थेरीडियम THERIDION

परिचय :-
थेरीडियम औषधि को स्नायविक चेतना बनाए रखने के लिए लाभकारी माना गया है। इस औषधि के लक्षण और टी.बी. रोग से सम्बंधित लक्षण दोनों ही समान होते हैं। अत: इस औषधि का प्रयोग टी.बी. रोग में करने से यह औषधि टी.बी. से सम्बंधित लक्षणों में तेजी से क्रिया करके रोग को समाप्त करती है। यह औषधि चक्कर आना, उल्टी आने के साथ सिरदर्द होना तथा हृदय के चारों ओर दर्द होना आदि को ठीक करती है। यह औषधि खून जमा होने के साथ उत्पन्न टी.बी. रोग तथा गण्डमाला रोग को ठीक करती है। इसके अतिरिक्त शोर-शराबे को सहन न कर पाना तथा शोर-शराबे में जाने पर ऐसा महसूस होना मानो आवाज की एक तेज तरंग शरीर में घुस गई हो विशेषकर दांतों में यह महसूस अधिक होता। शोर-शराबे से रोगग्रस्त अंग अधिक प्रभावित होते हैं। अत: ऐसे लक्षणों में थेरीडियम औषधि का प्रयोग किया जाता है। हडि्डयों के विकार, हड्डी के टी.बी. रोग, हडि्डयों का गलना। टी.बी. रोग के साथ बाएं फेफड़े के ऊपरी भाग में सुई चुभने जैसा दर्द होना आदि लक्षणों में इसका प्रयोग करना चाहिए।
शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर थेरीडियम औषधि का उपयोग :-
मन से सम्बंधित लक्षण :- रोगी का मन असन्तुलित होने के कारण रोगी का स्वभाव बदलने लगता है। वह हमेशा अशांत रहता है तथा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है। रोगी को किसी भी चीज से आनन्द नहीं मिलता तथा उसे ऐसा लगता रहता है जैसे कि समय बहुत तेजी से बीत रहा है। ऐसे मानिसक लक्षणों से पीड़ित रोगी को थेरीडियम औषधि देने से रोग ठीक होता है।
सिर से सम्बंधित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होता रहता है तथा दर्द इतना संवेदनशील होता है कि फर्श पर भी चले तो दर्द बढ़ जाता है। सिर चकराने के कारण थोड़ी दूर भी चला नहीं जाता तथा चलने की कोशिश करने पर जी मिचलाने लगता है और उल्टी शुरू हो जाती है। आंखों को बंद करने पर चक्कर व उल्टी के लक्षण अधिक दिखाई पड़ते हैं। ऐसे लक्षणों में रोगी को थेरीडियम औषधि का सेवन करना चाहिए।
आंखों से सम्बंधित लक्षण :- आंखों के सामने सफेद रंग का प्रकाश तरंग दिखाई देना तथा तेज प्रकाश में देखने से परेशानी होना। आंखों के गोलक के पीछे दबाव महसूस होना। बाईं आंखों के ऊपर कंपन होना। इस तरह के आंखों से सम्बंधित लक्षणों में रोगी को थेरीडियम औषधि देने से रोग समाप्त होता है।
नाक से सम्बंधित लक्षण :- यदि रोगी के नाक से पीले रंग का बदबूदार बलगम अधिक मात्रा में निकलता हो तो थेरीडियम औषधि का सेवन करें। नाक के उपरोक्त लक्षणों मे इस औषधि का प्रयोग किया जाता है।
आमाशय से सम्बंधित लक्षण :- समुद्र के किनारे रहने वाले लोग जब समुद्री पानी का प्रयोग करते हैं तो समुद्री पानी के कारण आमाशय रोगग्रस्त हो जाता है जिससे रोगी को उल्टी आने लगती है। ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए थेरीडियम औषधि लेनी चाहिए। यदि रोगी को आंख बंद करने पर चक्कर व उल्टी आती है। बाईं ओर प्लीहा के सामने ऊपर की ओर डंक मारने जैसा दर्द होता है तथा जिगर में जलन होता है तो ऐसे आमाशय के लक्षणों में रोगी को थेरीडियम औषधि देने से रोग समाप्त होता है।
सांस संस्थान सम्बंधित लक्षण :- बाईं छाती में दर्द होना। हृदय में उत्तेजना व दर्द होना। बाईं छाती के पेशी में दर्द होने के साथ ऐसा महसूस होना जैसे छाती की पेशी को कोई नोच रहा है। इस तरह के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लिए थेरीडियम औषधि का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
पीठ से सम्बंधित लक्षण :- कशेरुकाओं के बीच उत्पन्न दर्द या दबाव को सहन न कर पाने की शक्ति। रीढ़ की हड्डी में दबाव सहन न कर पाने की शक्ति तथा किसी जीव के काटने के कारण विष फैलने से उत्पन्न पीड़ा आदि को दूर करने के लिए थेरीडियम औषधि का प्रयोग किया जाता है।
त्वचा से सम्बंधित लक्षण :- त्वचा पर डंक मारने व चुभनयुक्त दर्द होना। त्वचा पर खुजली महसूस होना तथा जांघों की शक्ति कम होना आदि लक्षणों में रोगी को थेरीडियम औषधि देने से रोग ठीक होता है।
वृद्धि :-
रोगग्रस्त अंगों को छूने से, दबाव देने से, जहाज पर, गाड़ी में सवारी करने से, आंखों को बंद करने से, धक्का लगने से, शोर-शराबे से तथा बाईं ओर घूमने से रोग बढ़ता है।
शमन :-
गर्मी से तथा लू लगने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
तुलना :-
थेरीडियम औषधि की तुलना कैल्केरिया और लाइको औषधि से की जाती है। इन औषधियों का प्रयोग थेरीडियम औषधि से पहले करने से रोग में जल्द लाभ होता है।
मात्रा :-
थेरीडियम औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।

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