सिना Cina

परिचय-

       सिना औषधि को बच्चों के रोगों के लिए एक बहुत ही असरदार औषधि माना जाता है।

विभिन्न प्रकार के लक्षणों के आधार पर सिना औषधि का उपयोग-

मन से सम्बंधित लक्षण- बच्चे का बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाना, किसी भी व्यक्ति के द्वारा छूने या गोद में लेने पर बच्चा रोने लगता है, बाहर ले जाते समय बच्चे का हर चीज लेने के लिए जिद्द करना, मन में हमेशा अपने ही आप को लेकर शर्म सी महसूस होना आदि लक्षणों में रोगी को सिना औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

सिर से सम्बंधित लक्षण- सिर में बहुत तेज दर्द होना, अगर आगे की ओर झुका जाए तो सिर का दर्द कम हो जाता है, कोई भी नज़र का काम करते समय सिर में दर्द शुरू हो जाना आदि लक्षणों में सिना औषधि का सेवन काफी लाभप्रद रहता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- आंखों की पुतलियों का फैल जाना, आंखों से हर चीज का पीला नज़र आना, ज्यादा हस्तमैथुन करने के कारण नज़रों का कमजोर हो जाना, आंखों का थका हुआ सा महसूस होना, आंखों के ऊपर की पेशियों में जलन होना आदि लक्षणों में सिना औषधि का प्रयोग करना काफी अच्छा रहता है।

कान से सम्बंधित लक्षण- कानों में ऐसा महसूस होना जैसे कि कोई कानों को खरोंच रहा हो या खोद रहा हो आदि लक्षणों में रोगी को सिना औषधि का सेवन कराना अच्छा रहता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण- नाक में हर समय खुजली सी होते रहना, नाक को बार-बार हाथों से रगड़ते रहना, नाक के नथुनों को उंगलियों से खुरेचते हुए खून निकाल देना आदि लक्षणों के आधार पर सिना औषधि का प्रयोग कराना अच्छा रहता है।

चेहरे से सम्बंधित लक्षण- गालों का बिल्कुल लाल हो जाना, चेहरे का रंग पीला पड़ जाना, आंखों के चारों ओर काले घेरे से पड़ जाना, चेहरे पर ठण्डा सा पसीना आना, सोते समय दांतों का पीसना, चेहरे और हाथों की पेशियों का सही तरीके से काम न करना आदि लक्षणों में सिना औषधि का सेवन करना लाभप्रद रहता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण- भोजन करने के कुछ देर बाद ही दुबारा भूख लग जाना, भोजन करने या पानी पीते ही तुरन्त उल्टी और दस्त हो जाना, उल्टी होने के साथ जीभ का साफ होना, बार-बार मीठी चीज खाने का मन करना आदि आमाशय रोग के लक्षणों में सिना औषधि का प्रयोग काफी असरदार साबित होता है।

पेट से सम्बंधित लक्षण-  नाभि के आसपास के भाग में मरोड़े उठने के साथ दर्द होना, पेट का फूल जाना और सख्त हो जाना आदि पेट के रोगों के लक्षण नज़र आने पर सिना औषधि का रोगी को सेवन कराना अच्छा रहता है।

मल से सम्बंधित लक्षण- मल के साथ सफेद आंव (सफेद पदार्थ) का आना, आंव (सफेद पदार्थ) आने से पहले पेट में दर्द होना, मलद्वार में खुजली होना, पेट में कीड़े होना आदि लक्षणों में सिना औषधि का प्रयोग काफी अच्छा रहता है।

मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण- रात को सोते समय पेशाब  निकल जाना, पेशाब का गन्दे से रंग का आना जो कुछ देर बाद सफेद हो जाता है आदि लक्षणों में सिना औषधि का प्रयोग लाभकारी रहता है।

स्त्री से सम्बंधित लक्षण-   लड़की के जवानी की ओर कदम रखने से पहले ही योनि में से खून आना जैसे लक्षण नज़र आने पर सिना औषधि का प्रयोग लाभप्रद रहता है।

ज्वर (बुखार) से सम्बंधित लक्षण- रोगी को हल्की-हल्की सी ठण्ड लगते रहना, काफी तेज बुखार आना, भूख का ज्यादा लगना, पेट में दर्द होना, ठण्ड लगने के साथ प्यास का बढ़ जाना, माथे, नाक और हाथों पर ठण्डा सा पसीना आना आदि लक्षणों में सिना औषधि लेने से आराम मिलता है। 

नीन्द से सम्बंधित लक्षण- बच्चे का पेट के बल सोना, रात को सोते-सोते अचानक चौंक पड़ना, बार-बार चिल्लाना, जम्हाई लगते समय परेशानी होना, सोते समय दांतों को पीसते रहना आदि लक्षणों में सिना औषधि रोगी को खिलाने से आराम मिलता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण – शरीर के अंगों में झटके लगने के साथ टेढ़ापन सा आ जाना और कांपते रहना, रोगी को सोते-सोते बिस्तर पर से एकदम उछल पड़ना, बच्चे का हाथ-पैरों का पटकते रहना, रात को सोते समय बेहोशी के दौरे पड़ना, बच्चे का बाएं पैर को हर समय हिलाते रहना और उसमे ऐंठन आना आदि लक्षणों में सिना औषधि का प्रयोग करना काफी लाभकारी रहता है।

सांस से सम्बंधित लक्षण – सुबह उठने पर दम सा घोट देने वाली खांसी होना, बार-बार खांसी उठना, रोगी के खांसते-खांसते आंखों में से आंसू आ जाना और सीने में दर्द हो जाना, खांसते समय बाहर निकलने वाले बलगम का वापस अंदर निकल जाना, खांसी होने के बाद गले से लेकर आमाशय तक गड़गड़ाहट होना, खांसी के बाद चेहरे का पीला पड़ जाना, कमजोरी महसूस होना आदि लक्षणों के आधार पर सिना औषधि का सेवन लाभकारी रहता है।

वृद्धि-

       किसी चीज की ओर लगातार देखते रहने से, कीड़ों से, रात को, धूप में, गर्मियों में रोग बढ़ जाता है।

शमन-

      हरकत करने से, पेट के बल लेटने से और आंखों को मलने से रोग कम हो जाता है।

प्रतिविष-

          कैम्फर, कैप्सिकम आदि औषधियों का उपयोग सिना औषधि के दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।

तुलना-

       सिना औषधि की तुलना ऐन्ट-क्रूड, ऐन्ट-टार्ट, ब्रायो, कैमो, क्रियोज, साइली और स्टैफ के साथ की जा सकती है।

मात्रा-

       सिना औषधि की 3 शक्ति तक रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।

जानकारी-

       जो बच्चे बहुत चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं उन्हें सिना औषधि की 30 से 200 शक्ति तक देनी चाहिए।

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