➺ खाने-पीने के दौरान दम घुटने का एहसास – ANACARDIUM ORIENTALE 30 दिन में तीन बार ।
➺ दमा, अतिसार तथा नाक में सूजन की एलर्जी संबंधी अवस्थाओं में – KALIUM IODATUM की एक खुराक रोजाना लें ।
➺ श्वासावरोध, रासायनिक धुएँ के कारण BOVISTA LYCOPERDON 6 दिन में तीन बार
➺ दमा, श्वास में घरघराहट, खड़खड़ाहट के लक्षण, दम घुटना, साँस लेने में परेशानी, दौरे के समय लेटना भी मुश्किल सिर को पीछे करके बैठना पड़ता है- HEPAR SULPHUR.-30 दिन में दो बार (सुबह तथा रात) |
➺ दमा, धुंधवाले मौसम में HYPERICUM PERFORATUM-3 हर छह घंटे पर।
➺ दमा, तत्काल राहत के लिए-BLATTA ORIENTALIS-Q प्रिंडिलिया रॉबस्टा Q, लॉबिलिया आई. Q, SENEGA-Q और PASSIFLORA INCARNATA-Q सभी को बराबर मात्रा में मिलाएँ । इस मिश्रण की पाँच बूँदें दो बड़े चम्मच पानी में मिलाकर दिन में तीन-चार बार लें। – IPECACUANHA X यह पहला उपचार होना चाहिए तेज दमा मे और जल्दी जल्दी देना चाहिए ।
➺दमा, रात में एक बजे से तीन बजे तक हालत बदतर – ARSENICUM ALBUM – 30 दिन में दो बार ।
➺ दमा का दौरा, रात में दो से चार बजे के बीच, दौरे के समय सिर नीचा करके और घुटनों पर कुहनियाँ टिकाकर बैठना-KALIUM CARBONICUM 200 की साप्ताहिक खुराक ।
➺ दमा के दौरेमें तत्काल राहत के लिए – BLATTA ORIENTALIS-Q की पाँच बूँदेंहर दो घंटे पर पानी में डालकर, इसके स्थान पर VIBURNUM OPULUS-Q पानी में पाँच बूँदें डालकर भी हर दो घंटे पर ले सकते हैं।
➺ कार्डिएक दमा (हृदय गति शून्यता के कारण श्वासावरोध), सेप्टिक अवस्था के कारण–PYROGENIUM 30 दिन में तीन बार बच्चों को दमा, सीने में खड़खड़ाहट और वमन के साथ
➺ श्वसन में कठिनाई और बेचैनी के साथ दमा-ARSENICUM ALBUM- 30 की IPECACUANHA 30 दिन में तीन बार एक या दो खुराक रोजाना लें।
➺दमा, धीरे-धीरे टहलने पर राहत मिलती है, तेज गति से टहलने या चलने पर लक्षण बढ़ जाते हैं, मध्य रात्रि के बाद बदतर स्थिति-FERRUM METALLICUM 6 दिन में तीन बार
➺ दमा, पहली नींद के बाद तेज घरघराहट, श्वसन के साथ खाँसी, शाम या रात के समय हालत बदतर- ARALIA RACEMOSA-3 दिन में तीन बार |
➺ दमा, टीके से या गलत तरीके से इंजेक्शन देने से उभरना THUJA 30 की एक खुराक रोजाना लें।
➺ दमा, नींद टूटने से पहले और बाद में उभरता है- LACHESIS 200 की दो सप्ताह में एक खुराक ।
➺ दमा, पूर्णिमा के दौरान प्रकोप – SILICEA 200 की एक खुराक प्रतिदिन ।
➺ दमा, बदहज्मी तथा भोजन संबंधी अनियमितताओं से वृद्धि – NUX VOMICA 200 की रात में एक खुराक नित्य ।
➺ दमा, मौसम के आकस्मिक परिवर्तन से उभरता है – SILICEA 200 की एक खुराक प्रतिदिन लें।
➺ दमा, ठंडे नम मौसम, मानसून के मौसम में या झील, समुद्र आदि के किनारे बढ़ता है। खाँसी के दौरान रोगी अपने हाथों से सीना पकड़ लेता है – Natrum sulph. -30 दिन में दो बार
➺ दमा, सूखे ठंडे मौसम में बढ़ता है और नम मौसम में बेहतर होता है HEPAR SULPHUR. 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ दमा, गरमियों में या अधिक ऊँचाईवाले स्थान पर उभरता है – NUPHAR LUTEUM – 200 की एक खुराक रोजाना ।
