मानो उसपर दबाव हो- CALCAREA FLUORICA 12X, दिन में तीन बार तीन माह तक अच्छा।
➺ मोतियाबिंद, सिकुड़ी त्वचावाली दुबली-पतली वृद्ध महिलाओं में, जो अच्छे से खाने-पीने के बावजूद दुर्बल होती हैं- Secale cornutum-30 दिन में तीन बार ।
➺ मोतियाबिंद – SULPHUR 200 तथा BARYTA CARBONICA 200 दोनों को सप्ताह में एक बार बदल-बदलकर लें तथा CALCAREA FLUORICA 12X एक बार में चार टेबलेट, दिन में एक बार लें।
➺ मोतियाबिंद, लेंस के अग्रवर्ती भाग पर सफेद जमाव – TELLURIUM METALLICUM 6 दिन में तीन बार ।
➺ आँखों की ऊपरी पलकों पर एक के बाद एक ट्यूमर, जो सख्त गाँठें छोड़कर जाता है – Staphysagria-30 दिन में तीन बार ।
➺ सहवास के बादआँखों में कमजोरी, नपुंसकता, कंपन तथा बेचैनी होना – KALIUM CARBONICUM 30 सप्ताह में एक खुराक ।
➺ नेत्र रोग, आँखें अधिक थकने के कारण, मंद रोशनी में अधिक काम के कारण, रात में अधिक पढ़ाई-सिलाई करने, घड़ी की मरम्मत करने आदि के कारण, आँखों में जलन RUTA GRAVEOLENS 6 दिन में तीन बार
➺ नेत्र रोग, आँखों में हर समय पानी आना तथा सुबह पलकों का चिपकना, पलकों का किनारा सूजा हुआ तथा उसमें जलन EUPHRASIA OFFICINALIS 6 दिन में तीन बार ।
➺ आँखों के आस-पास नीले या काले घेरे SEPIA या Staphysagria-30 दिन में दो बार या CINA पानी में दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ नेत्र संकुलता – RUTA GRAVEOLENS-6 दिन में तीन बार
➺ नेत्र कॉर्निया ज्वलन, आँखों में अल्सर, आँखों के आस-पास और गोलकों में खुजली तथा पीड़ा, रोगी प्रकाश सहन नहीं कर सकता, दृष्टि में कमी-AURUM METALLICUM 200 की दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ नेत्र रोग, रेटिना का अलगाव, रेटिना में रक्ताघात तथा मस्कुलर एथेनोपिया – PHOSPHORUS-30 की एक खुराक प्रतिदिन लें।
➺ आँखों में किसी वस्तु की छवि देर तक रहना – TUBERCULINUM 200 की
➺ आँखों में खुजली – COCCULUS INDICUS 6 दिन में दो बार ।
➺ आँखों में दर्द-BELLADONNA 6 दिन में तीन बार रोजाना एक खुराक ।
➺ आँखों से मवाद तथा गरम पानीदार पदार्थ निकलना – EUPHRASIA OFFICINALIS-30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों में पीड़ा, ऑपरेशन के बाद – HYPERICUM PERFORATUM 30 दिन में दो बार
➺ दूरदृष्टि दोष-PHYSOSTIGMA VENENOSUM 30 दिन में दो बार ।
➺ निचली पलक का नेत्र संकुचन तथा पक्षाघात के कारण कमजोरी RUTA GRAVEOLENS-6 दिन में तीन बार ।
➺ आँखों पर जोर, सिरदर्द – RUTA GRAVEOLENS-30 की एक खुराक रोजाना ।
➺ आँखों की सूजन, गरम पानीदार द्रव का स्त्राव – RHUS TOXICODENDRON. -30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों की समस्या, रोगी ठंडे पानी से आँखों को धोना और ठंडा पानी पीना चाहता है – AURUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार
➺ आँखों की समस्या, एक वस्तु के दो प्रतिबिंब दिखना, दृष्टि कमजोर होना, आँखों का झपकना, चमकती हुई वस्तुएँ काली दिखती हैं, सिरदर्द या पेट की कमजोरी – Cyclamen Europaeum-30 दिन में तीन बार
➺ आँखों की समस्या, कॉर्निया पर चिपचिपा बलगम जमा होने की प्रवृत्ति, जो आँखों के झपकाने से हटाया जाता है – EUPHRASIA OFFICINALIS -30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों की ऊपरी पलकों का गिरना, फोटोफोपिया के साथ, नेत्रों की मांसपेशियों का संकुचन, पुतलियों का सिकुड़ना-PLUMBUM METALLICUM 6 X दिन में तीन बार ।
