लाइकोपस वर्जीनिकस (Lycopus virginicus)

परिचय-
लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि रक्तचाप को कम करती है, हृदय की धड़कन को कम करती है और हृदय की धड़कन के समय को भी बढ़ाती है तथा मुंह से खून निकलने को रोकती है। इस औषधि की सबसे प्रमुख क्रिया हृदय पर होती है जो डिजेटेलिस औषधि के समान ही है।
लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि हृदय के सभी प्रकार के रोगों को ठीक करती है तथा खूनी बवासीर (वह रोग जिसमें मलद्वार से खून निकलता हो) के रोग को ठीक करने के इसका उपयोग किया जाता है।
हृदय की क्रिया अचानक से बढ़ गई हो और अधिक दर्द हो रहा हो तो इस प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
यदि शरीर का खून दूषित हो चुका है तो उसे साफ करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि की मूलार्क की 4 बूंदों का प्रयोग करना चाहिए।
विभिन्न लक्षणों में लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का उपयोग-
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- माथे में दर्द होना, ललाट (माथे का ऊपरी भाग) में तेज दर्द होना, अधिक परिश्रम का कार्य करने से हृदय की पेशियों में भी दर्द होना तथा नाक से खून बहना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
छाती से सम्बन्धित लक्षण :- छाती पर दर्द होने के साथ ही दबाव महसूस हो रहा हो और श्वास लेने और बाहर छोड़ने पर अधिक दबाव महसूस हो तो ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखें बाहर की ओर फैली हुई दिखाई पड़ती हैं तथा इसके साथ ही आंखों पर दबाव महसूस होता है और हृदय पिण्ड पर तेज दर्द होता है। अक्षिगहृर के ऊपर दर्द होने के साथ ही अण्डकोष में भी दर्द होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- मुंह के निचले भाग जहां पर भोजन को चबाने वाले दांत होते हैं उस दांत में दर्द होने पर लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि से उपचार करने पर दर्द होना बन्द हो जाता है।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के हृदय में तेज दर्द होने पर उसके इस रोग का उपचार करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का उपयोग करना चाहिए। हृदय में पुराना दर्द का रोग, नाड़ी की गति कमजोर होना, हृदय में सिकुड़न महसूस होना, हृदय धड़कन अनियमित होना, हृदय में कंपन के साथ दर्द होना, नील रोग। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है। हृदय की नाड़ियों की गति अनियमित होने के कारण हृदय के चारों ओर घुटन महसूस होने पर लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करने से आराम मिलता है। जोड़ों में दर्द होने के साथ ही ऐसा महसूस होना कि दर्द ऊपर से नीचे की ओर जा रहा है और इस दर्द का सम्बन्ध किसी हृदय रोग से हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना चाहिए। हृदय की गति अनियमित होने के साथ ही दमा रोग होने पर लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करने से रोगी का रोग पुरी तरह से ठीक हो जाता है।
श्वास से सम्बन्धित लक्षण :- सांस लेते समय सांय-सांय की आवाज होना, खांसी के साथ ही नाक से खून बहना लेकिन थोड़ा और बार-बार बहना और पसलियों में दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- पेशाब रंगहीन होता है, विशेषत: हृदय अत्यंत उत्तेजित होता है तब और कम मात्रा में होता है, खाली रहने पर मूत्राशय फूल जाता है। पेशाब अधिक मात्रा में होना। वृषणों में दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग लाभदायक है।
पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- पीठ के जोड़ों पर दर्द होना जिसका असर पीठ से लेकर कमर तक हो तथा वे व्यक्ति जिनके जोड़ों में दर्द का असर बायीं ओर से दायीं हो और फिर बायीं ओर हो जाता हो तो ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मलद्वार से सम्बन्धित लक्षण :- मलद्वार से खून बहने पर लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करने से खून बहना बन्द हो जाता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रात के समय में अधिक जगना अर्थात नींद न आना और इसके साथ ही शरीर में खून का संचारण ठीक प्रकार से न होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- आमाशय में एक प्रकार ऐसा दर्द होना जैसे कि कोई गोल चीज आमाशय के अन्दर रखी हो और उसके कारण दर्द हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग लाभदायक है।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट में गड़गड़ाहट होने के साथ ही मरोड़ होना और अतिसार होना। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि उपयोग लाभदायक है।
पीलिया से सम्बन्धित लक्षण :- पीलिया रोग होने के साथ ही अतिसार होना, हृदय में रोग उत्पन्न हो जाना और मलत्याग करने में परेशानी होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
वृद्धि (रिलेशन) :-
ठण्ड से, अधिक सोचने से, हाथ-पैर अधिक चलने से और एक दिन के अन्तर पर लक्षणों में वृद्धि होती है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
ऐफेड्रा टी, , स्पार्टी, एलो, कैक्ट, डेजी, कैल्मि, कैटेगस, एड्रिनैलिन औषधियों के कुछ गुणों की तुलना लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि से कर सकते हैं।
विशेष :-
हृदय के रोगों को ठीक करने में यह औषधि अधिक लाभदायक है। हृदय पर दबाव महसूस होना और ऐसा महसूस होना कि हृदय पर कोई बोझ रखा है, तम्बाकू के सेवन से उत्पन्न लक्षण, फेफड़ों में उत्तेजना के साथ आने वाली खांसी, हृदय रोग के साथ ही अन्य रोग होना। ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
मात्रा (डोज) :-
लाइकोपस वर्जीनिकस औषधि की पहली से तीसवीं शक्ति तक का प्रयोग कई प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है।

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