➺ दमा, नम मौसम में उभरता है और रात तीन बजे से सुबह पाँच बजे के बीच आक्रमण होता है-KALIUM CARBONICUM 200 की साप्ताहिक खुराक।
➺ दमा, उच्च रक्तचाप के साथ संबद्ध-BARYTA CARBONICA -30 दिन में दो बार प्रतिदिन ।
➺ दमा, दम घुटने और सीने पर दबाव का एहसास – Yerba santa-Q पानी में पाँच बूँदें, हर दो घंटे के अंतराल पर ।
➺ दमा, समुद्र तट पर रहने या अधिक नमक खाने पर MAGNESIUM MURIATICUM 30 की एक खुराक रोजाना लें ।
➺ दमा, दौरे के समय कफ नहीं निकल पाता और बैठे रहने पर पैर लगातार हिलते रहते हैं- ZINCUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार
➺ दमा, दौरे के समय रोगी ठंडी वायु पाने की इच्छा करता है – Ammonium Carbonicum 30 दिन में दो बार
➺ दमा, रात को अचानक दौरा पड़ता है, बच्चा नीला पड़ जाता है, दौरे के बाद हाँफते हुए साँस लेता है, एक और दौरे के साथ जागता है, प्रचुर मूत्र विसर्जन के बाद राहत मिलती है, जागने पर अधिक मात्रा में पसीना आता है – LYSSINUMSAMBUCUS NIGRA 200 दो सप्ताह में एक बार
➺ दमा, समुद्र तट से दूर – BROMIUM 30 दिन में तीन बार
➺ दमा, खाना खाने से बेहतर होता है GRAPHITES 30 दिन में दो बार )
➺ दमा, लेटने और हाथों को शरीर से दूर खुला रखने पर बेहतर होता है PSORINUM 200 की एक खुराक रोज। यदि इससे लाभ न हो तो TUBERCULINUM 200 दिन में दो बार
➺ दमा, पेट के बल लेटने, समुद्र के पास और नम मौसम के दौरान आराम – Medorrhinum 200 की एक खुराक, यदि लक्षण बने रहें तो एक और खुराक ली जा सकती है।
➺ दमा, सूखे ठंडे मौसम में ठीक रहता है और नम मौसम में बढ़ जाता है – Natrum sulph.-30 दिन में तीन बार या DULCAMARA-30 दिन में तीन बार।
➺ दमा, ठंड से आराम – AURUM METALLICUM 200 की एक खुराक रोज ।
➺ दमा, मानसून के दौरान बेहतर- CAUSTICUM 30 हर छह घंटे पर ।
➺ दमा, फेफड़ों में पर्याप्त हवा न पहुँचने के कारण हाँफना, खाँसी के कारण लेटने में परेशानी, बैठने से आराम, कफ निकाल नहीं सकते – ANTIMONIUM TARTARICUM 6 हर छह घंटे पर।
➺ दमा, बदहज्मी के साथ कार्डिएक, लेटने में परेशानी, बैठने पर आराम, नाक की श्लेष्मा कला से अधिक स्राव तथा गले में सिकुड़न के साथ दौरा शुरू होता है – NAJA TRIPUDIANS-6 दिन में चार बार
➺ दमा, अधिक खाने के कारण-NUX VOMICA- 200 की एक खुराक रोज।
➺ दमा, प्रदूषण के कारण – SULPHURICUM ACIDUM 200 की एक खुराक प्रतिदिन (ब्रोकियल अस्थमा में लाभदायक ) ।
➺ दमा, दौरे के समय सिर को हाथों पर रखकर और उन्हें तकिये पर रखकर सोने की इच्छा होती है- ARALIA RACEMOSA. -6 दिन में चार बार।
➺ दमा, सक्रिय, अति रक्ताल्पता के कारण- ACONITUM NAPELLUS 6 दिन में तीन बार।
➺ दमा, चेचक के कारण – Carbo Vegetabilis 200 की एक खुराक प्रतिदिन लें।
➺ दमा, माध्यम अधिक स्पष्ट नहीं हैं – IPECACUANHA 30 और ARSENICUM ALBUM- 30 हर तीन घंटे पर बदल-बदलकर लें।
➺ बच्चों में दमा, वसायुक्त भोजन से एलर्जी-PULSATILLA 30 दो सप्ताह एक बार।
➺ अनियमित मासिक धर्मवाली महिलाओं को दमा- PULSATILLA 200 की एक खुराक रोजाना लें ।
➺ सहवास का प्रयास करने पर दमा- AMBRA GRISEA -30 दिन में दो बार ।
