टार्टैरिकम एसिडम TARTARICUM ACIDUM

परिचय :-
टार्टैरिकम एसिडम औषधि के कुछ अंश अंगूर, अनन्नास, खट्ठे साग (सोर्रल) तथा अन्य फलों में पायी जाती है। टार्टैरिकम एसिडम औषधि ठण्ड को समाप्त करती है और खून को साफ करती है। यह औषधि नाक से होने वाले श्लैष्मिक स्रावों को रोकती है व लालास्राव को उत्तेजित करती है। काम करने की इच्छा न करना तथा अधिक आलस्य आना, अधिक कमजोरी के साथ दस्त का बार-बार आना तथा जीभ का सूखकर कत्थई रंग की हो जाना आदि लक्षणों में टार्टैरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग किया जाता है। एड़ियों में दर्द होने पर इस औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।
शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर टार्टैरिकम एसिडम औषधि का उपयोग :-
आमाशय से सम्बंधित लक्षण :- रोगी को अधिक प्यास लगना, बार-बार उल्टी आना, गले व पाकाशय में जलन होना, भोजन का पाचन ठीक से न होना तथा अधिक मात्रा में श्लैष्मिक स्राव होना आदि लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए टार्टैरिकम एसिडम औषधि का सेवन कराना चाहिए।
पेट से सम्बंधित लक्षण:- नाभि के चारों ओर और नितम्ब (हिप्स) के पास दर्द होना। कॉफी के रंग की तरह दस्त का आना, जीभ कत्थई व सूखी हुई होना तथा गहरे हरे रंग की उल्टी होना आदि लक्षणों में टार्टैरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
मात्रा :-
टार्टैरिकम एसिडम औषधि के 3 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। विशुद्ध एसिड के लगभग 2 ग्राम की मात्रा पानी में मिलाकर दी जा सकती है।

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