➺ आँखों के अंदर तथा ऊपर दर्द-RUTA GRAVEOLENS-6 दिन में तीन बार ।
➺ आँखों के आगे काला धब्बा-सा तैरता प्रतीत होना- PHOSPHORUS – 6 दिन में दो बार ।
➺ आँखों में भारीपन तथा झाग सा एहसास – CONIUM MACULATUM 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ स्ट्रेबिसमस, एंब्लायोपिया तथा धुंधली दृष्टि RUTA GRAVEOLENS-6 दिन में तीन बार
➺ चिपचिपी पलकें, एक-दूसरे से चिपकती हैं या अंदर की ओर मुड़ जाती हैं – BORAX VENETA- 30 दिन में दो बार ।
➺ भारी पलकें, आँखें खुली नहीं रख सकते-GELSEMIUM-30 दिन में दो बार।
➺ पलकों का गिरना-CONIUM MACULATUM-30 हर छह घंटे पर।
➺ पलकें हड्डी की तरह सख्त हो जाती हैं- ARGENTUM METALLICUM-30 दिन में तीन बार
➺ पलकों पर एक के बाद एक गुहैरी, गाँठें, चेलाजियन, कभी कभी फोड़ा – Staphysagria-30 दिन में दो बार
➺ आँखों के ऑपरेशन के बाद ACONITUM NAPELLUS- 1M पंद्रह मिनट के अंतराल पर तीन खुराक ।
➺ आँखों के आस-पास नीलाभ घेरे-CADMIUM SULPHURATUM-30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों के आगे कालापन या घूमता हुआ काला बिंदु, आँखों के आगे से शब्दों के खिसकने के कारण पढ़ नहीं सकते – AGARICUS MUSCARIUS एम-30 दिन में तीन बार
➺ आधा दायाँ हिस्सा न दिखना – LYCOPODIUM-30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों में लालिमा, चिपकना, रोहा (ट्रेकोमा), फुल्ली आदि – ARGENTUM NITRICUM 30 दिन में दो बार या 200 रोजाना एक खुराक ।
➺ आँखों में लालिमा, आँखों की गतिविधि पर उनमें पीड़ा SALIX NIGRA-30 दिन में दो बार ।
➺ आँखों में लालिमा, खून उतरना, पुतलियों का पहले सिकुड़ना, फिर अधिक विस्फारित होना- BELLADONNA-6 दिन में तीन बार । ऊपरी पलक में सूजन-KALIUM CARBONICUM-200 की एक खुराक ।
➺ आँखों पर जोर पड़ना, सिलाई, पढ़ाई या पेंटिंग आदि के कारण MANGANUM ACETICU-30 दिन में तीन बार ।
➺ बाईं आँख में ग्लूकोमा, आँखों की पुतली में असहनीय दबाव, पूरे शरीर . को मोड़े बिना आँख नहीं घुमा सकते – SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार ।
➺ ग्लूकोमा, वेसो-मोटर गड़बड़ी या एलर्जी के कारण – THYROIDINUM-30 दिन में तीन बार
➺ कॉर्निया की अपारदर्शिता, रात्रि अंधता- CADMIUM SULPHURATUM-30 दिन में तीन बार ।
➺ अपारदर्शिता, आँखों के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण – AGARICUS MUSCARIUS 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ आँखों का धुंधलापन-FUCUS VESICULOSUS-Q की पाँच बूँदें, दिन में दो बार
➺ ऑपरेशन के जख्मों को भरने के लिए Staphysagria-30 दिन में तीन बार।
➺ मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद SENEGA-30 दिन में तीन बार, दस दिनों तक ।
➺ नेत्र रोग, पलकों में सूजन, सोते समय आपस में चिपक जाना, रात में दो से पाँच बजे तक तेज दर्द, अधिक मात्रा में पस निकलना, ठंडे पानी से धोने पर राहत- SYPHILINUM 200 दो सप्ताह में एक बार।
➺ नेत्र रोग, धुंधला कॉर्निया, फोटोफोबिया, आँखों के आस-पास की ग्रंथियाँ पीड़ायुक्त और सूजी हुई-BARYTA CARBONICA 30 दिन में दो बार .