➺ श्वसन मार्ग की शुष्कता के साथ तेज दमा, शुष्क गला, कंठ, श्वासनली की शुष्कता, कभी-कभी खड़खड़ाहट, सीटी की आवाज और घरघराहट, बदहज्मी, कफ निकलने में परेशानी, जिसके कारण उसे निगलना पड़ता है; सिरदर्द, आगे की ओर झुकने पर आराम-SPONGIA TOSTA-6 दिन में तीन बार
➺ दमा, रात में अचानक शुरू होता है और भोर में समाप्त हो जाता है – SYPHILINUM 200 सप्ताह में दो बार
➺ दमा, कफ निकालने में असमर्थ, परंतु जैसे ही रोगी कफ निकाल देता है, वह आराम महसूस करता है-ZINCUM METALLICUM 30 दिन में दो बार
➺ दमा, सीने में संकुचन के साथ तेज दौरा, घरघराहट भरी खाँसी, दम घुटने का एहसास और बदहज्मी- IPECACUANHA 30 दिन में तीन बार लें।
➺ दमा, जब रोगी को नजदीक से पंखा झले जाने और पंखे के सामने रहने की इच्छा होती है – Carbo Vegetabilis-30 हर छह घंटे पर। , लंबे समय से मौजूद त्वचा रोगों के साथ-Sulphur Iodatum – 3 दमा, दिन में तीन बार, दो बूँदें।
➺ दमा, कंठ तथा सीने में सूखेपन तथा जलन के साथ, तलवों तथा हथेलियों में जलन, मुँह में कड़वा स्वाद – SANGUINARIA CANADENSIS-Q दिन में तीन बार ।
➺ दमा, गैस्ट्रिक लक्षणों के साथ – KALIUM MURIATICUM – 6 दिन में दो बार
➺ दमा, सीने में घरघराहट की आवाज – IPECACUANHA -6 दिन में दो बार दाएँ फेफड़े में तेज दर्द- ARSENICUM ALBUM 6 दिन में दो बार, सुबह सात बजे और दोपहर तीन बजे ।
➺ दमा, परिवार में फेफड़ों का वंशानुगत रोग BACILLINUM BURNETT 200 साप्ताहिक खुराक या M दस-पंद्रह दिनों के बाद दुहराई जा सकती है ।
➺ दमा, सोने के तुरंत बाद या पहली नींद के बाद स्थिति बिगड़ती है – ARALIA RACEMOSA-30 दिन में तीन बार ।
➺ दमा का दौरा, इसके दौरान मिचली और वमन के साथ अधिक मात्रा में लार निकलती है – LOBELIA INFLATA-30 दिन में दो बार ।
➺ समय-समय पर दमा का दौरा, अत्यंत थकान के साथ – CHININUM ARSENICOSUM 3 दिन में चार बार
➺ दमा के मरीज, जिन्हें पंखा या तकिए के इस्तेमाल से एलर्जी होती है – MANGANUM ACETICUM-30 दिन में दो बार
➺ सीढ़ियाँ चढ़ते समय साँस फूलना तथा अत्यंत कमजोरी महसूस होना – iodum-1M महीने में एक खुराक ।
➺ सीढ़ियाँ चढ़ते समय साँस लेने में कठिनाई-NITRICUM ACIDUM-30 दिन में दो बार ।
➺ दुर्गंधयुक्त साँस–MURIATICUM ACIDUM-30 दिन में तीन बार लें।
➺ सोने के दौरान साँस रुक जानातथा इसके कारण नींद खुलना, साँस लेने के प्रयास में नींद उड़ जाना DIGITALIS PURPUREA 30 दिन में दो बार । खाँसी के दौरान साँस लेने में परेशानी, लेटने पर अधिक परेशानी, खाँसी में खड़खड़ाहट की आवाज तथा बैठने पर बेहतर महसूस करना – ANTIMONIUM TARTARICUM 6 हर छह घंटे पर।
➺ ऊँचाई पर चढ़ते समय जल्दी-जल्दी साँस लेने के लिए विवश होना . DIGITALIS PURPUREA 30 दिन में तीन बार
➺ सोने के लिए बिस्तर पर लेटते ही दम घुटने का एहसास होने के कारण सोने में परेशानी – GRINDELIA ROBUSTA-Q की पानी में दो-तीन बूँदें। साँस लेने में परेशानी, इसके कारण कोई पेय पदार्थ पीने में भी परेशानी कम मात्रा में पेय पदार्थ का सेवन संभव है- KALIUM NITRICUM-6 दिन में दो बार ।
➺ सीने में कफ के कारण साँस लेने में परेशानी- Ammonium Carbonicum 30 हर छह घंटे पर।
➺ मध्य रात्रि के बाद अचानक साँस लेने में परेशानी और इसके कारण रोगी की नींद टूट जाना— SPONGIA TOSTA -30 दिन में दो बार
