टीलिया (Ptelea)

परिचय-
टीलिया औषधि का उपयोग आमाशय व जिगर से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए बहुत लाभदायक है। यकृत के भाग में भारीपन महसूस होना तथा इसके साथ ही दर्द होना, यह दर्द बाईं करवट लेटने पर बहुत अधिक बढ़ जाता है। दमा रोग को ठीक करने के लिए भी इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है।
चिकित्सा के क्षेत्र मे टीलिया औषधि का उपयोग बहुत कम होता है, लेकिन फिर भी यह विशेष लक्षणों में अक्सर बड़ा लाभदायक पाया गया है। पुरानी लीवर दोष, दस्त, पेट में दर्द होना, मन्दाग्नि, अजीर्ण रोग तथा कब्ज आदि पेट की शिकायतों में यह औषधि ठीक कर देती है।
विभिन्न लक्षणों में टीलिया औषधि का उपयोग-
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी भ्रम में पड़ा रहता है और ऐसा महसूस होता है कि उसका सिर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा है। माथे से लेकर नाक की जड़ तक दर्द होता है और नाक के बाहर की ओर दबाव होने के साथ ही दर्द होता है। माथे पर दर्द होता है और शौरयुक्त माहौल में, गति करने से, रात को आंखें मसलने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इसके साथ ही अम्लता हो जाती है। रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कनपटियों में दर्द हो रहा है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- मुंह से अधिक लाल रंग का स्राव होता है तथा इसके साथ ही जीभ सूखा और कड़वा स्वाद वाला हो जाता है। जीभ पर सफेद या पीला लेप जम जाता है, जीभ खुरदरी, सूखी महसूस होती है। जीभ कांटेदार और लाल हो जाती है। जीभ पर कत्थई-पीले रंग का लेप चढ़ा रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- आमाशय में भारीपन महसूस होने के साथ ही पूर्णता होना। पाचनतन्त्र में मरोड़ होने के साथ ही मुंह सूखा रहता है। डकारें आती रहती है तथा इसके साथ ही जी मिचलाता है और उल्टी आती है। आमाशय के अन्दर जख्म हो जाता है तथा इसमें गर्माहट महसूस होने के साथ ही जलन भी होती है। भोजन करने के बाद आमाशय में खालीपन महसूस होता है। रोगी में आमाशय और यकृत से सम्बन्धित लक्षण होने के साथ ही कई अंगों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
लीवर से सम्बन्धित लक्षण :- लीवर में हल्का-हल्का दर्द होता है, दाहिनी तरफ लेटने से आराम मिलता है, लीवर में छूरी से काटता हुआ दर्द होता है, गहरी सांस लेने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट के दाहिने भाग में अधिक भारीपन महसूस होता है तथा इसके साथ ही दर्द भी होता है, पेट में दर्द भी होता है। रोगी को खट्टी चीजें खाने की इच्छा होती है। रोगी मक्खन और चर्बीदार चीजें पसन्द नहीं करता है। खाना खाने के बाद और सुबह के समय में लिवर तथा पेट की परेशानी बढ़ जाती है। दाहिनी ओर लेटने पर आराम मिलता है। यकृत में दर्द होता है तथा इसके साथ ही सूजन भी हो जाती है, दबाव महसूस होता है और दर्द असहनीय हो जाता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि पेट अन्दर की ओर धंसा जा रहा है। खट्टी डंकारे आती हैं, कडुआ पित्त चढ़ने के कारण जी मिचलाता है और ऊपर के पट में जलन होती है और ऐसा महसूस होता है कि पेट पर पत्थर रखा हुआ है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब पीठ के बल लेटता है तो उसके फेफड़ें पर दबाव महसूस होता है और सांस लेने में परेशानी होती है। दमा रोग होने के साथ ही सांस लेने में परेशानी होना तथा हृदय में ऐंठन होने के साथ ही दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए टीलिया औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का नींद अस्थिर होता है तथा इसके साथ ही भीतिजनक (डरावने) सपने आते हैं और दु:ख भरे सपने आते हैं, जागने पर शरीर थका-थका रहता है तथा शरीर की स्फूर्ति खत्म हो जाती है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
हरकत करने से, गर्म कमरे में रहने से, खाना खाने के बाद, बाईं करवट लेटने पर तथा सुबह के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
खुली हवा में रहने से लीवर का दर्द कम होता है तथा दाहिनी तरफ लेटने से, खट्टे पदार्थो को खाने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
मैग्नी, नक्स, चेलिडो तथा मर्क्यू औषधियों के कुछ गुणों की तुलना टीलिया औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज) :-
टीलिया औषधि की 1 से 30 शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।

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