➺ नेत्र विकार, कॉर्निया में घाव, पलकों की स्थायी सूजन, कंजेक्टिवाइटिस और लाल आँखें – MERCURIUS DULCIS X हर छह घंटे पर।
➺ बाईं आँख के ऊपर दर्द, धूप में चलने से परेशानी बढ़ती है – SELENIUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार ।
➺ दाईं आँख के ऊपर तेज दर्द चलने-फिरने पर राहत Ranunculus Bulbosus 6 दिन में तीन बार ।
➺ दर्द आँख से विभिन्न दिशाओं में जाना— Berberis Vulgaris-Q दो या तीन बूँदें, दिन में तीन बार ।
➺ भेंगापन, दमित दस्त और मस्तिष्क के संकुचन के कारण PODOPHYLLINUM-200 दिन में दो बार
➺ भेंगापन, पेट के कीड़ों से- CINA 200 की एक खुराक रोजाना।
➺ सहवास के बाद क्षीण दृष्टि- काली PHOSPHORUS-30 दिन में तीन बार
➺ दृष्टि में कमजोरी, आँखों, सिर के पिछले भाग और गरदन में दर्द – ASARUM EUROPAEUM 6 दिन में दो बार
➺ दृष्टिहीनता, आँखों में दर्द, एल्बुमिनेरिया या ब्राइट्स रोग–KALMIA LATIFOLIA – 6 हर छह घंटे पर ।
➺ कंजेस्टिव एपोप्लेक्सी, सिर गरम, आँखें रक्तिम, ठीक से बोलने में असमर्थ, गरदन कड़ी तथा सख्त-VERATRUM VIRIDE 3 दिन में चार बार
➺ कंजेक्टिवाइटिस (जुकाम संबंधी), गरम सिंकाई से स्थिति बदतर तथा ठंडी सिंकाई से स्थिति में सुधार – PULSATILLA 200 की एक खुराक रोजाना।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, (जुकाम संबंधी), चुभन, शुष्कता या स्राव, खुरदरी पलकें – ALUMINA 30 दिन में तीन बार
➺ कंजेक्टिवाइटिस, लाल आँखें- ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में दो बार।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, बदहज्मी के साथ, गरम कमरे में अधिक खराब अवस्था – PULSATILLA 200 दिन में दो बार ।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, सर्दी से गरमी में मौसम परिवर्तन के कारण, गाढ़ा सफेद स्राव तथा आँखों का चिपकना-Carica Papaya- 6 तीन घंटे पर ।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, आरंभिक अवस्था में – ACONITUM NAPELLUS 30 हर तीन घंटे पर।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, चिड़चिड़े बच्चों में, जो गोद में उठाया जाना चाहते हैं – CHAMOMILLA-30 हर चार घंटे पर |
➺ कंजेक्टिवाइटिस, चोट या तेज खाँसी से – HAMAMELIS VIRGINIANA-3 दिन में चार बार।
➺ कंजेक्टिवाइटिस, आँखों में अधिक आँसुओं के साथ – EUPHRASIA OFFICINALIS-30 हर तीन घंटे पर
➺ कंजेक्टिवाइटिस, गाढ़े पीले स्राव के साथ – PULSATILLA-30 हर चार घंटे पर। यदि इससे लाभ न हो तो ARGENTUM NITRICUM-30 दिन में तीन बार।