परिचय-
ओलियम जेकोरिस असेली औषधि जिगर के रोगों और क्लोमग्रन्थि मे होने वाले रोगों में बहुत लाभ करती है। इस औषधि मे आयोडीन मिली होती है इसी कारण से आयोडीन से ठीक होने वाले रोगों में अगर इस औषधि को दिया जाए तो ये भी आयोडीन की ही तरह काम करती है। इसके अलावा जो रोग आयोडीन से ठीक नही होते उनमे भी ये अच्छा असर करती है।
ओलियम जेकोरिस असेली औषधि में कॉडलिवर तेल के गुण भी मौजूद होते है इसलिए यह औषधि बच्चों के सूखा रोग, कमजोरी, गले की गांठों, बच्चे को पूरी रात बेचैनी होने के कारण नींद ना आना, बच्चों का दूध ना पीना, हथेलियों में जलन होना, पुराना दस्त, छाती का कोई रोग आदि में भी लाभ करती है।
विभिन्न रोगों के लक्षणों में ओलियम जेकोरिस असेली औषधि से होने वाले लाभ-
सांस से सम्बंधित लक्षण-
रोगी को हल्की सी भी ठण्ड लगते ही सर्दी या जुकाम का रोग हो जाना, रोगी की नाक मे से हमेशा पानी सा बहता रहना, रात को सोते समय सूखी खांसी होना, गला बंद सा हो जाना, सीने में घड़घड़ाहट सी होना जैसे सांस के रोगों के लक्षणों में ओलियम जेकोरिस असेली का उपयोग लाभकारी रहता है।
चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण-
रोगी की कभी भी गर्दन का लाल हो जाना, कान और जांघ की गिल्टी का फूल जाना जैसे लक्षणों में रोगी को ओलियम जेकोरिस असेली औषधि देने से लाभ मिलता है।
बुखार से सम्बंधित लक्षण-
रोगी को रोजाना दोपहर के बाद बहुत तेज ठण्ड सी महसूस होना, प्रलेपक बुखार, रात को सोते समय बहुत ज्यादा पसीना आना जिसके कारण बिस्तर भी गीले हो जाते है। इन लक्षणों में अगर रोगी को ओलियम जेकोरिस असेली औषधि दी जाए तो उसे काफी लाभ होता है।
बाहरीय अंग से सम्बंधित लक्षण-
हडि्डयों की टी.बी में, हडि्डयों में बुखार आने पर, हड्डी के सूज जाने पर, हडि्डयों के नर्म पड़ जाने पर, हड्डी के पास किसी तरह का फोड़ा हो जाने पर ओलियम जेकोरिस असेली औषधि लेने से लाभ होता है।
तुलना-
ओलियम जेकोरिस असेली औषधि की तुलना टुबरकली, फास्फो और आयोड से की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को ओलियम जेकोरिस असेली औषधि की पहली से 30 शक्ति के विचूर्ण देना चाहिए।
जानकारी-
ओलियम जेकोरिस असेली औषधि वैसे तो फोड़ों में बहुत उपयोगी साबित होती है लेकिन रीढ़ की हड्डी में होने वाले फोड़ों में इस औषधि से कोई लाभ नही होता।