➺ साँस फूलना – BRYONIA-6 दो-तीन दिनों के लिए दिन में तीन बार इससे लाभ न होने पर IPECACUANHA 6 दिन में तीन बार । यदि इससे भी लाभ न हो तो RHUS TOXICODENDRON. 6 दिन में तीन बार
➺ सीढ़ियाँ चढ़ते समय साँस फूलना, इसके कारण बात नहीं कर सकते – iodum 30 दिन में तीन बार
➺ सीढ़ियाँ चढ़ते समय साँस फूलना- लॉबीलिया 30 दिन में तीन बार ब्रोंकाइटिस, चिपचिपा तथा रस्सी जैसा बलगम, मूत्र त्याग करने में जलन तथा दर्द CANTHARIS VESICATORIA-30 दिन में तीन बार ।
➺ ठंड के कारण सीने तथा पसलियों में दर्द, निमोनिया या प्लूरिसी में – Ranunculus Bulbosus 30 हर छह घंटे पर दें।
➺ दमा की खाँसी, सूखी ठंडी वायु के कारण – ACONITUM NAPELLUS नेपीलस-30 दिन में तीन बार ।
➺ दमा, शुष्क ठंडी हवा में जाने पर, गहरी रूखी खाँसी, बलगम की खड़खड़ाहट, सुबह तथा मध्य रात्रि से पहले बदतर, ठंडी हवा तथा शीतल पेय पदार्थों के कारण अधिक खाँसी, गरमी से राहत हिपर SULPHURICUM ACIDUM 200 की एक खुराक नित्य लें।
➺ दमा, कर्कश सूखी खाँसी, गरम नम मौसम में अधिक बुरी स्थिति, छींक तथा साँस लेने के दौरान चीरने की-सी आवाज – iodum-30 दिन में तीन बार ।
➺ दमा में यदि iodum – 30, HEPAR SULPHUR-30, SPONGIA TOSTA 200 और फॉस्फोरिकम 30 से लाभ न हो तो BROMIUM 30 दिन में दो बार, क्रम से।
➺ दमा, बेचैनी से, घरघराहट की आवाज, साँस लेने के दौरान और आधी रात के समय बुरी स्थिति – SPONGIA TOSTA-30 दिन में तीन बार ।
➺ श्वास छोड़ने में कठिनाई – HYDROCYANICUM ACIDUM 6 चार घंटे के अंतराल पर या LYSSINUMSAMBUCUS NIGRA-6 दिन में तीन बार ।
➺ श्वास लेने में कठिनाई – ARSENICUM ALBUM-6 चार घंटे के अंतराल पर ।
श्वसन-प्रक्रिया में कठिनाई, बोलने, पढ़ने, गाने और निगलने पर खाँसी में वृद्धि, सिर को नीचे रखकर लेटने पर राहत-SPONGIA TOSTA – 200 की एक खुराक प्रतिदिन।
➺ श्वास लेने में कठिनाई, गरम कमरे, भीड़ भरे कमरे, थिएटर, चर्च आदि में दम घुटने का एहसास – LILIUM TIGRINUM-30 दिन में तीन बार । श्वास लेने में कठिनाई, बैठने पर, सोने के बाद और कमरे में अधिक, तेजी से चलने पर स्थिति बेहतर SEPIA 200 की चंद खुराकें।
➺ श्वास लेने में कठिनाई, बाईं करवट सोने पर, दाईं करवट और सिर ऊँचा करके सोना पड़ता है, दौरा पड़ने पर मरीज की नींद टूट जाती है – SPONGIA TOSTA-30 दिन में तीन बार
➺ श्वास लेने में कठिनाई, हाँफना, हृदयसंबंधी जलोदर के साथ तेज नाड़ी गति – CRATAEGUS OXYACANTHA-Q की पानी में दो से पाँच बूँदें, दिन में तीन बार लें।
➺ श्वास लेने में कठिनाई, दाईं करवट तथा सिर ऊँचा करके सोने पर आराम – SPIGELIA ANTHELMIA-30 दिन में तीन बार
➺ श्वास लेने में कठिनाई, नील रोग-Carbo Vegetabilis-30 दिन में तीन बार लें।
➺ कफ न निकल पाना, कफ निकलते ही राहत – ZINCUM METALLICUM 30 दिन में तीन बार ।
➺ साँस छोड़ने में परेशानी, परंतु साँस लेने में कोई परेशानी नहीं Chlorum- 6 हर घंटे |
➺ दमा में साँस लेने में कठिनाई – GRINDELIA ROBUSTA रोबस्टा-Q की एक बार में दो से पाँच बूँदें, जब भी आवश्यकता हो । साँस लेने में कठिनाई – JABORANDI-30 दिन में तीन बार लें। .